Tuesday, February 26, 2019

IMPORTANT TOPICS (CS 10+2)

UNIT I-Network Operating System


***नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Network Operating System)

नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्‍टम क्या है ?

प्रत्येक कंप्यूटिंग डिवाइस को कार्य करने के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है! इसी प्रकार से नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर नेटवर्क पर विभिन्न उपकरणों को नियंत्रित करता है और एक दूसरे के मध्य संवाद स्थापित करता है। नेटवर्क को सुचारू रूप से चलाने के लिए नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम एक निर्देशक के रूप में कार्य करता है।
नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक उद्देश्य एक नेटवर्क से जुड़े कई कंप्यूटरों के बीच फ़ाइल साझा(File sharing) और प्रिंटर का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करना है!

नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरणों में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज सर्वर 2003, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज सर्वर 2008, यूनिक्स, लिनक्स, मैक ओएस एक्स(Mac OS X), नोवेल नेटवेयर(Novell NetWare) और बीएसडी(BSD) शामिल हैं!

***नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्‍टम की विशेषताएं (Features of Network Operating System)

नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्‍टम की निम्‍नलिखित प्रमुख विशेषताएं हैं, जो इसे डिस्ट्रिब्‍यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम से भिन्‍न करती हैं

1.प्रत्येक कम्‍प्‍यूटर का अपना प्राइवेट ऑपरेटिंग सिस्‍टम होता हैं।

2.प्रत्‍येक यूजर अपने सिस्‍टम (कम्‍प्‍यूटर) पर काम करता है, किसी अन्‍य सिस्‍टम का उपयोग करने के लिए उस सिस्‍टम में रिमोट लॉगइन (remote login) करने की आवश्‍यकता होती हैं।

3. प्रत्‍येक यूजर इस बात से अवगत होते हैं कि उनके फाइल्‍स नेटवर्क में कहां (किस सिस्‍टम में) रखे हुए हैं। अत: यूजर अपने फाइल्‍स को फाइल ट्रान्‍सफर कमाण्‍ड्स (File Transfer Commands) द्वारा एक सिस्‍टम से दूसरे सिस्‍टम में मूव (move) कर सकते हैं।

4. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्‍टम की क्षमताओं (capabilities) के अन्‍तर्गत यूजर्स को नेटवर्क हॉस्‍ट्स के विभिन्‍न रिसोर्सेस को एक्‍सेस करने की अनुमति प्रदान करना।

5. एक्‍सेस को नियंत्रित (Control) करना ताकि नेटवर्क के किसी खास रिसोर्सेस को वे यूजर्स ही एक्‍सेस कर सकें, जिन्‍हें उचित ऑथराइजेशन (proper authorization) प्रदान की गई हों।


6. यूजर्स को रिमोट रिसोर्सेस का उपयोग लोकल रिसोर्सेस के समान करने की क्षमता प्रदान करना।

7. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्‍टम एक ऐसी वातावरण प्रदान करता हैं, जिसमें यूजर्स रिमोट रिसोर्सेस को उचित रिमोट मशीन (appropriate remote machine) में लॉग इन (login) कर एक्‍सेस कर सकता है। रिमोट (Remote) एक महत्‍वपूर्ण फंक्‍शन (Function) हैं, जो यूजर्स को किसी भी रिमोट कम्‍प्‍यूटर में लॉगइन (login) करने की सुविधा प्रदान करता हैं।

नेटव‍र्क ऑपरेटिंग सिस्‍टम का दूसरा प्रमुख कार्य फाइल को एक कम्‍प्‍यूटर से दूसरे कम्‍प्‍यूटर में ट्रान्‍सफर करना हैं। फाइल को नेटवर्क इनवायरमेंट में एक मशीन से दूसरे मशीन में ट्रान्‍सफर करने के मेकेनिज्‍म (mechanism) को रिमोट फाइल ट्रान्‍सफर (Remote File Transfer) कहा जाता है।


***लिनक्स क्या है (Linux Operating System)?

Linux OS, UNIX operating System का एक बहुत ही popular version है. ये एक open source software है क्यूंकि इसकी source code internet में freely available है. इसके साथ इसे आप बिलकुल से Free में इस्तमाल कर सकते हैं, कहने का मतलब है की ये पूरी तरह से free है. Linux को UNIX की compatibility को नज़र में रखकर designed किया गया था. इसलिए इसकी functionality list प्राय UNIX से मिलती झूलती है. Linux Os open source होने के कारण इसे developers अपने जरुरत के अनुसार customize कर सकते हैं. इसके साथ ये Computer के लिए बहुत ही reliable Operating system है।


***Linux की शुरुवात कैसे हुई(History)?

Linux को Linus Torvalds ने सन 1991 में create किया था, जब वो एक university student थे University of Helsinki में. Torvalds ने Linux को एक free और Minix Os का open source alternative के तोर पर बनाया था, जो की एक दूसरा Unix clone था और जिसे मुख्य रूप से academic settings में इस्तमाल किया जाता था. उन्होंने सबसे पहले इसका नाम “Freax” रखने का सोचा था लेकिन उस Server के administrator ने जिसे की Torvalds ने अपने Origonal code को distribute करने के लिए चुना थाm उसने उनकी directory का नाम “Linux” जो की एक combination था Torvalds’ के पहले नाम और Unix का. ये नाम सुनने में इतना अच्छा लगा की इसे बाद में और बदला नहीं गया.


Linux System के Components

देखा जाये तो Linux Operating System के मुख्य रूप से तीन components होते हैं


***1. Kernel –कर्नल क्या हैं? (What is kernel)

Kernel, Linux Operating System की कोर प्रोग्राम होती है। Kernelएक ऐसा प्रोग्राम हेै जो कि कम्प्यूटर हार्डवेयर के संसाधनों को नियंत्रित करके उनका उचित उपयोग यूजर से करवाता है। जैसे ही कम्प्यूटर Start होता है कर्नल लांच हो जाता है। और कम्प्यूटर के आॅफ होने तक लोड रहता है। यह इस बात पर निर्भर नही करता कि आप कौन से साफ्टवेयर या शैल को रन कर रहे है।



2. System Library − System libraries उन special functions या programs को कहा जाता है जिन्हें इस्तमाल कर application programs या system utility Kernel के features को access करती हैं. ये libraries operating system के प्राय सभी functionalities को implement करती हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए kernel module’s code access rights की भी जरुरत नहीं पड़ती है.


3. System Utility − System Utility उन programs को कहते हैं जो की दुसरे specialized, और individual level tasks करने के लिए उत्तरदायी होते हैं.



***Linux Operating System के Basic Features(Advantages):

यहाँ पर में आप लोगों को Linux Operating System के कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण features के विषय में बताने वाला हूँ.

1. Portable − Portability का मतलब है की यह software सभी तरह के hardware में सामान ढंग से चल सकता है. Linux kernel और application programs प्राय सभी Hardware platform support करते हैं.


2. Open Source − Linux source code freely available है और ये एक community-based development project है. Multiple teams collaboration करके काम करते हैं जिससे Linux operating system की capacity को enhance किया जा सके और इसलिए ये हमेशा evolve हो रहा है.


3. Multi-User − Linux एक multiuser system है जिसका मतलब है की multiple users एक ही समय में इसके सभी system resources जैसे की memory/ ram/ application programs को इस्तमाल कर सकें.


4. Multiprogramming − Linux एक multiprogramming system है जिसका मतलब यह है की multiple applications एक साथ में run हो सकते हैं वो भी एक ही समय में.


5. Hierarchical File System − Linux एक standard file structure प्रदान करती है जिससे system files/ user files को आसानी से arranged किया जा सके.


6. Shell − Linux एक special interpreter program भी प्रदान करता है जिका इस्तमाल operating system के commands को execute करना होता है. इसके साथ इसका इस्तमाल दुसरे अलग अलग operations, call application programs को करने के लिए भी किया जाता है.


7. Security − Linux बहुत ही अच्छे security feature भी प्रदान करता है users को जैसे की password protection/ controlled access कुछ specific files/ यहाँ तक की data encryption इत्यादि.


**लिनक्स फाइल सिस्टम (Linux file system)

हार्ड डिस्क में हजारो फाईले संग्रहित रहती है इन फाईलो के अलग- अलग समूहों को अलग अलग डायरेक्टरीयो में रखकर बनने वाली संरचना फाइल सिस्टम कहलाती है, किसी भी हार्ड डिस्क पार्टीशन में संगृहित फाईलो की hierarchy तथा डायरेक्टरी की संरचना फाइल सिस्टम कहलाती है|

माइक्रोसॉफ्ट डॉस या विंडोज के समान ही लाइनेक्स में हार्ड डिस्क ड्राइव की प्रथम या मूल डायरेक्ट्री रूट डायरेक्ट्री कहलाती है, तथा जिस प्रकार विंडोज वातावरण में रूट डायरेक्ट्री के अंतर्गत my document, recycle bin ,programs file आदि प्रमुख सबडायरेक्टरीया मिलती है ,जिनमे से प्रत्येक डायरेक्ट्री की अपनी विशिष्ट भूमिका होती है उसी प्रकार लाइनेक्स में भी हमे रूट डायरेक्ट्री के अंतर्गत- bin, boot, dev, home, lib, user आदि सब डायरेक्टरी बनी बनाई मिलती है जिनमे विभिन्न श्रेणियों से सम्बंधित अलग-अलग फाइल संगृहित होती है |प्रमुख डायरेक्टरी निम्न प्रकार से है –

Root Directory 
|–binडायरेक्ट्री (लाइनक्स के आवश्यक यूटिलिटी प्रोग्रामो का संग्रह) 
|–boot डायरेक्ट्री (लाइनक्स के बूटिंग सम्बंधित सूचनाओ का संग्रह) 
|–dev डायरेक्ट्री (उपकरणों जैसव हार्डडिस्क, प्रिंटर आदि से सम्बंधित फाईले ) 
|–etc डायरेक्ट्री (विभिन्न कोंफिगारेशन फाईलो का संग्रह) 
|–home डायरेक्ट्री (विभिन्न यूजर्स डायरेक्टरीयो का संग्रह) 
|–User 1 
|–Lib डायरेक्ट्री (सॉफ्टवेयर लायब्रेरीकर्नेल मोड्यूल आदि का संग्रह) 
|–mnt डायरेक्ट्री (इसके अंतर्गत हम अन्य संग्रहण उपकरणों के फाइल सिस्टम माउन्ट कर सकते है 



Useful Common Linux Commands
अगर आप Linux पहली बार इस्तेमाल करने वाले हैं और आपको Linux के बारे में पता भी नहीं है तब आपको basic common Linux commands के विषय में जरुर पता होना चाहिए. यहाँ पर में आप लोगों को लिनक्स कमांड इन हिंदी की list देने जा रहा हूँ जो की आपको आगे बहुत काम आने वाली हैं, ध्यान दें की मैंने यहाँ केवल command की list ही प्रदान की है न की उनके syntax, syntax के विषय में आप दुसरे जगह से सिख सकते हैं जो की बहुत है आसान है!


1. ls : ये current directory content को list कर देगी.

syntax: $ ls -l will list all the files in the root directory.
2. cd : इससे आप अपने current Directory को change कर सकते हैं.

syntax: $ cd
3. cat : इससे आप file content को screen पर display कर सकते हैं, इसके साथ text files को copy और combine भी कर सकते हैं.

syntax: $ cat copy >>abc.txt


4. chmod : इससे आप file permission को बदल सकते हैं.


5. chown : इससे आप file owner बदल सकते हैं.


6. clear : इससे आप clear screen कर सकते हैं fresh start के लिए.


7. df : इससे आप used और available disk space देख सकते हैं.


8. mkdir : इससे आप नया directory create कर सकते हैं.


9. date : इससे आप current system date और time को display कर सकते हैं.


10. du : इससे आप ये जान सकते हैं की कोन सी file कितनी जगह ली हुई है.


11. file : इससे आप file में मेह्जुद type of data को recognize कर सकते हैं.


12. find: इससे आप file में कोई भी term search कर सकते हैं.


13. man : इससे आप specific command के लिए help display कर सकते हैं.


14. cp : इससे आप files और folders copy कर सकते हैं.


15. mv : इससे आप files और Directory को rename और move कर सकते हैं.


17. lpr : इससे आप कोई भी file content print कर सकते हैं.


18. less : इससे आप file content को page by page देख सकते हैं.


19. tar : इससे आप कोई भी file को compress, create और extract tar file कर सकते हैं.


20. grep : इससे आप एक file में एक string को search कर सकते हैं.


21. ssh : इससे आप remote machine के साथ connect और login (encrypted & secure) कर सकते हैं.


22. su : इससे आप अलग user में switch कर सकते हैं.


23. rmdir : इससे आप empty directory remove कर सकते हैं.


24. rm : इससे आप files and directories (empty or non-empty) remove कर सकते हैं.


25. pwd : इससे आप current user working directory को display करवा सकते हैं.


26. ps : इससे आप running process id के साथ और दुसरे information को display करवा सकते हैं.


27. passwd : इससे आप user password बदल सकते हैं.


28. more : इससे कोई भी file page by page display कर सकते हैं.


29. kill : इससे आप कोई भी process को kill कर सकते हैं उनके process id की मदद से.


30. gzip : इससे आप एक compress file with .gz extension create कर सकते हैं.


31. unzip : इससे आप कोई file को unzip or uncompress कर सकते हैं.


32. shutdown : इससे machine को shutdown कर सकते हैं.


33. free : can be used to dhow


34. top : इससे आप top process को show कर सकते हैं CPU usage के अनुसार.


35. who : इससे आप current user के information को display कर सकते हैं जो की logged in हो.


36. whereis : इससे आप किसी भी command की location को प्राप्त कर सकते हैं (की वो कहाँ पर stored हैं)


37. whatis : इससे आप कोई भी command information एक single line में दिखा सकते हैं.


38. tail : इससे आप किसी भी file के last ten lines को print करवा सकते हैं.


39. wget : इससे किसी भी file को internet से download कर सकते हैं, rename कर सकते हैं और कहीं भी store कर सकते हैं.


***साइबर कानून क्या है? What is Cyber laws?
***साइबर कानून की आवश्यकता क्यों है?Need for Cyber laws
***साइबर कानून किसे कहते है?(Cyber laws)


परिचय(Introduction): आज, कंप्यूटरों को बड़े पैमाने पर गोपनीय डेटा राजनीतिक, सामाजिक भंडार करने के लिए उपयोग किया जाता है। इंटरनेट और कंप्यूटर आर्थिक, बैंकिंग डेटा या व्यक्तिगत प्रकृति, समाज को बहुत लाभ पहुंचाते हैं। इंटरनेट और कंप्यूटर प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास विश्व स्तर पर ट्रांससीशन क्रॉम के नए रूपों की वृद्धि के कारण विशेष रूप से इंटरनेट से संबंधित है।

साइबर अपराध की कोई सीमा नहीं हैं और ये पूरे विश्व को प्रभावित कर सकते हैं। इस प्रकार कंप्यूटर संबंधित अपराधों की रोकथाम के लिए सभी देशों में आवश्यक कानूनीकरण (कानून बनाने) की जागरूकता और अधिनियमन (अधिनियमित करने की प्रक्रिया) की आवश्यकता है।

साइबर कानून एक ऐसा शब्द है, जो इंटरनेट के सभी कानूनी और नियामक पहलुओं और दुनिया भर में वेब को दर्शाता है।

साइबर कानूनों की आवश्यकता-

1. किसी भी व्यक्ति को कंप्यूटर और एक टेलीफोन नेटवर्क के लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है। इंटरनेट के इस अनियंत्रित वृद्धि से साइबर कानूनों की आवश्यकता होती है।

2. इंटरनेट के लिए अविश्वास का कोई भी तत्व ऑनलाइन लोगों के साथ लेन–देन करने से बचने वाले लोगों की ओर इशारा कर सकता है जिससे ई–कॉमर्स के विकास में वृद्धि हो सकती है।

3. इंटरनेट का दुरुपयोग शारीरिक समाजों को सीधे नुकसान पहुंचा सकता है ऑनलाइन लेनदेन पर करों को लागू नहीं करना, भौतिक व्यवसायों और सरकारी राजस्व पर इसका असर पड़ सकता है।

4. इस समय भारत सरकार ने भारत में रुचि को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक साइबर कानूनों को लागू करने की आवश्यकता महसूस की है। यह इंटरनेट पर सभी पहलुओं, मुद्दों और कानूनी परिणाम, विश्वव्यापी वेब और साइबर विश्वास को दर्शाता है।

भारत में साइबर कानून

भारतीय साइबर कानून, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, 17 अक्टूबर 2000 को लागू हुआ। आईटी अधिनियम की धारा 43 में शामिल मामलों में 1 करोड़ रुपए तक मुआवजे के लिए प्रदान किया गया है।


इस कानून में शामिल हैं

–एक कंप्यूटर का अनाधिकृत उपयोग,
– डेटा के अनाधिकृत नकल, निकालने और डाउनलोड करने,
–वायरस, ट्रोजन इत्यादि का परिचय,
–एक कंप्यूटर या नेटवर्क को बाधित,
–किसी कंप्यूटर तक पहुंच को नकारते हुए,
–कम्प्यूटर से छेड़छाड़ करके वित्तीय अनियमितताओं को कमाने,
–कंप्यूटर तक अवैध पहुंच की सुविधा प्रदान करना।
–आईटी अधिनियम 2008

–जैसा कि लोकसभा में सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन विधेयक 2006 में संशोधन किया गया!


**लिनक्स और विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में फर्क(अन्तर )

1. Linux एक ओपन सोर्स operating system है. जो सभी के लिए free में उपलब्ध होता है. जबकि windows एक close source operating system है. जिसके लिए हमें पैसे paid करने पड़ते है. 

2. आज से 10 दस साल पुराने कंप्यूटर हार्डवेयर पर भी इस समय का लेटेस्ट linux काफी स्मूथली रन करेगा. जबकि windows का नया वर्शन इनस्टॉल नहीं होगा. 

3. linux हार्ड disk के unallocated हिस्से में ही इनस्टॉल होता है. जबकि windows operating system hard disk के पार्टीशन और NTFS या FAT में फॉर्मेट किये हुए हिस्से में इंस्टाल होता है. 

4. Linux operating पर virus attack का खतरा कम होता है. जबकि windows operating में virus का खतरा बहुत ज्यादा होता है. 

5. linux operating को ऑपरेट करना थोडा कठिन हो सकता है जबकि  windows operating सामान्य यूजर के लिए बेहतर है क्योकि इसका operating बहुत ही इजी है. 

6. Linux operating ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI) के साथ command line interface पर काम करता है जबकि इसका अधिकतर काम command line interface पर ही होता है. windows operating पूरी तरह से ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI) पर आधारित है. 

7.Linux operating से ऑफिस वर्क, विडियो एडिटिंग, एवं सामान्य वर्क के अलावा hacking और software cracking के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. जबकि windows operating से ऑफिस वर्क, विडियो एडिटिंग, एवं सामान्य वर्क के लिए ही किया जाता है. 

8. linux operating एक multi user and multitasking operating system है. जबकि windows एक single यूजर multi tasking operating system है. windows का सिर्फ नया वर्शन windows 10 ही multi user and multitasking operating system है. जबकि linux के पुराने वर्शन भी multi user and multitasking की खासियत वाले होते थे.

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