Chapter – 1
Network Operating System
Q.1 What do you mean by Computer
Network ? What are its advantages?
कंप्यूटर नेटवर्क क्या है तथा इसके लाभ क्या है ?
Ans जब दो या दो से अधिक Device
आपस में Connect होकर Information Share करती है तो उसे हम नेटवर्क कहते है यह Device Computers, Servers, Mobiles,
Routers आदि हो सकते है
| Network में Devices को को दो तरह की Technology का प्रयोग करके जोड़ा जाता है,
Wired या Wireless | Wired Connection बनाने के लिए Cable जैसे की Twisted Paire ,
Coaxial और Fiber Optic cable तथा Wireless
Connection बनाने के लिए Radio Wave. Bluetooth और Satellite का इस्तेमाल किया जाता हैं |
कंप्यूटर नेटवर्किंग एक ऐसा प्रोसेस है जो की एक डाटा को एक
जगह से दूसरे जगह हम शेयर कर सकते है! जैसे की फाइल ,फोल्डर , रिसोर्सेस ,स्टोरेज आदि .
नेटवर्क के मुख्य लाभों में शामिल है
1.फाइल शेयरिंग - आप विभिन्न
उपयोगकर्ताओं के बीच आसानी से डेटा शेयर कर सकते हैं,
2.रिसोर्स शेयरिंग - नेटवर्क से जुड़े
पेरीफेरल उपकरणों जैसे प्रिंटर, स्कैनर का उपयोग करना, या कई यूजर के बीच सॉफ्टवेयर शेयर करना, पैसे बचाता है।
3 इंक्रीज स्टोरेज कैपेसिटी - आप फ़ाइलों और मल्टीमीडिया का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि चित्र और संगीत, जिसे आप अन्य मशीनों या नेटवर्क से जुड़े स्टोरेज डिवाइस पर स्टोर करते हैं।
computer network के नुकसान
1. जब आपके network में बहुत सारे लोग add होंगे तो उनमें से कोई एक आपको नुकसान पहुँचाना
चाहेगा या फिर कोई बाहरी आदमी आपको नुकसान पहुँचाना चाहेगा, जब लोग एक दुसरे के
बीच Resource और File share करेंगे तो कोई illegal person नुकसान पहुँचाने की कोशिश जरुर करेगा इसलिए network के साथ security problem बहुत ही common है और यह Computer network
का disadvantages है|
2. जब कभी भी main server break down हो जायेगा मतलब की खराब हो जायेगा तो उससे connected सारे system useless हो जायेंगे मतलब की बिना काम के हो जायेंगे, फिर उन सभी system से कोई काम नहीं हो पायेगा| यदि कोई भी bridging
device (दो network को जोड़ने वाला)
या Central linking server fail हो जाता है तो उससे जुड़े
सारे system fail हो जायेंगे| इससे निबटने के लिए Main
server powerful system को बनाया जाता है ताकि इन सभी problem से आसानी से निबटा जा सके और
यह जल्दी fail ना करे|
3.
जब आप computer network install करेंगे तो आपको थोडा ज्यादा cost लगेगा क्योंकि networking करने के लिए आपको कुछ Network
devices (जैसे की Switch, hub, router etc.) की आवश्यकता पड़ेगी जो की cost
को ज्यादा करेगा
मतलब की इसके कारण ज्यादा cost लगेगा| इसके अलावा आपको Networking करने के लिए Network Interface Cards (NICs) की जरुरत पड़ेगी यदि पहले से Network Interface cards नहीं लगा हुआ होगा तो, इसके कारण भी cost में effect पड़ेगा|
Q.2
What are the components of Computer networks?
Ans Major components of a
computer network(कंप्यूटर नेटवर्क के प्रमुख
घटक)
सर्वर (Server)
यह
नेटवर्क का सवसे प्रमुख अथवा केन्द्रीय कम्प्यूटर होता है |
इनमे से कुछ प्रमुख
कम्प्यूटर होता है | नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटर सर्वर से जुड़े होते है |
सर्वर क्षमता और गति की
दृष्टी से अन्य सभी कम्प्यूटरों से श्रेष्ठ होता है और प्राय: नेटवर्क का अधिकांश
अथवा समस्त डाटा सर्वर पर ही रखा जाता है |
NIC(National
interface card)
एनआईसी(NIC) एक उपकरण है जो एक कंप्यूटर को दूसरे
उपकरण के साथ संचार करने में मदद करता है। नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड में हार्डवेयर
पते (Hardware Address ) होते हैं,
जो डेटा-लिंक लेयर प्रोटोकॉल
नेटवर्क पर सिस्टम की पहचान करने के लिए इस पते का उपयोग करते हैं ताकि यह डेटा को
सही गंतव्य पर स्थानांतरित करे।
Hub
हब
एक केंद्रीय उपकरण है जो नेटवर्क कनेक्शन को कई उपकरणों में विभाजित करता है। जब
एक कंप्यूटर किसी दूसरे कंप्यूटर से जानकारी के लिए अनुरोध करता है, तो यह हब को अनुरोध भेजता है। हब इस अनुरोध को सभी
इंटरकनेक्ट किए गए कंप्यूटरों में वितरित करता है।
- हब आमतौर पर एक लैन (लोकल एरिया नेटवर्क) के सेगमेंट को
जोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है।
- एक हब में कई पोर्ट होते हैं।
- जब कोई पैकेट एक पोर्ट पर आता है, तो उसे दूसरे पोर्ट
में कॉपी किया जाता है ताकि लैन के सभी सेगमेंट सभी पैकेट को देख सकें।
- हब एक नेटवर्क में उपकरणों के लिए एक सामान्य कनेक्शन
बिंदु के रूप में कार्य करता है।
Cables
केबल एक ट्रांसमिशन मीडिया है जो संचार संकेतों को प्रसारित करता है। जिन केबलो के द्वारा नेटवर्क के कम्प्यूटर आपस से जुड़े
होते है, उन्हें
नेटवर्क केबल कहा जाता है | सूचनाँए एक कम्प्यूटर से नेटवर्क के दुसरे कम्प्यूटर तक
केबलों से होकर ही जाती है, इनको प्राय: बस (bus ) भी कहा जाता है |
नोड (Nodes)
सर्वर के अलावा नेटवर्क के अन्य कम्प्यूटरों को नोड कहा जाता है | ये
वे कम्प्यूटर होता है, जिन पर उपयोगकर्ता कार्य करते है | प्रत्येक
नोड का एक निश्चित नाम और पहचान होती है | कई नोड अधिक शक्तिशाली होते है | ऐसे
नोडो को प्राय: वर्क स्टेशन ( work station ) कहा जाता
है! नोडो
को प्राय: क्लाइन्ट ( client ) भी कहा जाता है |
Q.2 What do you mean by IP
Addressing System?
Ans हम सभी लोगों का एक address होता है जहाँ हम रहते है वैसे ही
प्रत्येक computer का
जो कि internet से
जुड़ा रहता है उसका एक unique address होता है जिसे हम IP ADDRESS (आईपी एड्रेस) कहते है।
आईपी एड्रेस के द्वारा
हम किसी भी कंप्यूटर को आसानी से identify कर पाते है और ये computers जो कि internet से जुड़े रहते है वो host कहलाते है।
आईपी एड्रेस एक 32 bit numeric address होता है यह चार अंकों वाला होता है जो 0 से
लेकर 255 तक
होते हैं। जैसे-128.143.137.144 एक आईपी एड्रेस है।
आईपी एड्रेस मे हमेशा
नंबर के 4
ब्लॉक होते हैं, जो पीरियड के द्वारा अलग अलग होते हें| प्रत्येक
ब्लॉक में 0
से 255
कि संभावित रेंज होती हैं, जिसका मतलब है कि प्रत्येक ब्लॉक मे 256
संभावित वैल्यू होती हैं| उदाहरण के लिए, आईपी एड्रेस 192.168.1.10 ऐसे दिखता हैं|
किसी भी नेटवर्क पर
इस्तेमाल किए जाने वाले आईपी एड्रेस के 2 स्टैण्डर्ड हैं:
i) IP
version 4 (IPv4):
Internet Protocol version 4 (IPv4) यह इंटरनेट प्रोटोकॉल(IP) का
चौथा वर्जन हैं, जिसे
नेटवर्क के डिवाइस की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं| IPv4
एड्रेस 32
बीट लंबा होता हैं और यह 4,294,967,296 एड्रेसेस को सपोर्ट करता हैं (हालांकि इनमे से कई विशेष
उद्देश्यों के लिए आरक्षित हैं, जैसे 10.0.0.0 और 127.0.0.0)
192.168.0.1 यह एक IPv4 एड्रेस का एक सामान्य उदाहरण है। सबसे आसानी से पहचाने
जाने वाली आईपी रेंज 192.168.0.1 – 192.168.0.255 हैं, क्योंकि इन एड्रेस को हम घर या
ऑफिस पर उपयोग करते हैं|
ii) IP version 6 (IPv6):
इंटरनेट
के लोकप्रिय विकास के कारण IPv4 के संभावीत एड्रेस भविष्य में समाप्त होने कि चिंता से
Internet Protocol version 6 (IPv6) का नया वर्जन विकसीत किया गया| यह
IPv4
का नया और उन्न्त वर्जन हैं| इसे IPng (IP new generation) के रूप में भी जाना जाता है।
Internet Protocol version 6 (IPv6) 128 बिट्स लंबा होता हैं। इसलिए, यह
2 ^ 128 इंटरनेट
एड्रेस को सपोर्ट करता हें, जो 340.282.366.920.938.000.000.000.000.000.000.000.000
एड्रेस के बराबर हैं| यह
बहुत सारे एड्रेस हैं और वे बहुत लंबे समय तक इंटरनेट ऑपरेशनल जारी रखने के लिए
पर्याप्त से अधिक हैं।
i) Private IP Addresses:
जब
कई कंप्यूटर या डिवाइस या तो केबल के साथ या वायरलेस, एक
दूसरे से कनेक्ट होते हैं, तब वे एक प्राइवेट नेटवर्क बनाते हैं। इस नेटवर्क के भीतर
प्रत्येक डिवाइस को फ़ाइलों और रिर्सोसेस को शेयर करने के लिए एक यूनिक आईपी
एड्रेस असाइन किया जाता हैं| इस नेटवर्क के सभी डिवासेस के आईपी एड्रेस को प्राइवेट
एड्रेस कहा जाता हैं|
ii) Public IP addresses:
पब्लिक
आईपी एड्रेस वह होता हैं, जिसे ISP (Internet Service Provider) देता हैं| इससे
आपके होम नेटवर्क को बाहर की दुनिया मे पहचान मिलती हैं| यह
आईपी एड्रेस पूरे इंटरनेट में यूनिक होता हैं।
पब्लिक
आईपी एड्रेस स्टैटिक या डायनामिक हो सकता है। स्टैटिक पब्लिक आईपी एड्रेस बदलता
नही है और इसे मुख्य रूप से इंटरनेट पर किसी सर्विस (जैसे आईपी कैमेरा, एफटीपी
सर्वर, इमेल
सर्वर को एक्सेस करने के लिए या कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस लेने के लिए) या वेब
होस्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं| इसे ISP से खरीदना पड़ना हैं|
दूसरी
ओर, डायनामिक
आईपी एड्रेस उपलब्ध आईपी एड्रेस को लेता हैं और हर बार इंटरनेट से कनेक्ट होने पर
बदल जाता है। अधिकतम इंटरनेट यूजर के पास उनके कंप्यूटर के लिए डायनामिक आईपी
एड्रेस होता हैं, जिसे इंटरनेट डिसकनेक्ट करने पर काट दिया जाता हैं और
रिकनेक्ट होने पर नया आईपी एड्रेस मिलता हैं|
Q.3 Define Classes of IP Address?
Ans IPv4 एड्रेस मे आईपी रेंज के लिए पाच क्लासेस हैं: Class A, Class B, Class C, Class D और Class E| जबकि केवल A, B, और C को ही आमतौर पर इस्तेमाल करते हैं| हरएक
क्लास आईपी एड्रेस कि वैध रेंज के लिए अनुमति देता हैं, जिसे
निम्न टेबल में दिखाया गया हैं –
Q.4 What do you mean by Network Operating System? Describe its
Features.
Ans. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम, सॉफ्टवेयर तथा एसोसिएटेड
प्रोटोकॉल्स (associated protocols) का संग्रह (collection) होता हैं, जो ऑटोनोमस कम्प्यूटर्स (autonomous computers) का एक समूह (set) होता है तथा ये कम्प्यूटर्स एक नेटवर्क में एक-दूसरे से
जुड़े होते हैं। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर्स को सभी कम्प्यूटर के
अस्तित्व (existence) की
जानकारी (awareness) होती
हैं तथा कोई भी यूजर किसी कम्प्यूटर में लॉइ इन (log in) कर सकता हैं एवं फाइलों को एक कम्प्यूटर
से दूसरे कम्प्यूटर में कॉपी (copy) कर सकता हैं।
पियर
टु पियर नेटवर्क Peer to Peer Network (P2P)
Peer to Peer Network (P2P) छोटे माहौल में सबसे अच्छा काम करता है। नेटवर्क के सभी
कंप्यूटरों को व्यक्तिगत प्रशासन और मेंटेनेंस की जरूरत होती है। सामान्तः दो या
दो से अधिक computers को
आपस में जोड़कर उनकी फाइल्स एवं प्रिंटर को शेयर करना ही पियर टू पियर नेटवर्क का
उदाहरण है पियर टू पियर में प्रत्येक कंप्यूटर अपनी सुरक्षा का स्वयं जिम्मेदार
होता है यूजर डाटाबेस भी प्रतेयक कंप्यूटर पर अलग अलग होता है अर्थात decentralize होता
है . अतः पियर टू पियर नेटवर्क को किसी सिंगल लोकेशन से मैनेज नहीं किया जा सकता
है , पियर
टू पियर का सेटअप सामान्यतः छोटी संश्था , जैसे सायबर कैफ़े में किया जा सकता है जहा नेटवर्क
सिक्यूरिटी प्राथमिक नहीं होती है
Client Server Network
पियर टु पियर
नेटवर्क में हर कंप्यूटर में दो लेन की जरुरत होती है इसमें सभी कंप्यूटर सीरीज
में जुड़े होते है। यदि बीच का कंप्यूटर बंद है या ख़राब है तो उससे जुड़े कंप्यूटर
का पहले वाले कंप्यूटर से Connection बंद हो जाता है यह नेटवर्क सिर्फ दो कंप्यूटर को आपस में
जोड़ने के लिए ठीक होता है।
क्लाइंट-सर्वर
आर्किटेक्चर (क्लाइंट / सर्वर) एक नेटवर्क आर्किटेक्चर है जिसमें नेटवर्क पर
प्रत्येक कंप्यूटर या तो क्लाइंट या सर्वर होता है। जिसमें सर्वर क्लाइंट द्वारा
उपभोग किए जाने वाले अधिकांश संसाधनों और सेवाओं को होस्ट करता है, वितरित
करता है और प्रबंधित करता है। इस प्रकार के आर्किटेक्चर में नेटवर्क या इंटरनेट
कनेक्शन पर केंद्रीय सर्वर से जुड़े एक या अधिक क्लाइंट कंप्यूटर होते हैं। क्लाइंट
/ सर्वर आर्किटेक्चर को नेटवर्किंग कंप्यूटिंग मॉडल या क्लाइंट / सर्वर नेटवर्क के
रूप में भी जाना जाता है क्योंकि सभी अनुरोध और सेवाएं नेटवर्क पर वितरित की जाती
हैं। सर्वर कंप्यूटर या डिस्क ड्राइव (फ़ाइल सर्वर), प्रिंटर (प्रिंट सर्वर), या
नेटवर्क यातायात (नेटवर्क सर्वर) के प्रबंधन के लिए समर्पित प्रक्रियाएं हैं।
क्लाइंट पीसी या वर्कस्टेशन हैं जिन पर उपयोगकर्ता एप्लिकेशन चलाते हैं। क्लाइंट
संसाधनों के लिए सर्वर पर भरोसा करते हैं, जैसे फाइल, डिवाइस और यहां तक कि प्रोसेसिंग पावर।
नेटवर्क
ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं (Features of Network Operating System)
ü प्रत्येक कम्प्यूटर का अपना
प्राइवेट ऑपरेटिंग सिस्टम होता हैं।
ü प्रत्येक यूजर अपने सिस्टम (कम्प्यूटर)
पर काम करता है, किसी
अन्य सिस्टम का उपयोग करने के लिए उस सिस्टम में रिमोट लॉगइन (remote login) करने
की आवश्यकता होती हैं।
ü प्रत्येक यूजर इस बात से अवगत
होते हैं कि उनके फाइल्स नेटवर्क में कहां (किस सिस्टम में) रखे हुए हैं। अत:
यूजर अपने फाइल्स को फाइल ट्रान्सफर कमाण्ड्स (File Transfer
Commands) द्वारा एक सिस्टम से
दूसरे सिस्टम में मूव (move) कर सकते हैं।
Q.4 टीसीपी/आईपी क्या है?
Ans .TCP/ IP यानी
टीसीपी/आईपी दो तरह के प्रोटोकॉल होते हैं, जिनका
प्रयोग इन्टरनेट की संरचना में होता है। प्रोटोकॉल एक प्रकार के नियम होते हैं, जिनका पालन करना किसी भी कार्य के लिए जरूरी होता है। यह नियमों
का एक समूह है, जो
इंटरनेट कैसे कार्य करता है यह निर्णय करता है । यह दो कम्प्यूटर के बीच सूचना
स्थान्तरण और संचार को संभव करता है । इनका प्रयोग डाटा को सुरक्षित ढंग से भेजने
के लिए किया जाता है । टी सी पी की भूमिका डाटा को छोटे-छोटे भागों में बाँटने की
होती है और आई पी इन पैकिटों पर लक्ष्य स्थल का पता अंकित करता है । TCP/IP इंटरनेट में उपलब्ध प्रोटोकॉल है ।
जिनके जरिये इन्टरनेट, नेटवर्क
या अन्य इन्टरनेट Device के
मध्य सूचनाओ का आदान प्रदान होता है । TCP/IP कंप्यूटर व नेटवर्क के मध्य
कम्युनिकेशन बनाने वाले प्रोटोकॉल्स का एक समूह होते है । जिनके जरिये हम अपने
मोबाइल और अन्य Device की
मदत से इन्टरनेट से सूचना का आदान प्रदान कर सकते है ।
TCP/IP प्रोटोकॉल इन्टरनेट में डाटा को
सुरक्षित रखते हुए उस डाटा को उसके निश्चित स्थान तक पहुचाते है । TCP (ट्रांसमिशन कण्ट्रोल प्रोटोकॉल) एक
पुरे डाटा को छोटे छोटे डाटा पैकेट के रूप में विभाजित कर देता है । और इसे
इन्टरनेट में भेज देता है । अब IP
(इन्टरनेट प्रोटोकॉल) इस डाटा को उसके Destination Point तक पहुचाता है
। जिससे इन्टरनेट व नेटवर्क के बीच कम्युनिकेशन स्थापित हो जाता है । इन दोनों
प्रोटोकॉल में बिना इन्टरनेट में कम्युनिकेशन संभव नहीं है ।
Q 5 linux क्या है ? इसके structure का
विस्तृत विवरण दीजिये !
Ans
Linux एक
ऑपरेटिंग सिस्टम है।
आॅपरेटिंग सिस्टम एक तरह का कम्प्यूटर का कण्ट्रोल प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर के
समस्त क्रियाकलापो अर्थात कार्याें पर नियंत्रण रखता है Linux अन्य आॅपरेटिंग सिस्टम जैसे MS Dos, P.C. Dos, तथा Win -95 /98 आॅपरेटिंग की
तरह ही एक सॉफ्टवेयर होता है।
Linux एक multi operating System है, जो Intel 80386 पर्सनल कम्न्यूटर पर उपयोग करने के
लिए डिजाइन किया गया। लाइनक्स के विकास की शुरूआत 1960 के दशक में हुई। सन् 1968 में AT & T बेल प्रयोगशाला के शोधकर्ताओं ने
संयुक्त प्रयत्न से एक आॅपरेटिंग बनाया जिसे MULTICS ( Multiplexed Information Computer System कहा
गया, इसके
बाद 1969 में
UNIX का विकास किया
गया। Linux का
विकास UNIX से
ही हुआ है। लाइनक्स का विकास टोरवैल्ड ने किया | सन् 1991 में इसका पहला वर्जन 0.11 रिलीज किया गया। Linux का Graphical interface, X window System पर
आधारित है |
लिनक्स UNIX ऑपरेटिंग सिस्टम के लोकप्रिय वर्जन
में से एक है। यह एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है क्योंकि इसका सोर्स कोड स्वतंत्र रूप
से उपलब्ध है। यह उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है। लिनक्स को UNIX संगतता को देखते हुए डिजाइन किया गया
था। इसकी कार्यक्षमता सूची UNIX
से काफी मिलती-जुलती है।
Linux ऑपरेटिंग सिस्टम के Architecture को 3 लेवल में Define किया गया है।
1. Kernal
2. Shell
3. User
Kernal:-
Linux
ऑपरेटिंग सिस्टम के Core
Part या main Program को कर्नल कहा जाता है। जो Computer
के Software
और Hardware
के बिच में Communication
कराने का कार्य करता है। कर्नल computer के सभी Hardware
Resource को control और manage करता है। साथ ही computer
के सभी Hardware
से डायरेक्टली interact करता है। Kernal
के द्वारा Memory
Management, Process management और कई प्रकार के Core
Operation को perform किया जाता है।
kernel के कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित है:-
1:- फाइल सिस्टम को मैनेज
करना.
2:- कंप्यूटर मैमोरी को
मैनेज करना.
3:- interrupt
को
हैंडल करना.
4:– डिवाइसों को मैनेज
करना.
5:- प्रोसेस को मैनेज
करना.
6:- मैमोरी में चल रहे
प्रोग्राम्स को schedule करना.
7:- users के मध्य resources
को
कैलकुलेट करना.
8:- errors
को
हैंडल करना.
Shell :-
Shell एक command interpreter है जिसमे command को execute किया जाता है। shell कर्नल और यूजर के बिच में इंटरफ़ेस का
कार्य करता है। shell यूजर
के द्वारा enter किये
गए कमांड को execution के
लिए kernal को transmit करता
है।
दुसरे शब्दों
में Shell, लिनक्स
ऑपरेटिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण पार्ट है जो यूजर और कर्नल के बिच में इंटरफ़ेस
का कार्य करता है। शेल को एक User Interface या Command Interpreter भी कहा जाता है। जो यूजर के द्वारा
दिए गए कमांड को इन्टरप्रेट कराता है। जिनके माध्यम से कंप्यूटर , यूजर के द्वारा इंटर किये गए कमांड को
read करता है। दुसरे
शब्दों में कहे तो यूजर shell के
द्वारा computer में
कमांड रन कर सकता है।
User : यह Linux ऑपरेटिंग सिस्टम का तीसरा लेयर है।
जिसमे यूजर ऑपरेटिंग
सिस्टम के
सर्विस का utilize करता
है।
Q.6 लिनक्स की विशेषताये क्या है
(FEATURE’S OF LINUX)
Ans
1. Linux is portable
Linux को सी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज में लिखा
गया है जिसका किसी प्रकार के कम्प्यूटर हार्डवेयर से सम्बन्ध नहीं रखा गया यह किसी
भी प्रकार के कम्प्यूटर पर चलाने में सक्षम है जैसे PCAT, MACINTOS
2. Linux is a multi user and multitasking O.S.
Linux में दी गई
मल्टी यूजर सुविधायें अन्य ऑपरेटिंग सिस्टमो की तुलना में अधिक शशक्त है ,लाइनेक्स में भी अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम
के सामान ही अनेक यूजर अकाउंट तो रख सकते है, लेकिन साथ ही अनेक यूजर एक login करके अपने कार्य कर सकते है इसके
अलावा यूजर अपना अलग-अलग डेस्क टॉप चुन सकते है । तथा स्वतंत्र रूप से अपनी अलग
डायरेक्टरी पासवर्ड दिया जा सकता है अर्थात कोई भी प्रयोक्ता किसी अन्य प्रयोक्ता
की डायरेक्ट्री में किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकता है
3. Network information service
विभिन्न प्रकार
के कई कम्प्यूटर को आपस में जोड़कर उनका उपयोग करने के लिए एक जाल स्वरूप
संरचना बनायी जाती है। जिसे नेटवर्किंग कहते है। लाइनेक्स विशेष रूप से नेटवर्किंग में कार्य
करने के लिये विकसित किया गया है। लाइनेक्स के द्वारा हम पासवर्ड को शेयर कर सकते है तथा फाईलो को
समूहों में बाटकर नेटवर्क पर उपयोग में ला सकते है।
4. Multitasking
लाइनेक्स में
किसी प्रोग्राम को छोटे छोटे कार्यों में विभाजित कर दिया जाता है। कई कार्यों को एक साथ किसी तरह से
करने की आपरेटिंग सिस्टम की क्षमता को ही मल्टीटास्किंग कहते है।
5. Virtual Memory
यदि हम किसी
बड़े प्रोग्राम या एप्लीकेशन को संपादित करते है। तो हमें कुछ फिजिकल मेमोरी की आवश्यकता होती है जो
कि हार्ड डिस्क में जमा कर दी जाती है और आवश्यकता पड़ने पर इसे उपयोग में लाया जा सकता
है।
6. Linux is open
Linux distribution के साथ इसके source code भी उपलब्ध होते
है जिसे हम अपनी आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकते है ,इस अर्थ में लाइनेक्स एक खुला सिस्टम
है।
7 . Multi programming
लिनक्स एक
मल्टीग्रोमिंग सिस्टम है, जिसका
अर्थ है कि एक ही समय में कई एप्लिकेशन चल सकते हैं।
8. Hierarchical File System
लिनक्स एक
स्टैंडर्ड फ़ाइल स्ट्रक्चर प्रदान करता है जिसमें सिस्टम फाइलें / उपयोगकर्ता
फाइलें व्यवस्थित होती हैं।
9. Shell
लिनक्स एक
विशेष इंटर प्रिटर प्रोग्राम प्रदान करता है जिसका उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम के कमांड
को एक्सिक्यूट करने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन, कॉल एप्लिकेशन प्रोग्राम करने के लिए
किया जा सकता है|
10. Security
लिनक्स
उपयोगकर्ता सुरक्षा प्रदान करता है जैसे पासवर्ड सुरक्षा / विशिष्ट फ़ाइलों के लिए
नियंत्रित उपयोग / डेटा का एन्क्रिप्शन।
Q.7 What do you mean by Linux Desktop?
Ans विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम की तरह
लाइनेक्स में भी डेस्कटॉप इन्वायरमेंट उपलब्ध है मदद से हम लिनक्स में Windows की तरह जीयूआई में काम कर सकते हैं।
हालांकि लाइनेक्स का GUI पूरी
तरह Windows के
समान यूजर फ्रेंडली नहीं है। लेकिन बहुत सारे कार्यों के लिए लिनक्स में भी Windows के समान आइकॉन, इमेज, ग्राफिक और मेन्यु मिल जाते हैं, जिन्हें यूजर माउस की सहायता से ऑपरेट कर सकता है।
लाइनेक्स
ऑपरेटिंग सिस्टम में
मुख्यतः दो प्रकार के डेस्कटॉप
एनवायरमेंट का
उपयोग किया जाता है।
GNOME Desktop Environment
KDE Desktop Environment
GNOME का पूरा नाम GNU Network Object Model Environment है । लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के
प्रारंभ होते ही Windows के
डेस्कटॉप के समान एक स्क्रीन
प्रदर्शित होती
है। जिसके सबसे नीचे में Windows के Task bar के
समान एक पैनल होता है। स्क्रीन में पैनल की ऊपरी बाया भाग पर कुछ आइकॉन होते हैं। जैसे Trash, User, Computer इत्यादि। आइकॉन एप्लीकेशन को प्रारंभ करने तथा उससे संबंधित
ऑप्शन को ओपन करने के लिए होते हैं। एप्लीकेशन को स्टार्ट करने वाला आइकॉन एप्लीकेशन के अनुसार अलग अलग होता है।
KDE का पूरा नाम K Desktop Environment है।
KDE Environment भी बहुत हद तक GNOME Environment की
तरह है। जिसमे GNOME की
तरह डेस्कटॉप स्कीन और पैनल होता है। तथा इसमें भी डेस्कटॉप स्क्रीन के बाएं
हिस्से में आइकॉन होते है जैसे:- Autostart, Trash और Printer इत्यादि।
जब यूजर KDE Desktop Environment में पहली बार login करता है तब एक Setup Wizard चालू हो जाता है। जिसके मदद से User डेस्कटॉप पर
आइकॉन को Create और Manage कर सकता है।
डेस्कटॉप पर
दिखाई देने वाले तीनो मुख्य आइकन Home, Start here, Trash की आवश्यकता
होती है |
Q.8 What is shell ?
Ans Shell एक कमांड इंटरप्रेटर
होता है जो कि यूज़र तथा ऑपरेटिंग सिस्टम के मध्य interactive तथा non-interactive
इंटरफ़ेस
उपलब्ध कराता है।
यूजर
shell के माध्यम से ऑपरेटिंग सिस्टम में निम्न प्रकार से कार्य कर सकते
है;
यूजर
कमांड लाइन में कमांड को enter करता है, वह
shell के द्वारा interpreted होती है तथा उसके बाद इसको kernel
को
भेज दिया जाता है। इसके बाद kernel हार्डवेयर को एक्सेस करता है और
कमांड के result(परिणाम) को shell को वापस भेज देता है।
शैल के प्रकार (Types of Shell):
- C Shell –
बिल जॉय ने इसे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में बर्कले
में बनाया। इसमें एलियासेस और कमांड हिस्ट्री जैसे फीचर्स शामिल थे। इसमें
बिल्ट-इन अंकगणित और सी-लाइक एक्सप्रेशन सिंटैक्स जैसी सहायक प्रोग्रामिंग
सुविधाएँ शामिल हैं।
- The Bourne Shell –
इसे स्टीव बॉर्न ने एटी एंड टी बेल लैब्स में लिखा था।
यह मूल UNIX शेल है। यह तेज और अधिक पसंदीदा
है। इसमें अंतःक्रियात्मक उपयोग के लिए सुविधाओं की कमी है जैसे कि पिछले आदेशों
को याद करने की क्षमता। इसमें बिल्ट-इन अंकगणित और तार्किक अभिव्यक्ति हैंडलिंग का
भी अभाव है। यह Solaris OS के लिए डिफ़ॉल्ट शेल है।
- The Korn Shell
यह एटी एंड टी बेल लैब्स में डेविड कोर्न द्वारा लिखा
गया था। यह बॉर्न शेल का एक सुपरसेट है। यह बॉर्न शेल में सब कुछ का समर्थन करता
है। इसमें इंटरएक्टिव विशेषताएं हैं। इसमें बिल्ट-इन अंकगणित और सी-लाइक एरे, फ़ंक्शंस और स्ट्रिंग-मैनिपुलेशन सुविधाएं शामिल हैं।
यह सी शेल से तेज़ है। यह सी शेल के लिए लिखी गई स्क्रिप्ट के अनुकूल है।
- GNU Bourne-Again Shell –
यह बॉर्न शेल के अनुकूल है। इसमें कोर्न और बॉर्बे शेल
की विशेषताएं शामिल हैं।
Q.9 Define different shell
Commands ?
Ans. Shell accept
human readable commands from the user and convert them into something which
kernel can understand. It is a command language interpreter that execute
commands read from input devices such as keyboards or from files. The shell
gets started when the user logs in or start the terminal.
1). Displaying the file
contents on the terminal:
cat : It is generally used to concatenate the files. It
gives the output on the standard output
more : It is a filter for paging through text one screenful at a time
less : It is used to viewing the files instead of opening the file. Similar to more command but it allows backward as well as forward movement.
2). File and
Directory Manipulation Commands:
mkdir : Used to create
a directory if not already exist. It accepts directory name as input parameter.
cp : This command
will copy the files and directories from source path to destination path. It
can copy a file/directory with new name to the destination path. It accepts
source file/directory and destination file/directory.
rm : Used to remove
files or directories
3). Extract, sort and filter
data Commands:
grep : This command is used
to search for the specified text in a file
sort : This
commands is used to sort the contents of files
4). Basic Terminal Navigation
Commands:
ls : To get the list of
all the files or folders.
cd : Used to change the
directory.
du : Show disk usage.
pwd : Show the present
working directory.
man : Used to show the
manual of any command present in Linux.
rmdir : It is used to delete
a directory if it is empty.
5) User
Related Commands
Who
:- who command lists all users currently on system.
Q.10 What is I/O redirection?
Ans रिडायरेक्शन लिनक्स
में एक विशेषता है जैसे कि एक कमांड निष्पादित करते समय, आप मानक इनपुट / आउटपुट
डिवाइस को बदल सकते हैं। किसी भी लिनक्स कमांड का मूल वर्कफ़्लो यह है कि यह एक
इनपुट लेता है और एक आउटपुट देता है।
standard input (stdin) उपकरण कीबोर्ड है।
standard output (stdout) डिवाइस स्क्रीन है।
पुनर्निर्देशन के
साथ, उपरोक्त मानक इनपुट / आउटपुट को बदला जा सकता है।
Output Redirection
The '>' symbol is used for
output (STDOUT) redirection.
Input redirection
The '<' symbol is used for
input(STDIN) redirection
Q.11. What is Pipelines?
Q.11 पाइपलाइन क्या है?
Ans एक पाइप पुनर्निर्देशन का एक
रूप है जिसका उपयोग लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में एक प्रोग्राम के आउटपुट को दूसरे
प्रोग्राम में आगे की प्रक्रिया के लिए भेजने के लिए किया जाता है। रीडायरेक्शन
मानक आउटपुट को कुछ अन्य गंतव्य पर स्थानांतरित करना है, जैसे डिस्प्ले मॉनिटर (जो कि इसका डिफ़ॉल्ट गंतव्य है) के बजाय एक
अन्य प्रोग्राम, एक फ़ाइल या प्रिंटर। मानक
आउटपुट, जिसे कभी-कभी संक्षिप्त किया जाता है, कमांड लाइन (यानी, ऑल-टेक्स्ट मोड) कार्यक्रमों से आउटपुट का गंतव्य है। पाइप्स का
उपयोग यह बनाने के लिए किया जाता है कि कमांड की पाइपलाइन के रूप में क्या कल्पना
की जा सकती है, जो कि दो या अधिक सरल
कार्यक्रमों के बीच एक अस्थायी प्रत्यक्ष संबंध है। यह कनेक्शन कुछ अत्यधिक
विशिष्ट कार्यों के प्रदर्शन को संभव बनाता है जो कि कोई भी घटक कार्यक्रम स्वयं
नहीं कर सकता है। कार्यक्रमों के बीच यह सीधा संबंध उन्हें एक साथ काम करने की
अनुमति देता है और अस्थायी पाठ फ़ाइलों के माध्यम से या डिस्प्ले स्क्रीन के
माध्यम से इसे पारित करने और अगले कार्यक्रम शुरू होने से पहले एक कार्यक्रम के
पूरा होने के लिए इंतजार करने की बजाय लगातार उनके बीच डेटा स्थानांतरित करने की
अनुमति देता है।
Q.12. What is Vi – Editor?
Ans Linux में vi
Editor एक
text editor है। यह सभी linux distributions में पाया जाता है और एक
समान ही कार्य करता है।
Vi बहुत ही user
friendly और
powerful text editor है।
vi editor पूरी तरह commands
के
ऊपर based Editor है।
इस editor को उपयोग करके terminal
से
ही आप computer की सभी files एंड Folders को access कर सकते हैं
जैसे किसी file को edit कर सकते है, हालाँकि vi
editor command based है
लेकिन यह किसी भी दूसरे operating
system में
available text editor से किसी भी प्रकार कम नहीं है।
vi Editor को memory की बहुत कम मात्रा की
जरूरत होती है , फलस्वरूप
यह प्रभावी ऑपरेशन प्रदान करता है ।
vi Editor में तीन विभिन्न मोड्स
होते हैं जिन्हें नीचे Listed किया गया है :-
1. Command Mode
2. Input Mode
3. Ex Mode Or Last Line
Mode
Q.13 What is Cyber Crimes?
साइबर अपराध क्या है
Ans Cybercrime एक ऐसी illegal
activity है, जिसमे अपराध को अंजाम देने के लिए digital
technologies (Computer, Internet) को use में लिया गया हो. इन Cybercrime
से किसी person या nation की security
और financial health को बड़ा threat हो सकता है. साइबर अपराधों में
विभिन्न types की criminal activity शामिल होती है, जिसमे identity
fraud, data theft, viruses attack, online fraud, child pornography इत्यादि include
है.
इन crimes
को करने वाले अपराधियों को Cybercriminals कहते है. ये computing
device को use में लेकर किसी व्यक्ति की personal
information, secret business information और government information को access
करने कोशिश करते है. हालांकि एक आम व्यक्ति
भी जाने-अनजाने internet
पर Cybercrime कर सकता है.
साइबर क्राइम के
उदाहरण
नीचे
different
types के Cybercrime की list दी गयी है.
1.
Thiefs किसी Social networks से person की identity को illegally प्राप्त करते है ताकि वह आपकी fake id बनाकर उसका misuse कर सके.
2.
Online transaction fraud भी Cybercrime का एक बेहतरीन example है. ये कई तरीके से किया जा सकता है
जिसमे criminals
आपके plastic card की details को collect करके
आपके bank
account को खाली कर देते है.
3.
Malicious software (adware, spyware, computer virus, etc.) को develop करना या उसे distribute करना
किसी system
तक ये भी Cybercrime के अंतर्गत आता है.
4.
बिना permission के किसी person या organization के Copyright content को use करना भी crime है.
5.
Social media पर अन्य person के against कोई inappropriate post या indecent comment करना भी साइबर अपराध है.
6.
अवैध समान (illicit goods) जैसे drugs व guns को online purchase या sell करना भी Cybercrime का हिस्सा है.
7.
Child pornography बनाना
या उसका ऑनलाइन व्यापार करना ये भी गंभीर साइबर अपराध है.
8.
किसी copyrighted किये गए Software को copy अथवा use करना
वो भी बिना खरीदे.
9.
बिना किसी prior approval के हजारों लोगों को spam emails distribute करना.
10.
Computer और network का access gain करने की कोशिश करना या system को crash करना
Cybercrime है.
Q.14 Explain the term Cyber Law.
Technology के उप्पर बढ़ती हमारी
dependency के कारण आज के समय Cyber law की importance बहुत अधिक बढ़ चुकी
है. Cybercrime के विरुद्ध बनाये ये
laws हमे किसी भी तरह के digital crime से protect करते है. भारत मे Cybersecurity laws की शुरुवात 2008 में IT act 2000 को लागू करके की गई
थी. इस law अंतर्गत different types के crime को cover किया गया था.
IT act का उद्देश्य हमे:
·
E-transaction के लिए कानूनी
मान्यता प्रदान करना
·
Digital signature को स्वीकार करने के
लिए उसे valid signature की कानूनी मान्यता
देना
·
Bankers और दूसरी organizations को electronic accounting book रखने की legal recognition देना
·
Online privacy और Cybercrime से protection प्रदान करना था
हालांकि IT act के लागू होने के बाद
इसमें कई बदलाव किए गए और कुछ ही सालों में almost सभी online activity इसके under आ गयी. ये जरूरी भी है, यदि हम digitally grow करना चाहते है तो हमे cybersecurity risk को कम करना होगा. तो कुल मिलाकर Cyberspace को secure करने के लिए ये
कानून लाया गया.
भारत मे इन cyber law का मुख्य उद्देश्य
कंप्यूटर अपराध, ऑनलाइन डेटा की चोरी, और इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन में होने वाली धोखाधड़ी को रोकना है. इसके अलावा cyber criminals के लिए विभिन्न प्रकार के IT act sections बनाये गए है, जिनके अंतर्गत उनको punishment दी जाती है.
State whether the following statements are True or False:
a. Network
Operating System runs on server and provide the capability to manage data.
नेटवर्क
ऑपरेटिंग सिस्टम सर्वर पर चलता है और डेटा को प्रबंधित करने की क्षमता प्रदान करता
है।
b. An IP address
consist of 16 bits of information.
एक आईपी address
में 16 बिट्स की जानकारी होती है।
c. Linux is a
single user OS.
linux में एक ही यूजर OS
होता है !
d. Vi editor
stands for visual editor.
e. Linux has
hierarchical file system.
लिनक्स में
पदानुक्रमित फ़ाइल सिस्टम है
f. who command
lists all users currently working on system.
g. pwd stands for print working directory.
h. rmdir is used
for renaming the directory.
i. netset
command displays network status.
j. grep searches
the named input files for lines containing a match to the given pattern.
k. mkdir is used
to move the directory or file from one place to other.
l. Pipe connects
the output of one command to input of other command.
m. The law
governing the cyber space is known as cyber law.
साइबर स्पेस को
नियंत्रित करने वाले कानून को साइबर कानून के रूप में जाना जाता है।
Sol.: a. True b. False c. False d. True e. True f. True g. True h. False i. False j. True k. False l. True m. True
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