Friday, August 10, 2018

Important Topics-Hindi (CS-XI)


 

 

 

 

Himachal Pradesh Board Of Secondary Education

 

Class (10+1)

 

Subject: Computer Science  (कंप्यूटर विज्ञान)

 

Important Topics in Hindi

(महत्वपूर्ण विषय-हिंदी में)

 

 

 

 

 

 

UNIT-I Fundamentals of a Computer (कंप्यूटर का आधार)

1. कंप्यूटर क्या हैं ? What is a Computer?

Computer एक ऐसा Electronic Device है जो User द्वारा Input किये गए Data में प्रक्रिया करके सूचनाओं को Result या Output  के रूप में प्रदान करता हैं, अर्थात् Computer एक Electronic Machine है जो User द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करती हैं।  इसमें डेटा को स्टोर, पुनर्प्राप्त और प्रोसेस करने की क्षमता होती है। आप दस्तावेजों को टाइप करने, ईमेल भेजने, गेम खेलने और वेब ब्राउज़ करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग कर सकते हैं। आप स्प्रैडशीट्स, प्रस्तुतियों और यहां तक ​​कि वीडियो बनाने के लिए भी इसका उपयोग कर सकते हैं।

Computer शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के “COMPUTE” शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता हैगणना करना, लेकिन वर्तमान में इसका क्षेत्र केवल गणना करने तक सीमित न रहकर अत्यंत व्यापक हो चुका हैं। कम्प्यूटर अपनी उच्च संग्रह क्षमता (High Storage Capacity), गति (Speed), स्वचालन (Automation), क्षमता (Capacity), शुद्धता (Accuracy), बहुविज्ञता (Versatility), विश्वसनीयता (Reliability), याद रखने की शक्ति के कारण हमारे जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता जा रहा है। Computer द्वारा अधिक सूक्ष्म समय में अधिक तीव्र गति से गणनाएं की जा सकती है तथा इसके  द्वारा दिये गये परिणाम भी अधिक शुद्ध होते है।

कंप्यूटर User द्वारा Input किये गए डाटा को Process करके परिणाम को Output के रूप में प्रदान करता हैं

Output

Process

Input

                                                     

 

2. कंप्यूटर की विशेषताएं  (Features/ Characteristics of a Computer)

1. Speed (गति) - Computer किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर सकता है, Computer कुछ ही Second में गुणा, भाग, जोड़, घटाना जैसी लाखो क्रियाएँ कर सकता है यदि आपको 5067*4076 का मान ज्ञात करना है तो आपको 1 या 2 Minute का समय लगेगा, यही कार्य कैलकुलेटर से करने पर लगभग 1 या 2 Second का समय लगेगा पर कंप्यूटर ऐसी लाखों गणनाओ को कुछ ही seconds में कर सकता हैं

2. Automation (स्वचालन) - हम अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार की स्वचलित मशीनों का Use करते है Computer भी अपना पूरा कार्य स्वचलित (Automatic) तरीके से करता है कंप्यूटर अपना कार्य, प्रोग्राम के एक बार लोड हो जाने पर स्वत: करता रहता हैं।

3. Accuracy (शुद्धता) - Computer अपना सारा कार्य बिना किसी गलती के करता है, यदि आपको 10 अलग-अलग संख्याओ का गुणा करने के लिए कहा जाए तो आप इसमें कई बार गलती करेंगें, लेकिन साधारणत: Computer किसी भी Process को बिना किसी गलती के पूर्ण कर सकता है, Computer द्वारा गलती किये जाने का सबसे बड़ा कारण गलत Data Input करना होता है क्योकि यह स्वयं कभी कोई गलती नहीं करता हैं।

4. Versatility (बहुविज्ञता) - Computer अपनी बहुविज्ञता के कारण बढ़ी तेजी से सारी दुनिया में अपना प्रभुत्व जमा रहा है Computer गणितीय कार्यों को करने के साथ साथ व्यावसायिक कार्यों के लिए भी प्रयोग में लाया जाने लगा है। Computer का प्रयोग हर क्षेत्र में होने लगा है, जैसे- Banks, Railways, Airports, Businesses, Hospitals, Schools etc.

5. High Storage Capacity (उच्च संग्रहण क्षमता) -  एक Computer System में Data Store करने की अत्याधिक क्षमता होती है, Computer लाखो शब्दों को बहुत कम जगह में Store करके रख सकता है। यह सभी प्रकार के Data, Files, Picture, Video, Games आदि को कई बर्षो तक Store करके रख सकता है जिसे बाद में कभी भी कुछ ही Seconds में प्राप्त व इस्तेमाल किया जा सकता है।

7. Diligence (कर्मठता) - आज मानव किसी कार्य को निरंतर कुछ ही घंटो तक करने में थक जाता है इसके ठीक विपरीत Computer किसी कार्य को निरंतर कई घंटो, दिनों, महीनो तक करने की क्षमता रखता है इसके बावजूद उसके कार्य करने की क्षमता में न तो कोई कमी आती है और न ही कार्य के परिणाम की शुद्धता घटती हैं। Computer किसी भी दिए गए कार्य को बिना किसी भेदभाव के करता है चाहे वह कार्य रुचिकर हो या न हो।

8. Reliability (विश्वसनीयता) - Computer की accuracy और अत्याधिक Memory क्षमता की वजह से इसे विश्वसनीय माना जाता है क्यों कि यह वर्षों तक बिना थके कार्य करता है तथा Store की गई जानकारी को वर्षों बाद भी सही उपलब्ध करवाता हैं।

9. Power of Remembrance (याद रखने की क्षमता) - व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सारी बातें करता है लेकिन महत्वपूर्ण बातों को ही याद रखता है लेकिन Computer सभी तरह की जानकारी चाहे वो महत्वपूर्ण हो या ना हो, सभी को Memory के अंदर Store करके रखता है तथा बाद में किसी भी सूचना की आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराता हैं।

 

3. Applications of a Computer (कंप्यूटर के अनुप्रयोग)

वर्तमान में कम्प्यूटर का प्रयोग जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ कंप्यूटर का प्रयोग नहीं किया जा रहा हो । कंप्यूटर आज की जरुरत हो गयी है , कंप्यूटर से सभी काम आसान हो जाती है। वर्तमान समय में, निम्नलिखित क्षेत्रों में कंप्यूटर का अनुप्रयोग किया जा रहा है:-

(1) Education (शिक्षा) - शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का अनुप्रयोग बहुत बढ़ गया है। आज मल्टीमीडिया (Multimedia) के विकास और कम्प्यूटर आधारित शिक्षा ने इसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बना दिया है। इन्टरनेट के माध्यम से हम किसी भी विषय की जानकारी, कुछ ही क्षणों में प्राप्त कर सकते है।

(2) Communication (संचार) - आधुनिक संचार व्यवस्था, कम्प्यूटर के प्रयोग के बिना संभव नहीं है। टेलीफोन और इंटरनेट ने संचार क्रान्ति को जन्म दिया है। सोशल मीडिया ने संचार को सरल व सुलभ बनाया है।

(3) Data Processing (डाटा प्रोसेसिंग) - बड़े और विशाल सांख्यिकीय डाटा से सूचना तैयार करने में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। जनगणना, AADHAR (आधार), सांख्यिकीय विश्लेषण, परीक्षाओं के परिणाम आदि में इसका प्रयोग किया जा रहा है।

(4) Publishing (प्रकाशन) - प्रकाशन और छपाई में कम्प्यूटर का प्रयोग सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाता है। रेखाचित्रों और ग्राफ का निर्माण अब सुविधाजनक हो गया है। न्यूज़, बैनर, flyers, magazine आदि के प्रकाशन के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।

(5) Medicine (चिकित्सा) - शरीर के अंदर के रोगों का पता लगाने, उनका विश्लेषण और चिकत्सा में कम्प्यूटर का विस्तृत प्रयोग हो रहा है। सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड एक्स -रे, एमआरआई तथा विभिन्न जांचों में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है।

(6) Scientific Research (वैज्ञानिक अनुसंधान) - विज्ञान के अनेक जटिल रहस्यों को सुलझाने में कम्प्यूटर की सहायता ली जा रही है। कम्प्यूटर द्वारा परिस्थितियों का उचित आकलन संभव हो पाया है। आज वैज्ञानिक के सभी आविष्कारों से लेकर सभी प्रयोगों में कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है । रॉकेट, Satellite आदि को launch (प्रक्षेपण) करने में भी कंप्यूटर की मदद ली जाती है।

(7) Space Technology (अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी) - कम्प्यूटर के तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों , उपग्रहों और अंतरिक्ष की घटनाओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है।  कृत्रिम उपग्रहों में भी कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा हैं। मानवीय अंतरिक्ष यात्रा एवं प्रवास की परिकल्पना कम्प्यूटर पर ही आधारित हैं। बिना कम्प्यूटर के प्रयोग के अंतरिक्ष यात्राएं संभव नही है।

(8) बैंक (Bank) - कम्प्यूटर के अनुप्रयोग ने बैंकिंग क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। एटीएम (ATM Automatic Teller Machine) तथा ऑनलाइन बैंकिग, चेक के भुगतान, रुपया गिनना तथा पासबुक entry आदि कम्प्यूटर से होती है ।

(9) Recreation (मनोरंजन) - सिनेमा, टेलीविजन कार्यक्रम वीडियो गेम में कम्प्यूटर का उपयोग कर प्रभावी प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है। मल्टीमीडिया के प्रयोग ने कंप्यूटर को मनोरंजन का श्रेष्ठ साधन बना दिया है । कंप्यूटर के माध्यम से हम आज गेम खेल सकते है, फिल्म देख सकते है तथा और भी मनोरंजक कार्य कर सकते है।

(10) Industry & Business (उधोग व व्यापार) - उधोगो में कंप्यूटर के अनुप्रयोग से कार्य किया जा रहा है,जिस से बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है। व्यापार के कार्यों एवं स्टॉक मार्केट का लेखा-जोखा रखने में कम्प्यूटर सहयोगी सिद्ध हुआ है।

(11) Airlines and Railway Reservation (वायुयान और रेलवे आरक्षण) - कम्प्यूटर की सहायता से किसी भी स्थान से अन्य स्थानों के वायुयान और रेलवे के टिकट बुक किए जा सकते हैं। बस, ट्रैन व वायुयान की समयसारिणी व टिकट मूल्य कंप्यूटर की सहायता से पता किया जा सकता हैं।

4. कंप्यूटर का ब्लॉक रेखा-चित्र (Block Diagram of a Computer)

     कंप्यूटर के अवयव (Components of a Computer System)

Computer System अपनी processing के लिए निम्न प्रकार के components/units का उपयोग करता है।

1. Input Unit

2. Central Processing Unit (CPU)

a) Aritmetic Logical Unit (ALU)    b) Control Unit (CU)             c)Memory Unit

3. Output Unit

 

1. Input unit: यह Computer System की सबसे प्रमुख ईकाई होती है जिसकी सहायता से data, instruction, program और अन्य information को working के लिए computer system में load   किया जाता है। यह सभी information या instruction  उस system के लिए input कहलाते है।

User अपनी आवश्यकता के अनुरूप data को computer में input  device के माध्यम से enter कर सकता है। Computer के साथ उपयोग में लाई जाने वाली सभी input device को कार्य करवाने के लिए CPU से connect किया जाता है, यह सभी input  devices निर्धारित किए गए input port के माध्यम से CPU से connect होती हैं। Input  device  का मुख्य कार्य user से user के समझने योग्य प्रारूप में information को प्राप्त करना होता है। परन्तु CPU द्वारा केवल binary data  पर ही किसी भी प्रकार का कार्य कर पाना संभव होता है। इस कारण से input   device  के साथ कुछ ऐसे विशेष control circuit उपयोग में लाए जाते है, जो user से input में प्राप्त data को binary code  में परिवर्तित करने का कार्य करते है। किसी computer system में विभिन्न प्रकार के format  जैसे कि text ,graphics ,video, sound आदि का input के रूप में दिया जा सकता है। अलग अलग प्रकार के data कि लिए विभिन्न प्रकार कि input device  उपयोग म लाई जाती है। सामान्यतः उपयोग में लाई जाने वाली input   devices निम्न है-Ex- Keyboard, Mouse,  Scanner,  Joystick ,  Trackball, Light  Pen , Digitizing Tablet , Digital  Camera, Voice recognition, Touch Screen etc.

 

2. Central Processing Unit (CPU) : Computer System की सबसे महत्वपूर्ण ईकाई CPU होती है जो किसी भी Computer system के लिए Brain एवं Heart दोनों का कार्य करती है। CPU वह unit है जो input  device से प्राप्त data को process करती है और output device को Result  प्रदान करती है। यह unit input  device से binary code के रूप में data को प्राप्त करती है और user के द्वारा किये गये instruction या निर्धारित program के अनुसार data को process करती है। CPU के द्वारा process किए गए data को output device के माध्यम से user को प्रदान किया जाता है। CPU में data को process करने के लिए micro processor  एवं अन्य सहयोगी unit उपयोग लाई जाती है, जो अत्यंत तेज गति से data को process कर सकती है। user द्वारा दिए गए instruction को CPU एक निर्धारित क्रम में store करके रखता है, जिसे program कहते है। इस प्रकार CPU memory का उपयोग में लाई जाने वाली सभी devices, CPU के साथ ही connect की जाती है। इस कारण से ही इसे केन्द्रित ईकाई माना जाता है।

अपने कार्य को व्यवस्थित रूप से करने के लिए CPU निम्नलिखित components का उपयोग करता है।

o   Arithmetic Logical Unit (ALU)

o   Control Unit (CU)

o   Memory Unit

 

Arithmetic Logical Unit (ALU): ALU से तात्पर्य है कि Arithmetic Logical Unit अर्थात एक ऐसी ईकाई जो सभी प्रकार के गणितीय (Arithmetic)  गणनाऐं करने में सक्षम हो, जब user द्वारा input  device के माध्यम स्रे दिए गए instruction में किसी प्रकार के Arithmetic या logical calculations हो तब इस प्रकार के instructions को CPU के द्वारा ALU को दिया जाता है। ALU के द्वारा दिया जाने वाले Arithmetic  operation से तात्पर्य addition, subtraction, multiplication, division आदि तथा logical calculation से तात्पर्य दिए गए data के बिच विभिन्न प्रकार की तुलना प्रक्रियाओं से है जैसे कि AND, OR, NOT आदि।

इस unit में एक ऐसा electronic circuit होता है जो binary code में सभी प्रकार के operations करने में सक्षम होता है। यह unit memory से data प्राप्त करता है व calculations के पश्चात Result के रूप में data memory में ही store करता है। ALU के कार्य करने के गति अति तीव्र होती है जिसके कारण यह लगभग 10 लाख calculation  प्रति second की गति पर कार्य कर सकता है।

 

Control Unit (CU) : CU से तात्पर्य control unit होता है अर्थात एक ऐसी ईकाई जो सभी प्रकार के कार्यो को नियंत्रित करने का कार्य करता है। CPU में CU एक केन्द्रिय ईकाई के रूप में कार्य करता है। यह उपयोग में लाए जा रहे सभी processing components के मध्य data के आदान प्रदान का कार्य करता है। यह memory में store programs को instruction के रूप में प्राप्त करता है, और उसे आवश्यक processing unit तक पहुचाता है। Memory एवं input-output devices के बीच data के अदान-प्रदान करने का कार्य CU के द्वारा ही किया जाता है।

CPU में उपयोग में लाई जा रही सभी ईकाई के बीच data एवं instruction विषेष प्रकार के signal के द्वारा आदान प्रदान किए जाते है। यह signal electronic Bus (wires) कि सहायता से दिए जाते है। इस Bus का नियंत्रण CU के पास रहता है, जिससे सभी ईकाईयों को एक साथ नियंत्रित किया जा सकता है। CU के द्वारा ही यह निर्धारित होता है, कि किस प्रकार का data एवं instruction किस unit के माध्यम से process किया जाएगा।

 

Memory Unit: Computer system को उसकी एक असमित क्षमता के कारण अधिकतम उपयोग में लाया जाता है, वह क्षमता है बहुत अधिक संख्या में data को लंबे समय तक store रखना। इस क्षमता को उपयोग में लाने के लिए computer system के द्वारा memory unit का उपयोग किया जाता है। Computer system में memory से तात्पर्य एक ऐसी ईकाई से है, जो आवश्यकता के अनुसार data को store करके रख सके।यह unit दिए गए data program एवं Result आदि को store करके रखती है।

CPU द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले instruction कि आवष्यकता होती है, तब CPU वह data या instruction को memory से प्राप्त कर लेता है। इसके साथ ही CPU के द्वारा output के रूप में दिए data को भी memory unit में ही store करके रखता है।

3. Output Unit :

Computer system के द्वारा input में लिए गए data को विभिन्न प्रकार से process किया जाता है। computer की इस unit की सहायता से process किए गए data को Result के रूप में user को प्रदान किया जाता है। इस Result को Output कहते है, Computer system के द्वारा यह output, user को output devices  की सहायता से प्रदान किए जाते है।

उपयोग में लाए जाने वाले सभी output devices को CPU के output port पर connect किया जाता है। सभी प्रकार के output   devices को CPU द्वारा binary format में data प्राप्त करता है परन्तु user द्वारा यह data समझ पाना संभव नही है। इस कारण से output device के साथ कुछ control circuit जुडे होते है जो binary code  में प्राप्त किए गए data को user के समझने योग्य format  में परिवर्तित करते है और output प्रदान करते है।

Output devices से प्राप्त होने वाला output किसी भी format में हो सकता है जैसे कि text, sound, video, graphics आदि।

अलग अलग प्रकार के output के लिए विभिन्न प्रकार की output devices उपयोग में लाई जाती है, जो निम्नलिखित हैः-

e.g.- Monitor, Printer , Plottor, Speaker etc.

 

Generations of a Computer (deleted for year 2020-21) 


Computer Memory क्या है?

इंसान याद रखने के लिए मस्तिष्क का उपयोग करते हैं, मगर कम्प्यूटर के पास हमारी तरह मस्तिष्क नही होता है। यह डाटा और निर्देशों को याद रखने के लिए अर्थात संग्रहित करने के लिए Memory का इस्तेमाल करता है, जिसे Computer Memory कहा जाता है। अतः विभिन्न स्रोतों से प्राप्त डाटा, निर्देशों और परिणामों को संग्रहित कर भंडारित करना Memory कहलाता है।

 

Computer Memory में डाटा 0 और 1 के रूप में संग्रहित रहता हैं, इन दो संख्याओं को Binary Digits और Bits कहा जाता हैं। प्रत्येक अंक एक Bit को प्रस्तुत करता हैं, इसलिए Computer Memory की सबसे छोटी इकाई Bit होती हैं।

 

Memory के छोटे-छोटे Characters को Represent करने के लिए इन Binary Digits का एक Set बनाया जाता हैं, इसकी शुरुआत 8 Digits या 8 Bits (जैसे; 10011001) से होती हैं, ये 8 Bits. 1 Byte के बराबर होते हैं।

इसी प्रकार ज्याडा डाटा को Represent करने के लिए इन Bits का और बडा Set बनाया जाता हैं, जिनका नामकरण Bits की संख्याओं के आधार पर किया जाता हैं, जैसे:-

Bit = 0 या 1

4 Bits = 1 Nibble

2 Nibble और 8 Bits = 1 Byte

1024 Byte = 1 KB (Kilo Byte)

1024 KB = 1 MB (Mega Byte)

1024 MB = 1 GB (Giga Byte)

1024 GB = 1 TB (Tera Byte)

1024 TB = 1 PB (Penta Byte)

1024 PB = 1 EB (Exa Byte)

1024 EB = 1 ZB (Zetta Byte)

1024 ZB = 1 YB (Yotta Byte)

1024 YB = 1 BB (Bronto Byte)

1024 BB = 1 GB (Geop Byte)

 

CPU की आवश्यकता के अनुसार memory दो प्रकार की होती है।

1. Primary memory (Main memory)

2. Secondary memory (Physical memory)

 

 

Primary memory (main memory) –

प्राथमिक मेमोरी कंप्यूटर मेमोरी है जिसे सीधे सीपीयू द्वारा एक्सेस किया जाता है। Primary Memory को मुख्य मेमोरी (Main Memory) और अस्थाई मेमोरी (Volatile Memory) भी कहा जाता है।

यह मेमोरी CPU का भाग होती हैं, जहाँ से CPU डाटा और निर्देश प्राप्त करता हैं और प्रोसेस करने के बाद रक्षित रखता हैं।

प्राथमिक मेमोरी में वर्तमान में किया जा रहे काम के निर्देश और डाटा संग्रहित रहता है। यह मेमोरी अत्यंत तेज होने के साथ अस्थाई होती है, काम खत्म होने के बाद संग्रहित डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं और अगले काम का डाटा स्टोर हो जाता है, यह एक सतत प्रक्रिया है,  Computer Shut Down होने पर भी सारा डाटा डिलिट हो जाता है।

 

 

प्राथमिक मेमोरी के दो प्रकार होते हैं:-

RAM or Volatile Memory –

ROM or Non-Volatile Memory –

Primary Memory की विशेषताएं:-

यह मेमोरी अस्थायी होती हैं।

CPU का भाग होती है।

Power Supply या काम खत्म होने के बाद डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं।

इसके बिना कम्प्यूटर काम नही कर सकता हैं।

अतिरिक्त मेमोरी से तेज होती है।

 

Cache Memory

Primary Memory/Main Memory

Secondary Memory

Cache Memory

यह है कंप्यूटर की सबसे तेज मेमोरी. Cache memory एक बहुत ही high speed semiconductor memory जो की CPU को speed up कर देती है. ये एक buffer के तरह act करती है CPU और main memory के बीच. इनका इस्तमाल data और program के उन हिस्सों को hold करने के लिए इस्तमाल होता है जिन्हें की CPU के द्वारा frequently इस्तमाल किया जाता है. Data और Programs के हिस्सों को पहले transfer किया जाता है disk से cache memory तक operating system के द्वारा, जहाँ से को उन्हें CPU आसानी से access कर सकें.

Secondary memory –

Computer system की सहायता से user अपने आवष्यक data एवं programs को लम्बे समय तक store रख सकते है, इसके लिए CPU के साथ secondary memory का उपयोग किया जाता है। यह memory गति के अनुसार primary memory की तुलना में low होती है परन्तु यह data को permanent अर्थात लम्बे समय तक store करके रखती है। secondary memory को magnetic पदार्थो की सहायता से बनाया जाता है। इसका उपयोग ऐसे सभी program एवं data को store करने के लिए किया जाता है जिनका उपयोग निरंतर होता रहता है। secondary memory में store किए गए किसी program को execute  करवाने के लिए उसे secondary memory में से primary memory में transfer किया जाता है।

 

Secondary Memory की विशेषताएं:-

यह स्थायी मेमोरी होती हैं।

डाटा हमेशा के लिए संग्रहित रहता हैं।

इसकी गती थोडी कम होती हैं।

स्टोर क्षमता बहुत ज्यादा होती हैं।

काम खत्म होने या कम्प्यूटर बंद होने पर भी डाटा रक्षित रहता हैं।


 

4. RAM और ROM में क्या अंतर है?

 

Input Device क्या है ?

इनपुट डिवाइस एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कंप्यूटर को डेटा भेजता है, जिससे आप कंप्यूटर से संपर्क कर सकते हैं और उसे नियंत्रित कर सकते हैं। एक इनपुट डिवाइस कंप्यूटर पर डेटा भेजने के लिए उपयोग किया जाने वाला हार्डवेयर या बाह्य उपकरण है।

 

इनपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में आँकड़ें डालने के लिए किया जाता है । इनपुट डिवाइस एक उपकरण है जो कंप्यूटर को इनपुट प्रदान करता है । की-बोर्ड सबसे अधिक प्रचलित इनपुट उपकरणों में से एक है जिसका प्रयोग कंप्यूटर में आंकड़े डालने और निर्देश देने के लिए किया जाता है । किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के लिए एक keyboard सबसे मौलिक इनपुट डिवाइस है । कंप्यूटिंग के शुरुआती दिनों में, यह आमतौर पर केवल इनपुट डिवाइस था । एक keyboard में अक्षरों(letters) और संख्याओं(numbers) के साथ-साथ विशेष कार्य के लिए Key भी शामिल है, जैसे कि एंटर (Enter), डिलीट(Delete), आदि।

 

कुछ और महत्त्वपूर्ण इनपुट उपकरण हैं :-

 

Keyboard (कुंजीपटल) :- यह कंप्यूटर का इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से कंप्यूटर में डेटा Input किया जाता है। डेटा को कीबोर्ड की सहायता से ही टाइप करके लिखा जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो कीबोर्ड डेटा एंट्री करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कीबोर्ड का आविष्कार क्रिस्टोफर लेथम शोलेजने किया था। Keyboard का हिंदी में मतलब कुंजीपटल होता है । इसकी सहायता से हम कम्प्युटर को निर्देश देते है । Keyboard का मुख्य उपयोग Text लिखने के लिए किया जाता है यह भी एक बहुक्रियात्मक उपकरण होता है, जो न सिर्फ लिख सकता है बल्कि कम्प्युटर को नियंत्रित करने में भी Keyboard का Use किया जा सकता है ।

 

Mouse (माउस):- Mouse एक इनपुट डिवाईस है, जिसका वास्तविक नाम Pointing Device है । Mouse का उपयोग मुख्यत: कम्प्युटर स्क्रीन पर Items को चुनने, उनकी तरफ जाने तथा उन्हे खोलने एवं बदं करने में किया जाता है. Mouse के उपयोग द्वारा युजर कम्प्युटर को निर्देश देता है । इसके द्वारा एक युजर कम्प्युटर स्क्रीन पर कहीं भी पहुँच सकता है एक साधारण Mouse में आमतौर पर तीन बटन होते है, जिन्हें Right Click एवं Left Click कहते है, और तीसरे बटन को Scroll Wheel या फिरकि कहते है। आधुनिक Mouse में तो अब तीन से ज्यादा बटन आने लगे है, जिनका अलग कार्य होता है।

 

Light Pen (लाइन पेन) :- कम्प्यूटर पर काम करते समय लाइट पेन एक रिसेप्टर की तरह काम में लाया जाता है। इसमें लगे बटन को दबाने पर कम्प्यूटर डिस्प्ले आता है और काम करता है। यह स्क्रीन पर पिक्सल्स बनाता है। इसमें लगी हुई इलैक्ट्रानिक डिवाइस स्क्रीन पर लाइट से इमेज तैयार करती हैं। इस पेन से आप बिल्कुल उसी तरह कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम कर सकते हैं, जैसे पेंसिल से कागज पर करते हैं।

 

Joystick (जॉयस्टिक) :- जॉयस्टिक एक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर डिवाइस में कर्सर या पॉइंटर के आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। पॉइंटर / कर्सर आंदोलन जॉयस्टिक पर लीवर का उपयोग करके नियंत्रित होता है। इनपुट डिवाइस का उपयोग ज्यादातर गेमिंग अनुप्रयोगों और कभी-कभी ग्राफिक्स अनुप्रयोगों में किया जाता है। एक जॉयस्टिक भी आंदोलन विकलांग लोगों के लिए एक इनपुट डिवाइस के रूप में सहायक हो सकता है।

 

Scanner(स्कैनर):- स्कैनर एक Input Device है, जो एक Image या text document को कैप्चर करके उसे Digital file में कन्वर्ट कर देता है। ये बिल्कुल एक Photocopy Machine की तरह कार्य करता है। डॉक्यूमेंट के इस इलेक्ट्रॉनिक वर्शन को आप कंप्यूटर में ओपन और एडिट करने के साथ ही उसे प्रिंट भी कर सकते है।

 

 

Output Device क्या है?

आउटपुट डिवाइस(Output Device), कम्प्यूटर व इसके प्रयोगकर्ता के बीच संचार का माध्यम होती है ।जैसा कि नाम से पता चलता है, ये डिवाइसिज आउटपुट को स्क्रीन या प्रिंटर पर प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग की जाती है । आउटपुट साफ्ट कापी के रूप में, हार्ड कापी के रूप में या आवाज के रूप में ही सकती है । जहाँ साफ्ट कापी स्क्रीन पर आउटपुट को दर्शाती है, हार्ड कापी आउटपुट पेपर पर छपाई को दर्शाती है व आवाज वाली आउटपुट स्पीकर्स द्वारा निकलने वाली आवाज को कहते है।

 

आउटपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में प्रोसेस हुए आँकड़ों के नतीजों को दिखाने के लिए किया जाता है । मॉनीटर और प्रिन्टर दो मुख्यतः प्रयोग में लाये जाने वाले आउटपुट उपकरण हैं । ये आउटपुट उपकरण को मशीनी संकेतों में लेते हैं और उन्हें मानवीय भाषा में परिवर्तित करते हैं ।

 

कुछ मुख्य आउटपुट डिवाइसिज के नाम निम्नलिखित है :-

 

Monitor (मॉनिटर):- यह  एक अत्यावश्यक आउटपुट डिवाइस है, जिसे स्क्रीन , दृश्य-प्रदर्शन इकाई या कैथोड किरण ट्यूब भी कहा जाता है। यह किसी टी.वी. स्क्रीन की तरह ही होता है जो ग्राफिक एवं टेक्स्ट को अपने स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है। कुंजीपटल के माध्यम से टाइप की हुई प्रत्येक सूचना को प्रदर्शित करता है। साथ ही कम्प्यूटर पर सम्पन्न की गई गणनाओं तथा प्रग्रामों के परिणामो को भी दर्शाता है ।

 

Printer (प्रिंटर):- प्रिंटर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है जो कि हार्ड काँपी आउटपुट प्रदान करती है । किसी भी प्रकार का डाटा जैसे कि टेक्स्ट या ग्राफिक जो मॉनिटर पर दिखाई दे देता है प्रिंटर द्वारा पेपर के ऊपर प्रिंट किया जा सकता है। प्रिंटर्स मुख्यतः दो प्रकार के होते है जो कि इम्पैक्ट प्रिंटर्स जिनका पेपर व उनके हैड के बीच में मैकेनिकली संबंध बनता है तथा दूसरे नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर्स जिनके द्वारा पेपर से कोई मैकेनिकली संबंध नहीं बनाया जाता ।

 

Plotter (प्लॉटर):- प्लॉटर भी एक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग विभिन्न रंगों वाली स्याही से चित्रों की प्रिटिंग करने हेतु किया जाता है। प्लॉटर में ड्रमनुमा या सपाट भाग होता है, जो प्रिंटिंग में प्रयुक्त होने वाले कागज को व्यवस्थित रूप से सम्भालता है तथा एक कैरिज होता है जो प्रिंटिंग के दौरान कागज को अंदर प्रिंटिंग हेतु धकेलता है ।

 

स्पीच सिंथेसाइज़र:- स्पीच सिंथेसाइज़र एक प्रत्युत्तर तन्त्र है जो स्वरों को एकत्रित कर पुनः शब्दों एवं ध्वनियो के रूप में आउटपुट प्रदान करता है इस प्रकार के तंत्रों के द्वारा सभी आवश्यक स्वरों की कोड्स के साथ पूर्व रिकार्डिंग करके एक स्वर प्रत्युत्तर डिवाइस में निर्देशों के सेट के अनुसार पुनः प्रसारित क्र दिया जाता है । यह स्वर प्रत्युत्तर डिवाइस जवाबी स्वरों को उपयुक्त अनुक्रम में व्यवस्थित कर आउटपुट के रूप में प्रसारित कर देती है. ये स्पीच सिंथेसिस सिस्टम टेलीफ़ोन एक्सचेंजिस में व्यापक रूप में प्रयोग किये जाते है ।

 

Projector (प्रोजेक्टर):- प्रोजेक्टर भी एक आउटपुट डिवाइस हैं प्रोजेक्टर का प्रयोग चित्र या वीडियो को एक प्रोजेक्शन स्क्रीन पर प्रदर्शित करके श्रोताओ को दिखाने के लिए किया जाता हैं । प्रोजेक्टर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं 1. वीडियो प्रोजेक्टर 2. मूवी प्रोजेक्टर 3. स्लाइड प्रोजेक्टर

 

 

 

 

Software (सॉफ्टवेर) क्या है ?

सॉफ्टवेयर, निर्देशों तथा प्रोग्राम्स का वह समूह है जो कम्प्यूटर को किसी कार्य विशेष को पूरा करने का निर्देश देता है। यह यूजर को कम्प्यूटर पर काम करने की क्षमता प्रदान करता हैं. सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर हार्डवेयर का एक निर्जीव वस्तु है। इसे हाथ से छूआ नहीं जा सकता हैं, क्योंकि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है। यह एक आभासी वस्तु है जिसे केवल समझा जा सकता है।

 

“Software बहुत सारे Programs का एक समूह है जो एक Computer के विशिष्ट कार्यों (Tasks) का निष्पादन करता है। “Software is a set of Programs which perform a specific Task”.

 

सॉफ्टवेयर के विभिन्न प्रकार – Types of Software in Hindi

काम की जरुरत के हिसाब से अलग-अलग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैंअध्ययन की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयर के दो मुख्य वर्ग बनाए हैं.

System Software

Application Software

1. System Software

System Software वह Software है जो Hardware का प्रबंध एवं नियत्रंण करता है और Hardware एवं Software के बीच क्रिया करने देता है. System Software के कई प्रकार है:-

 

1.1 Operating System

Operating System एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम होता है जो अन्य कम्प्यूटर प्रोग्रामों का संचालन करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर तथा कम्प्यूटर के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्यूटर को समझाता है.

 

ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ लोकप्रिय नाम जिनके बारे में आपने जरुर सुना होगा.

Windows OS, Mac OS, Linux, UBUNTU, Android

1.2 Utility Programs

Utilities को सर्विस प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है. यह कम्प्यूटर संसाधनों के प्रबंधन तथा सुरक्षा का कार्य करते है. लेकिन, इनका Hardware से सीधा संम्पर्क नही होता है. जैसे, Disk Defragmenter, Anti Virus प्रोग्राम आदि Utility प्रोग्राम है.

 

1.3 Device Drivers

Driver एक विशेष प्रोग्राम होता है जो इनपुट और आउटपुट उपकरणों को कम्प्यूटर से जोड़ता है ताकि ये कम्प्यूटर से संचार कर सके. जैसे Audio Drivers, Graphic Drivers, Motherboard Drivers आदि.

 

2. Application Software

Application Software को End User सॉफ़्टवेयर कहा जा सकता है, क्योंकि इसका सीधा संबंध यूजर से होता है. इसे ‘Apps’ भी कहते है. Application Software उपयोक्ता को किसी विशेष कार्य को करने कि आजादी देते है. इनके कई प्रकार है.

 

2.1 Basic Application

Basic Applications को सामान्य उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (General Purpose Software) भी कहा जाता है. यह सामान्य इस्तेमाल के सॉफ़्टवेयर होते है. इनका उपयोग हम रोजमर्रा के कार्यों के लिए करते है.

किसी भी कम्प्यूटर उपयोक्ता को कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए Basic Application का इस्तेमाल तो आना ही चाहिए. नीचे कुछ General Purpose Software के नाम दिए जा रहे हैं.

 

Word Processing Programs, Multimedia Programs, DTP Programs, Spreadsheet Programs, Presentation Programs, Graphics Application, Web Design Application

2.2 Specialized Application

Specialized Application को विशेष उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (Special Purpose Software) भी कहा जाता हैं. इन सॉफ़्टवेयर को किसी खास उद्देश्य के लिए बनाया जाता है. इनका इस्तेमाल भी किसी कार्य विशेष को करने के लिए होता है. नीचे कुछ विशेष उद्देश्य के लिए बनाये गए प्रोग्राम्स के नाम दिए जा रहे हैं.

Accounting Software, Billing Software, Report Card Generator, Reservation System, Payroll Management System

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

UNIT II (Digital Network Essential)

 

वेब ब्राउजर क्या है – What is Web Browser?

वेब ब्राउजर एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है, जो इंटरनेट पर मौजूद वेबपेजों को यूजर्स के लिए ढूँढ़कर इंसानों की भाषा में अनुवाद करता है. इन webpages में मौजूद जानकारी में ग्राफिक्स, मल्टीमीडिया, वेब प्रोग्राम्स तथा साधारण टेक्स्ट शामिल होता है. एक ब्राउजर वेब मानकों के आधार पर वेबपेजों से डेटा फेच करता है. गूगल क्रोम एक लोकप्रिय वेब ब्राउजर है.

 

अगर इसे ओर सरल शब्दों में कहें तो ब्राउजर इंटरनेट पर मौजूद वेबसाइटों को अनुवाद करने का काम करते है.

एक वेबसाइट पर अनेक प्रकार की सूचना उपलब्ध होती है जिसे ब्राउजर ही पढ़ता है और यूजर के सामने समझने योग्य भाषा में प्रदर्शित करता है. क्योंकि इन वेबसाइटों को बनाने के लिए कई भाषाओं का प्रयोग किया जाता है जिसे एक आम यूजर समझ नहीं पाता है.

 

वेब पर उपलब्ध वेब संसाधनों (Web Resources) को हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैगुएज (HTML) में लिखा जाता है. ब्राउजर इस कोड को पढ़ता है तब जाकर हम वेब पर मौजूद सामग्री को देख, सुन तथा पढ़ पाते है1

कुछ मुख्य वेब ब्राउजर:-


Google Chrome (PC, Mobile & Tablet)

Internet Explorer (PC)

Microsoft Edge (PC, Mobile & Tablet)

Mozilla Firefox (PC, Mobile & Tablet)

Safari (PC, Mobile & Tablet)

Opera (PC, Mobile & Tablet)

Konqueror (Linux PC)

Lynx (Linux PC)

UC Browser (Mobile & Tablet)


 

ईमेल क्या है (What is Email?)

Email का Full Form होता है Electronic mail. इसे लोग e-mail, email या Electronic Mail भी कहते हैं. यह एक प्रकार का digital message होता है जिसे की एक user दुसरे user के साथ communicate करने के लिए इस्तमाल करता है. इस email में text, files, images, या कोई attachments भी हो सकता है, जिसे की network के माध्यम से किसी specific individual या group of individuals को भेजा जा सकता है.

 

यह email को pen और paper की जगह keyboards से type किया जाता है और Email Client के माध्यम से भेजा जाता है. Email addresses में एक custom username होता है beginning में उसके बाद email service provider का domain name, जिसमें एक @ sign होता है जिसे की दोनों को separate किया जाता है. उदाहरण के लिए : name@gmail.com

 

ईमेल के लाभ

 

1.  Speed होती है : इन ईमेल की delivery speed बहुत ही Fast होती है. इससे लोगों को information तुरंत प्राप्त हो जाता है. वहीँ लोग एक दुसरे के साथ आसानी से communicate कर सकते हैं.

2.  Convenience प्रदान करती हैं : Emails बहुत ही ज्यादा Convenient method हैं quick communication के लिए. जहाँ Phone में आपको कुछ समय था phone को hold करना पड़ता है और साथ में आपको lengthy conversation होने के लिए बाध्य होना पड़ता है. वहीँ Email में आप तुरंत ही अपने मुद्दे की बात कर सकते हैं और reply भी प्राप्त कर सकते हैं.

3.  Attachments भेज सकते हैं : इसमें attachment का feature होने के कारण आप ईमेल के साथ कुछ भी file attach कर सकते हैं. इससे आपको अलग से उस चीज़ को भेजने की जरुरत ही नहीं होती है.

4.  Accessibility होती हैं : Email accounts large folders के तरह होते हैं, ये केवल private messages के लिए ही नहीं बल्कि files और दुसरे important information के लिए भी होते हैं. इसलिए अच्छे email clients users के लिए उन्हें organize, archive, और search through करने के लिए emails में आसान बना देते हैं, वहीँ कोई भी information जो की email में होती है वो हमेशा readily accessible होती है.

5.  A Record: Email आपके सभी conversation को record करती हैं. इसलिए आप उन conversation को एक record के तरह कभी भी देख सकते हैं. हो सके तो आप उनका print out भी निकाल सकते हैं. साथ में वो online तब तक रहेगा जब तक आप intentionally उन्हें delete नहीं कर देते हैं.

6.  Unlimited space और time: Texting के विपरीत इसमें आपको unlimited space मिलता है कुछ लिखने के लिए जितना आप चाहें एक email में. इसके साथ आप जितना समय लेना चाहें उतना लेकर ये email लिख सकते हैं, उन्हें revise कर सकते हैं भेजने के पहले.

7.  Free communication होती है: दुसरे forms of communication के विपरीत, जैसे की long distance calling और physical mail messages, ज्यादातर email providers users को free access प्रदान करती है एक email account के लिए. आप अपना email address pick कर सकते हैं, और उस email id से आप send और receive कर सकते हैं सभी electronic mail जो की आपको भेजे जाते हैं. साथ ही इसके लिए आपको एक भी पैसा खर्चा नहीं करना पड़ता है.

8.  Security: Physical Mails से तो ये email services लाख गुना safe होते हैं. इसे specifically privacy और security के लिए ही बनाया गया होता है, इसें login id और password होता है email खोलने के लिए. जिन्हें केवल correct email password से ही खोला जा सकता है.

 

Transmission media/Medium क्या हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं ?

Transmission medium को यदि हम सरल भाषा में समझने का प्रयास करे तो यह कह सकते हैं हैं की ऐसा कोई भी माद्यम (medium)जिसके द्वारा दो उपकरणों(Device) को आपसमे Connectivity दी गई हो और वो एक दूसरे के साथ अपने Resource या Data को आपस में Share कर सकते हो उसको Transmission medium कहा जाता हैं यह माद्यम कुछ भी होसकता हैं Wire less या Wire base,

Transmission medium को 2 भागो में विभाजित किया गया हैं :-

1. Guided Media(Wire Based)

2. Unguided Media (Wire Less)

1. GUIDED MEDIA OR Wire-based Transmission media / Medium -(तारआधारित संचरण माध्यम )

Wire -Base Transmission Medium जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता हैं की यह एक तार आधारित Connectivity हैं ,इनमे उन सभी Entity को रखा गया हैं जिसमे दो Device की Connectivity को Physically देखा जासकता हैं ! Touch किया जासकता हैं ! इसको मुख्य रूपसे 3 भागो में विभाजित किया गया हैं जो इस प्रकार हैं:-

 

Twisted Pair

Twisted pair एक ऐसी Wire होती हैं जिसमे दो Wire आपस में एक दूसरे को twisted (मुड़ी) किये हुए होती हैं ! यह Wire सामान्यत Landline Telephone या internet Connection Cable RJ45 में देखने को मिल जाती हैं ! Twisted Pair Cable को 2 भागो में विभाजित किया गया है ! , 1. Shielded Twisted pair और 2. Ushielded twisted Pair.

 

 

Coaxial Cable  Coaxial Cable में एक ताम्बे( Copper ) Wire होती है ! उसके ऊपर एक रोधन ( insulation ) की एक परत होती है और उसके ऊपर ताम्बे की जाली (Copper Mesh) होती है ! और उसके ऊपर एक Outside insulation होता है !

यह दो प्रकार की होती है thin net केबल और Thick net Cable

3. Fiber optic Cable

यह Cable Pure सिलिका ग्लास से बनी होती है इसको 1970 में Developed किया गया था |  Fiber Optic Cable ने Internet की दुनिया में क्रन्तिकारी परिवर्तन किया है आज सारे देश इन्टरनेट के द्वारा एक दूसरे से जुड़े है, जिसमे Fiber optic Cable की बहुत बड़ी भूमिका है Fiber Optic Cable एक Advanced Transmission  Media है जिसका उपयोग Data को High Speed तथा लम्बी दूरी में Transmit करने के लिए किया जाता है |

 

Fiber Optic Cable अब तक Networking की दुनिया में Data को सबसे तेज गति से transfer करने वाली Cable है , इसलिए इसका इस्तेमाल submarine communications में जयदा प्रयोग होता हैं  मतलब एक देश के नेटवर्क को दूसरे देश के नेटवर्क से जोड़ने के लिए Fiber Optic Cable का इस्तेमाल किया जाता हैं | इस केबल में DATA Light signal की from में Travel करता है, और Data Destination  पहुंचते ही  Light signal से Digital signal में Convert हो जाता हैं |

 

 

2. UNGUIDED Wire-less Transmission media / Medium (तार-रहित संचरण /माध्यम )

एक ऐसा medium जिसमे Data के Communication में wire का यूज़ नहीं किया जाता है यह एक Wireless Communication होता है ! wire less Communication मुख्य रूप से Electromagnetic Wave के माद्यम से होता है ! Electromagnetic Wave को Electric और Magnetic Fields के Combination से Generate किया जाता है ! wireless Communication को भी कुछ श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है :-

 

1. Microwave (सूक्ष्मतरंगें) /Satellite Communication –  Microwave Communication में 16 gigabit पर Second Data को transfer करने की speed होती है ! यह एक Uni direction Communication होता है इसके लिए ऊचे और बड़े Tower लगाने की जरूरत होती है इन tower के ऊपर parabolic Antenna का use किया जाता है ! और दोनों Parabolic antenna को बिल कुल एक दुसरव के सामने की Direction में रखा जाता है जिस से Micro wave बीम travel कर सके  इसका सबसे अच्छा उदहारण आज के Time में Mobile tower और घरो की छत पे लगे disk tv antenna  में लगे Parabolic Antenna है

 

2. Satellite Communication:–  यह भी एक microwave communication का ही दूसरा रूप है परन्तु इस Process में जमीन पर लगे Parabolic antenna सीधे अंतरिक्ष की Over bit में स्थापित satellite से Communication करते है उनका भी Communication करने का माध्यम uni-direction ही होता है satellite communication का सबसे बड़ा फायदा यह होता है की इससे एक country से दूसरी Country तक भी Communication किया जा सकता है ! और इसका सबसे अच्छा उदहारण आज के आज के वक्त में लाइव TV streams और disk TV है जिसमे Micro wave का use होता है

 

3. Radio waves:–  Radio wave एक ओमनी Direction में travel करती है इनकी data को transfer करने की speed microwave से कम होती है परन्तु यह काफी दूर तक travel कर सकती है Radio wave में किसी भी Physical object को penetrate करने की Capacity होती है इस वजह से यह दुर्गम और दूर दराज के इलाकों में भी आसानी से पहुंच जाती है इसका सबसे अच्छा उदाहरण है FM Radio और मोबाइल signal है!

 

4. WiFi:- WiFi का पूरा नाम है Wireless Fidelity. यह एक लोकप्रिय Wireless Networking Technology है. एक एसी Technology है, जिसके जरिए आज हम Internet और Network Connection का इस्तमाल रहे है.

अब आपकी आसान भाषा में समझते है, यह वो Technology है जिसके जरिए हम आज अपने स्मार्ट फ़ोन, Computer, Laptop में बिना तार (Wireless) तरीके से Internet की सुविधा प्राप्त कर रहे हैं.

 

5. Bluetooth:- Bluetooth एक प्रकार का Wireless technology है, जिसका इस्तमाल कोई भी file या data transfer करने के लिए किया जाता है. इस Bluetooth technology को develop Bluetooth special interest group ने किया और इसकी physical range है 10m से लेकर 50m तक ही. ये Bluetooth device ज्यादा से ज्यादा सात devices में ही connect हो सकता है और इनका मुख्य इस्तमाल smartphones, personal computers, और gaming consoles जैसे industries में किया जाता है. IEEE ने Bluetooth को standardized किया है IEEE 802.15.1 के रूप में, लेकिन यह standards केवल कुछ ही periods के लिए maintain किया जाता है.

 

6. Infrared – Infrared communication एक युनी डायरेक्शन Communication होता है यह दीवार या किसी भी Physical अवरोध को पार नहीं कर सकता है ! और ना ही यह ज्यादा दूर तक travel कर सकता है इसका उसे Automatic door,Remote control आदि में किया जाता है आदि में किया जाता है

 

नेटवर्क क्या है और इसके प्रकार बताएं ?

नेटवर्क आपस में एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का समूह है जो एक दूसरे से संचार स्थापित करने तथा सूचनाओं, संसाधनों को साझा इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं । किसी भी नेटवर्क को स्थापित करने के लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता, माध्यम तथा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर के साधनों में भागीदारी करने के उद्देश्य से बहुत-से कंप्यूटरों का आपस में जुड़ना कम्प्यूटर नेटवर्किंग कहलाता है । कम्प्यूटर नेटवर्किंग की मदद से उपभोक्ता उपकरणों, प्रोग्रामों, संदेशों और सूचनाओं को एक ही जगह पर रहकर उनके साथ भागीदारी कर सकते हैं ।

नेटवर्क स्थापित करने के लिए मुख्य उपकरण निम्नलिखित है :

रिपीटर्स (Repeaters), हब (Hub), स्विच (Switches), राउटर्स (Routers), गेटवे (Gateways)

 

नेटवर्क के निम्नलिखित प्रकार हैं :

 

1. लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network-LAN) :-

Local Area Network मतलब LAN. ये Network आपको हर जगह मिलेगा जैसे ऑफिस, College, School, Business Organisation, resource sharing, data storage, document printing के लिए इस network को use किया जाता है. इसको बनाने के लिए कुछ जादा hardware की जरुरत नहीं पड़ती बस hub, switch, network adapter, router और Ethernet cable की जरुरत पड़ती है ।

सबसे छोटा LAN केवल दो computer से बन सकता है. एक LAN में हम 1000 Computers को आपस में जोड़ सकते हैं. ज्यदातर LAN को wire connection में उपयोग किया जाता है. लेकिन आजकल ये wireless में भी इस्तेमाल हो रहा है. इस network की खासियत है इसकी speed, कम खर्चा और Security. इसमें Ethernet cable का इस्तेमाल किया जाता है. ।

 

विशेषताएं:-

छोटे geographical Area में इसकी दुरी सिमित है

एक घर, Office और college में इस्तेमाल होता है.

इसकी ownership private होती है

आसानी से इस Network को बनाया जा सकता है

इस Network की data transmission speed high है

 

2. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network-MAN) :-

Metropolitan Area network या MAN भी बोल सकते हो. ये एक पुरे सहर को जोड़ने वाल Network है. एक सहर में जितने भी छोटे बड़े College, School, government office के नेटवर्क को जोडके रखता है ये network. LAN से भी बड़ा नेटवर्क है MAN. MAN 10KM से 100KM तक Cover करता है. बोहत सारे LANs को आपस में connect करके बड़ा नेटवर्क बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.

इसतरह के Network अगर एक College campus में इस्तेमाल होने लगे तो उसे campus area network बोलते हैं. इसका सबसे अच्छा उदहारण है cable TV Network. LAN to LAN connect करने के लिए MAN का इस्तेमाल होता है. कोई बड़ा Business Organisation ही अपना खुद का MAN बनता है. जिसके जरिये वो अपने अलग अलग branch को connect कर सके.

विशेषताएं:-

बड़े geographical Area में इसकी दुरी सिमित है जैसे town, city.

इसकी ownership public और private होती है.

इस नेटवर्क install करने में जादा खर्चा आता है LAN से भी जादा.

data transmission speed moderate है.

 

3. वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network-WAN) :-

LAN और MAN के बाद जो Network आता है वही नेटवर्क है Wide Area Network. वैसे तो ये सबसे बड़ा नेटवर्क है जो की पुरे globe के computers को connect करके रखता है. इसको WAN भी बोला जाता है. Wide area network को LAN of LANS बोला जाता है. इस नेटवर्क की खासियत है ये DATA रेट कम है, लेकिन ज्यादा Distance cover करता है. Wide Area Network का सबसे अच्छा उदहारण है Internet.

वैसे तो बोहत सारे Wide Area Network हैं. जैसे public packet network, Large Corporate network, Military networks, Banking networks, railway reservation network और आखिर में Airline Reservation network.

WAN के जरिये Network की सुविधा देने वाली कंपनी को Network Service Provider बोलते हैं. इनको Internet का core बोला जाता है. WAN को सबसे महंगा नेटवर्क बोला जाता है. क्यूंकि इसमें कुछ इसतरह की technology का उपयोग किया जाता है. जैसे की SONET, Framerelay और ATM.

विशेषताएं:-

बड़े geographical Area जैसे दो देशों को अपसा में इस नेटवर्क से connect कर सकते हैं

इसकी ownership public और private होती है

इस नेटवर्क को install और maintenance करना difficult होता है.

data transmission speed slow है

4. Personal Area Network (पर्सनल एरिया नेटवर्क )

इस नेटवर्क को PAN भी बोला जाता है. ये छोटा सा network है जो की एक घर के अंदर इसकी सीमा रहती है. जैसे एक Building में, PAN में एक या एक से अधिक Computer रहते हैं. इसके साथ साथ telephone, Video game कुछ और Devices जुड़े रहते हैं.

एक ही residence में कुछ लोग अगर एक ही नेटवर्क को अगर इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे हम Home Area Network बोल सकते हैं. इसको HAN भी बोला जाता है. इसमें आमतोर पे WIRE से internet connection होता है. जो कि एक modem के जुडा रहता है. ये modem दोनों connection मतलब wire और wireless provide करता है. इस Network में आप ये सब काम कर सकते हो. WIFI भी Home Area Network है.

विशेषताएं:-

घर के किसी कोने में भी बैठ के आप document का print निकाल सकते हो.

photo upload और download भी कर सकते हो

online video sharing के साथ साथ video streaming भी कर सकते हो.

PAN और HAN में वैसे कुछ जादा अंतर नहीं है.

 

UNIT III (DTP-Desktop publishing)

 

डीटीपी क्या है?

डीटीपी,प्रकाशन का एक आधुनिक तकनीक है जिसका पूरा नाम डेस्कटॉप पब्लिशिंग है।इसकी सहायता से काफी कम समय में ही आसानी से प्रिंटिंग के कार्य को पूरा कर लिया जाता है।इस तकनीक के कारण प्रिंटिंग एंड पब्लिशिंग के फील्ड में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए है।एक रिपोर्ट के अनुसार इसका निर्माण जेम्स डेविस(James Davise) ने सन् 1983 में किया था।

डीटीपी में कंप्यूटर के जरिए विभिन्न सॉफ्टवेयर और लेजर प्रिंटर के माध्यम से मुद्रण का कार्य किया जाता है।इस तकनीक द्वारा पोस्टर्स, बुक्स, पत्रिकाएं,इन्विटेशन कार्ड आदि को बड़ी आसानी से कम समय और कम पैसों में बड़ी आसानी छापा जा सकता है।

 

DTP Full Form

Desktop publishing (डेस्कटॉप प्रकाशन)

D-Desk

T-Top

P-Publishing

 

डीटीपी की विशेषता

प्राचीन समय में लोग काठ पर उकेरी गई शब्दों से प्रिंटिंग करते थे।DTP के निर्माण के पहले लोग फोटो टाइप सेटिंग नामक प्रचलित पद्धति का use करते थे। इन विधियों से प्रिंटिंग का कार्य काफी जटिल,महंगा और अधिक समय व्यय करने वाला था।

लेकिन 1983 में DTP के निर्माण के बाद  मुद्रण यानी प्रिंटिग के क्षेत्र में चमत्कारी परिवर्तन हुए।इस तकनीक के उपयोग से काफी कम समय,काम लागत में बड़े से बड़े मुद्रण कार्य को कर सकते जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।इस पद्धति में मुद्रण कार्य सरल और तेज हो जाता है जिससे आपके पैसे और समय के साथ साथ श्रम भी कम लगता है।

 

डीटीपी के उपयोग

इस पद्धति का उपयोग छोटे और बड़े दोनों स्तर पर प्रिंटिंग के लिए किया का सकता है।छोटे स्तर पर आप इसका उपयोग इन्विटेशन कार्ड,विजिटिंग कार्ड, पोस्टकार्ड,ग्रीटिंग कार्ड्स, रिज्यूम, आदि को काफी काम लागत में बनाने के लिए कर सकते है।तो वहीं बड़े स्तर पर इसका उपयोग पुस्तकों,पत्रिकाओं,न्यूजपेपर्स, बड़े बड़े पोस्टर्स,एग्जाम के पेपर्स,बिल्स आदि को छापने और प्रकाशित करने में किया जाता है।

डीटीपी सॉफ्टवेयर के नाम

वैसे तो DTP (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर उपलब्ध है।लेकिन मैंने आपको नीचे कुछ प्रसिद्ध डीटीपी सॉफ्टवेयर्स का नाम दिया है जिसका उपयोग डीटीपी के लिए किया जाता है

Coral Draw

Adobe InDesign

Adobe Page Maker

Adobe Photoshop

PageStream

Acdsee Canvas

 

पब्लिशिंग और वर्ड प्रोसेसिंग में क्या अंतर है !!

 


डेस्कटॉप पब्लिशिंग

# डेस्कटॉप पब्लिशिंग में ग्राफिक डिज़ाइन शामिल है, और इसके द्वारा पृष्ठ के लिए एक लेआउट भी तैयार किया जा सकता है

 

# वर्ड प्रोसेसिंग में सभी कॉपी संपादन शामिल होते हैं जो डेस्कटॉप पब्लिशिंग होने से पहले होता है

 

# वर्ड प्रोसेसिंग में शब्द प्रसंस्करण, आमतौर पर फ़ॉन्ट का उपयोग करने के बारे में निर्णय, या पाठ में कौन सा रंग दिखाना चाहिए, इस बारे में निर्णय शामिल नहीं रहता है

 

# डेस्कटॉप प्रकाशन क्वार्कएक्सप्रेस 6.5 और 7.0 के साथ-साथ एडोब इनडिज़ीन सीएस और सीएस 2 जैसे सॉफ़्टवेयर का उपयोग करता है

 

वर्ड प्रोसेसिंग

# जबकि वर्ड प्रोसेसिंग एक टेक्स्ट बनाने के लिए काम करता है.

 

 

# जबकि डेस्कटॉप पब्लिशिंग पाठ को चित्रित करने के लिए छवियों को शामिल करता है।

 

# जबकि डेस्कटॉप पब्लिशिंग में एक प्रीप्रेस फ़ाइल का उत्पादन होना चाहिए और साइन, मैजेंटा, पीला या ब्लैक प्लेट तत्व छवियों के लिए शामिल किया चाहिए.

 

# वहीं दूसरी ओर वर्ड प्रोसेसिंग में मेल विलय, टेबल बनाने या खोज और कार्यों को प्रतिस्थापित करने जैसी विशेषताएं शामिल रहती हैं


 

 

एडोब पेजमेकर टूलबॉक्‍स आपको पेजमेकर में ब्रोसर्स, पोस्‍टकार्ड्स, बिजनेस कार्ड, लेटरहैड्स, या अन्‍य पब्लिकेशन्‍स को डिजाइन करने के लिये आपकी आवश्‍यकतानुसार सभी डेस्‍कटॉप पब्लिशिंग टूल्‍स प्रदान करता हैं।

 

सामान्यतया टूल बॉक्स  पैलेट पेजमेकर की विंडो मे स्वतः ही दिखाई पडता है यदि यह दिखाई न दे रहा हो तो Window Menu मे Show Tools आदेश देकर उसे देखा जा सकता है, टूलबॉक्स  मे आपके प्रकाशन के किसी पृष्ठ को तैयार करने के लिए सभी आवश्यक टूल दिए होते है।

 

 

जब आप किसी टूल को चुनने के लिये उस पर माउस प्वांटर लॉकर  क्लिक करते है, तो माउस प्वांटर अपना रूप बदल देता है और टूलबॉक्स  से बाहर आने पर उसी टूल के रूप का हो जाता है इससे आपको पता चल जाता है कि आपने कौन सा टूल चुना हुआ है।

प्वांटर टूल (Pointer tool)

किसी पृष्ठ पर लगी हुई किसी भी प्रकार की वस्तु, जैसे पाठ्य, लाइन, बॉक्स , वृत्त, चित्र आदि को चुनने के लिए माउस प्वाॅइटर उस वस्तु के ठीक ऊपर लाकर क्लिक कीजिए, चुनी हुई वस्तु के चारो ओर हैडिंल दिखाई पडते है, जिनसे आपको पता चलता है कि वह वस्तु चुनी हुई है।

 

आप इस टूल का उपयोग करके एक से अधिक वस्तुए भी एक साथ चुन सकते है, इसके लिए पहले एक वस्तु को क्लिक करके चुनिए और फिर अन्य वस्तुओ को बारी बारी से क्लिक करते समय शिफ्ट कुंजी को दबाए रखिए इससे वे सभी वस्तुए चुन ली जाएगी यदि चुनी जाने वाली वस्तुए पास पास है तो प्वांटर टूल को सक्रिय करके माउस प्वांटर से उनके चारो ओर एक काल्पनिक चैकोर घेरा बनाइए, इससे उस घेरे के अंदर जाने वाली सभी वस्तुए चुन ली जाएगी किसी चुनी हुई वस्तु को चुनाव से निकलने के लिए शिफ्ट दबाकर उसे क्लिक किजिए सभी चुनावो को रद्द करने के लिए कही खाली स्थान पर क्लिक कीजिए।

 

टेक्स्ट टूल (Text Tool)

इस टूल की सहायता से आप अपने प्रकाशन मे टैक्स्ट टाइप कर सकते है या पहले से टाइप किए हुए टैक्स्ट को चुन सकते है।टैक्‍स्‍ट टूल का प्रयोग करके आप टैक्‍स्‍ट को सेलेक्ट करने के साथ संशोधन कर सकते हैं, साथ ही साथ टैक्‍स्‍ट बॉक्‍स इंसर्ट कर सकते हैं।

 

टेक्स्ट टूल को इन्सर्ट करने के लिए टैक्‍स्‍ट टूल पर क्लिक कीजिये,फिर डॉक्‍यूमेंट पर क्लिक कीजिये तथा टैक्‍स्‍ट टाइप करना आंरभ कीजिये।

 

रोटेटिंग टूल (Rotating Tool)

किसी चुनी हुई वस्तु को 0.01के अंतर से 360तक घुमाने के लिए इस टूल का उपयोग किया जाता है इसके लिए पहले प्वांटर टूल का उपयोग करके उस वस्तु को चुन लीजिए, फिर रोटेटिंग  टूल को क्लिक कीजिए। इससे माउस प्वांइंटर का रूप बदलकर एक चोकोर तारे जैसा रूप ले लेगा अब माउस प्वांइटर को चुनी हुई वस्तु के उस बिन्दु पर ले जाइए, जिसको केन्द्र मानकर आप उसे घुमाना चाहते है वही माउस बटन को दबाकर पकड लीजिए और जिस दिशा मे आप उसे घुमाना चाहते है उसी दिशा मे माउस प्वांइंटर को खीचंते हुए उस बिन्दु से एक लाइन बनाइए, जब आप उस लाइन को घुमाएंगे, तो चुनी हुई वस्तु भी घूमती हुई दिखाई देगी इच्छित अंश तक घुमाने के बाद माउस बटन को छोड दीजिए, इससे वह वस्तु उतनी ही घूम कर स्थिर हो जाएगी।

 

लाइन टूल (Line Tool)

इस टूल का उपयोग किसी भी  अंश पर झुकी हुई सरल रेखाए खीचने के लिए किया जाता है कोई रेखा खीचने के लिए पहले इस टूल को क्लिक कीजिए, जिससे माउस प्वाइंटर एक धन चिन्ह + का रूप  ले लेगा। अब माउस बटन दबाकर माउस प्वांटर को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक खीचिए, जिससे उन दोनो बिंदुओ के बीच एक सरल रेखा बन जाएगी।

 

यदि आप रेखा को 45 o के अंतरो मे झुकी हुई बनाना चाहते है तो माउस प्वांइटर को खीचते समय शिफ्ट कुंजी को दबाकर पकड लीजिए।

 

कॉन्सट्रेन्ड लाइन टूल (Constrained Line tool)

इस टूल का उपयोग क्षैतिज तथा ऊध्र्वाधर सरल रेखाए खीचने के लिए किया जाता है। कोई रेखा खीचने के लिए पहले इस टूल को क्लिक कीजिए। जिससे माउस प्वांइंटर एक धन + चिन्ह का रूप ले लेगा। अब माउस बटन दबाकर माउस प्वांइंटर को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक खीचिए। जिससे उन दोनो बिदुंओ के बीच एक क्षैतिज अथवा ऊध्र्वाधर सरल रेखा बन जाएगी। आप लाइन टूल का उपयोग करते समय शिफ्ट कुजीं को दबाए रखकर इस टूल का प्रभाव उत्पन्न कर सकते है।

 

 रेक्टेंगल टूल (Rectangle Tool)

इस टूल का उपयोग आयताकार तथा वर्गाकार आकृतिया बनाने के लिए किया जाता है। कोई आयत बनाने के लिए पहले इस टूल को क्लिक कीजिए, जिससे माउस प्वांइंटर एक धन + चिन्ह का रूप ले लेगा। अब माउस बटन दबाकर माउस प्वांइंटर को आयत के एक कोने से उसके सामने के दसरे कोने तक खीचिए। जिससे उन दोनो बिदुंओ के बीच आयत बन जाएगा। वर्ग बनाने के लिए ऊपर की क्रिया मे माउस प्वांइंटर को खीचते समय शिफ्ट कुजी को दबा लिया जाता है।

 

इलिप्स टूल  (Ellipse Tool)

इस टूल का उपयोग दीर्घवृत्ताकार तथा वृत्ताकार आकृतिया बनाने के लिए किया जाता है। कोई दीर्घवृत्त या ओवल बनाने के लिए पहले इस टूल को क्लिक कीजिए, जिससे माउस प्वांइंटर एक धन + चिन्ह का रूप ले लेगा। अब माउस बटन दबाकर माउस प्वांइंटर की आकृति को के एक कोने से उसके सामने के दसरे कोने तक खीचिए। जिससे उन दोनो बिदुंओ के बीच एक ओवल  या दीर्घवृत्त बन जाएगा। दीर्घवृत्त बनाने के लिए माउस प्वांइंटर को खीचते समय शिफ्ट कुजी को दबा लिया जाता है।

 

हैडं टूल (Hand Tool)

इस टूल का उपयोग प्रकाशन के किसी भी पृष्ठ को स्क्रीन पर इधर उधर या ऊपर नीचे सरकाने के लिए किया जाता है ताकि आप उसका इच्छित भाग देख सके।

 

जूम टूल (Zoom Tool)

इस टूल का उपयोग प्रकाशन के किसी भी पृष्ठ को स्क्रीन पर छोटा या बडा करके देखने के लिए किया जाता है ताकि आप उसे अच्छी तरह से देख सके।

 

क्रॉप टूल (Crop Tool)

इसका प्रयोग करके आप इम्पोर्ट की गई इमेज को अपनी इच्‍छानुसार किसी भी आकार में छॉंट सकते हैं। आप इस पेजमेकर टूल का प्रयोग केवल .tiff इमेज पर कर सकते हैं।

 

ऑब्लिक लाइन टूल (Oblique Line Tool)

इसका प्रयोग करके आप एक कोण पर सीधी रेखाओं का निर्माण कर सकते हैं। ऑब्लिक लाइन टूल पर क्लिक कीजिये, तथा फिर डॉक्‍यूमेंट पर क्लिक कीजिये। एक लाइन का निर्माण करने के लिये इसे एच्छिक दिशा में ड्रैग कीजिये।

 

बॉक्‍स टूल (Box Tool)

बॉक्‍स टूल का प्रयोग करके आप आयताकार आकारो (Rectangle) का निर्माण कर सकते हैं। बॉक्‍स टूल का चयन कीजिये तथा डॉक्‍यूमेंट पर क्लिक कीजिये। आयताकार आकार (Rectangle) का निर्माण करने के लिये इसे ड्रैग कीजिये।

 

सर्किल टूल (Circle Tool)

सर्किल टूल का प्रयोग करके आप एक वृत्‍ताकार या दीर्घवृत्‍ताकार (Circular or Elliptical)आकार का निर्माण कर सकते हैं। सर्किल टूल का चयन कीजिये, तथा फिर डॉक्‍यूमेंट पर क्लिक कीजिये। वृत्‍त या दीर्घवृत्‍त (Circle or ellipse) का निर्माण करने के लिये इसे ड्रैग कीजिये।

 

सर्कुलर फ्रेम टूल (Circular Frame Tool)

सर्कुलर फ्रेम टूल का प्रयोग करके आप वृत्‍ताकार या दीर्घवृत्‍ताकार टैक्स्‍ट बॉक्‍स (Circular or elliptical text box) का निर्माण कर सकते हैं जिसमें आप टैक्‍स्‍ट टाइप भी कर सकते हैं। सर्कुलर फ्रेम टूल का चयन कीजिये, तथा फिर डॉक्‍यूमेंट पर क्लिक कीजिये। वृत्‍ताकार फ्रेम (Circular frame) का निर्माण करने के लिये इसे ड्रैग कीजिये। टूलबॉक्‍स से टैक्‍स्‍ट टूल का चयन कीजिये तथा फ्रेम के अंदर क्लिक कीजिये। अपना टैक्‍स्‍ट टाइप कीजिये। टैक्‍स्‍ट बॉक्‍स के अंदर सीमित हो जायेगा।

 

पॉलीगन टूल (Polygon Tool)

पॉलीगन टूल का प्रयोग करके आप एक ऐसे आकार का निर्माण कर सकते हैं। जिसके चार से ज्‍यादा कोने होते हैं। सर्कुलर फ्रेम टूल का चयन कीजिये, तथा फिर डॉक्‍यूमेंट पर क्लिक कीजिये। बहुभुजाकार फ्रेम (Polygonal frame) का निर्माण करने के लिये इसे ड्रैग कीजिये। Polygonमें सुधार करने के लिये, Element पर क्लिक कीजिये ओर फिर ड्रॉप डाउन मेन्‍यू से Polygon Settings का चयन कीजिये।

 

पेजमेकर 7.0 में नए डॉक्यूमेंट को सेव कैसे करें (How to Save a New Document in Page Maker 7.0)

आप कोई नया दस्तावेज बनाते है तो प्रारंभ मे उसका नाम Untitled-1  रख जाता है और बाद मे सुरक्षित करते समय उसको कोई नया नाम दिया जाता है किसी नए दस्तावेज जिसका अभी तक कोई नाम नही रखा बाद मे सुरक्षित करने के लिए निम्न प्रकार क्रियाए कीजिए।

 

File Menu मे Save आदेश दीजिए अथवा कंट्रोल के साथ S (Ctrl+S) Button दबाइए ऐसा करते ही आपको Save Publication का डायलॉग बॉक्स दिया जाएगा।

 

इस डायलॉग बॉक्स मे File Name टेक्स्ट बॉक्स मे क्लिक करके कर्सर वहां लाइए और दस्तावेज के लिए कोई नाम टाइप कीजिए।

इस दस्तावेज को सुरक्षित करने का डिफाल्ट फोल्डर Adobe Page Maker 6.5 होता है जहां पेजमेकर के सभी प्रोग्राम भी रखे जाते है यदि आप इसके अलावा किसी अन्य फोल्डर मे दस्तावेज को रखना चाहते है तो Save In लिस्ट बॉक्स मे उसका नाम भर दीजिए अथवा चुन लीजिए।

इस समय Save as type लिस्ट बॉक्स मे दस्तावेज का टाइप Publication चुना होना चाहिए यदि ऐसा नही है तो आपको सही टाइप चुन लेना चाहिए।

अंत मे Save button को क्लिक कीजिए अथवा एण्टर दबाइए जिससे दस्तावेज सुरक्षित हो जाएगा और आप वापस अपने दस्तावेज मे लौटकर कार्य जारी रख सकेगे।

 

 

 

 

एचटीएमएल क्या है – What is HTML in Hindi

HTML Kya Hai - What is HTML in Hindi

चलिए अब जान लेते है के HTML क्या होता है? Hypertext Markup Language को हम छोटे नाम से कहते हैं HTML. HTML एक computer की भाषा है जिसका इस्तेमाल website बनाने में किया जाता है. और उसे रंग रूप देने के लिए CSS का इस्तिमाल होता है. ये भाषा computer की अन्य भाषा जैसे C, C++, JAVA आदि के मुकाबले बहुत ही सरल है, इसका इस्तेमाल करना कोई भी व्यक्ति आसानी से और बहुत कम समय में सिख सकता है.

 

HTML की मदद से website बन जाने के बाद उस website को दुनिया का कोई भी व्यक्ति internet के जरिये देख सकता है. HTML की खोज Physicist Tim Berners-Lee ने सन 1980 में Geneva में किया था. HTML एक platform-independent language है जिसका इस्तेमाल किसी भी platform में किया जा सकता है जैसे Windows, Linux, Macintosh इत्यादि.

 

#1 Basic HTML Tags

HTML Basic Tags वे Tags होते है, जो एक HTML Document की Foundation रखते है. इसलिये इन्हे Foundation Tags भी कहते है. नीचे HTML Basic Tags की List और उनके उपयोग के बारे में बताया जा रहा है.

 

<–…–> – यह Comment Tag है. Comment Element का उपयोग HTML Document में Comment Define करने के लिए किया जाता है.

<!DOCTYPE> – DOCTYPE Element का पूरा नाम Document Type Definition होता है. DOCTYPE Element का उपयोग Document Type को Define करने के लिए किया जाता है.

<HTML> – HTML Element एक HTML Document का Root Element होता है. इससे HTML Document को Define किया जाता है.

<Head> – Head Element द्वारा HTML Document के बारे में लिखा जाता है. यह एक Webpage का Header Section होता है. जिसमे अधिकतर Meta Information को लिखा जाता है.

<Title> – Title Element का उपयोग HTML Document का Title Define करने के लिए किया जाता है. Document Title हमें Browser Window में दिखाई देता है. Document Title को Head Element में लिखा जाता है.

<Body> – Body Element से HTML Document की Body को Define किया जाता है. Body Element में एक HTML Document का Visible Part लिखा जाता है, जो Users को दिखाई देता है.

<H1> to <H6> – ये Heading Elements है. Heading Element द्वारा HTML Document में Headings को Define किया जाता है. HTML में H1 से H6 Level तक Headings बना सकते है.

<P> – इसे Paragraph Element कहते है. इसका उपयोग HTML Document में Paragraph Define करने के लिए किया जाता है.

<Hr> – <hr> Element का पूरा नाम Horizontal Line है. Hr Element से HTML Document में Horizontal Line को Define किया जाता है.

<Br> – <br> Element का पूरा नाम Break है. Br Element का उपयोग Single Line Break देने के लिए किया जाता है. मतलब आप एक Line को अलग-अलग Line में तोडकर लिख सकते है.

 

 

HTML का क्या Use होता है?

HTML का इस्तेमाल कर webpage बनाना बहुत ही आसन है, इसके लिए आपको चाहिए दो चीज़- पहला है एक साधारण text editor जैसे की Notepad जिसमे html का code लिखा जाता हैं और दूसरा चाहिए एक browser जैसे Internet Explorer, Google Chrome, Mozilla Firefox आदि जिसमे आपके website को पहचान मिलती है और जिसे internet user देख सकते हैं. HTML छोटे छोटे code की series से बना होता है जिसको हम notepad में लिखते हैं, इन छोटे codes को tags कहते हैं. HTML tags browser को बताता है की उस tag के अन्दर लिखे गए elements को website में कैसे और कहाँ दिखाया जाये.

 

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HTML ऐसे बहुत सारे tag प्रदान करता है जो graphics, font size और colours के इस्तेमाल से आपके website को एक आकर्षक रूप देता है HTML code को लिख लेने के बाद आपके document को save करना होता है, उसको save करने के लिए html file के नाम के साथ .htm या फिर .html लिखना जरुरी है तभी वो आपके html document को आपके browser में दिखायेगा वरना नहीं.

 

Save कर लेने के बाद आपको अपना html document देखने के लिए browser को खोलना होगा. वो browser आपके html file को read करेगा और आपके सही तरीके से लिखे हुए code को translate कर सही रूप से आपके website को दिखायेगा जैसा आपने code लिखते वक़्त सोचा होगा. आपका web browser html tags को website में नहीं दिखता बल्कि आपके document को सही तरह से दिखने के लिए उन tags का इस्तेमाल करता है.

 

 

 

HTML tags कैसा होता है?

What is HTML in Hindi में आप सब ने जान ही लिया होगा. चलिए उसके कुछ basic tags के बारे में जान लेते हैं. HTML tag अन्य text से पूरा अलग होता है जिसके मदद से html code लिखा जाता है. HTML tags keywords होता है जिसे हम बंद brackets के अन्दर रखते हैं जैसे <html>. tags के मदद से हम अपने website को नए नए रूप दे सकते हैं, उसमे हम images, tables, colors आदि चीज़ का इस्तेमाल कर webpage बना सकते हैं.

 

अलग-अलग tags अलग-अलग तरीके का कार्य करते हैं. जब आप अपना html पेज browser के जरिये देखते हैं तो उसमे ये सभी tags दिखाई नहीं पड़ते सिर्फ उनके प्रभाव ही नज़र आते हैं. HTML में हजारों tags होते हैं जिनका इस्तेमाल हम website बनाने के लिए करते हैं. चलिए मै उनमे से ही कुछ विशेष tags के बारे में आपको बताउंगी जिनका प्रयोग website बनाने के लिए बहुत जरुरी है. HTML में coding लिखना शुरू करने से पहले comment लिखा जाता है जिससे की author को पता चलता है की वो html page किस चीज़ के लिए बनाया गया है.

 

 

 

comment लिखना अनिवार्य नहीं है ये आपके ऊपर निर्भर करता है की आप अपने html document के लिए comment लिखना चाहते हैं या नहीं. HTML में comment <!”….”> इसके अन्दर लिखा जाता है, ये comment आपको web browser में दिखाई नहीं देगा.

 

Comment लिखने के बाद जो सबसे जरुरी tag होता है वो है header tag जिससे हमे html document की जानकारी मिलती है. comment tag को छोड़ कर बाकि जितने भी html tags होते हैं सभी का start tag और end tag होता है. जैसे

 

<head>…………………</head>

 

अगर आप एक start tag को लिखने के बाद उसका end tag नहीं लिखेंगे तो उस tag का असर आपके browser में नहीं दिखेगा, इसलिए end tag लिखना अनिवार्य है. HTML tags का keyword case-insensitive है इसका मतलब है की आप tag का नाम बड़े अक्षर(capital letter) या छोटे अक्षर (small letter) में लिख सकते हैं ये पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है की आप अपने tag को कैसे लिखना चाहेंगे. head tag के बिच में मैंने जो बिंदु की मात्रा दी है उसका मतलब है की आप उसके जगह कोई text लिख सकते हैं.

 

header tag के अन्दर title tag लिखा जाता है जो हमारे html पेज के title को दर्शाता है जैसे,

 

<title>This is my first web page</title>

 

जब हम अपने html page को browser में देखेंगे तो हमें यही text, browser के सबसे ऊपर title bar में बाये तरफ दिखाई देगा.

 

title tag के बाद body tag लिखा जाता है. इस tag के अन्दर webpage को आकर्षक बनाने के लिए जितने भी tags होते हैं उनका प्रयोग किया जा सकता है. जैसे,

 

 

 

<body bgcolor=”yellow” text=”blue”>

Hello! How are you?

</body>

 

यहाँ bgcolor का मतलब है background color जहाँ आपके webpage के background का रंग पिला दिखेगा और मैंने जो ये text लिखा है उसका रंग नीला दिखेगा. इसी तरह आप बहुत सारे tags का इस्तेमाल <body> tag के अन्दर कर अपने webpage को सुन्दर बना सकते हैं.

 

आपका html document हमेसा इसी रूप में होना चाहिए.

 

<html>

<head>

<title>———————</title>

</head>

<body>

<h1>——</h1> – इसे केहते हैं heading tag जो छोटे अक्षरों में दीखता है.

<p>——–</p> -इसे केहते है paragraph tag जहाँ आप paragraph लिख सकते हैं.

<b>——–</b> – इसे केहते हैं bold tag जो आपके लिखे हुए text को bold करदेगा.

</body>

</html>

 

ऐसे ही और भी बहुत से tag हैं जो आप body tag के अन्दर लिख सकते हैं, सभी tags के बारे में बता पाना यहाँ संभव नहीं इसलिए मैंने सिर्फ basic tag के बारे में बताया है.

 

 

 

 

जावास्क्रिप्ट क्या है – What is JavaScript?

JavaScript एक Dynamic कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा है, यह एक इंटरप्रिन्टेड/ओरिएंटेड भाषा है. जावास्क्रिप्ट को क्लाइंट साइड/सर्वर साइड स्क्रिप्ट के नाम से भी जाना जाता है. जिसकी मदद से एक गतिशील (Dynamic) वेब पेज बनाया जाता है. यह वेब टेक्नोलॉजी मानक केक की तीसरी लेयर हैI क्योंकि यह एक Scripting Language होती है, इसलिए JavaScript Code को HTML पेज के साथ ही कोड किया जाता हैI जावास्क्रिप्ट Web Designers को प्रोग्रामिंग की सुविधा प्रदान करती है तथा एक वेब डिज़ाइनर के लिए JavaScript का ज्ञान होना बेहद उपयोगी होता हैI

जब कोई यूजर इंटरनेट पर किसी ब्राउज़र में वेबपेज के लिए Request भेजता है तो कंप्यूटर सर्वर उस पेज के HTML Code के साथ-साथ JavaScript कोड को भी अटैच कर वेब ब्राउज़र के पास भेज देते हैI उसके बाद वह ब्राउज़र आवश्यकता पड़ने पर कोड को Text के रूप में परिवर्तित कर यूज़र को दिखाता हैI

JavaScript का इस्तेमाल न सिर्फ किसी ब्राउज़र में बल्कि सर्वर प्रोग्राम तथा वेब ब्राउज़र में Cookies के निर्माण में भी किया जा सकता हैI

जिस तरह HTML का फ़ाइल एक्सटेंसन .html है. उसी तरह जावास्क्रिप्ट का फ़ाइल एक्सटेंसन .js होता है. JavaScript एक ओपन तथा क्रॉस प्लेटफार्म है अर्थात इसका इस्तेमाल Windows, Mac आदि अनेक ऑपरेटिंग सिस्टम में किया जा सकता हैI

 

 

 


नेटवर्क क्या है ? (what is network)




जब दो या दो से अधिक Device(उपकरण) आपस में Connect होकर Information या resources को शेयर करते है तो उसे नेटवर्क कहते है, ये उपकरण  Computers, Servers, Mobiles, Routers आदि हो सकते है |

Network में Devices को को दो तरह की Technology का प्रयोग करके जोड़ा जाता है, Wired या Wireless | Wired Connection बनाने के लिए Cable जैसे की Twisted Paire , Coaxial और Fiber Optic cable तथा Wireless Connection बनाने के लिए Radio Wave, Bluetooth और Satellite का इस्तेमाल किया जाता हैं |

कंप्यूटिंग में एक नेटवर्क दो या दो से अधिक डिवाइसों का समूह है जिसके द्वारा हम कम्युनिकेशन कर सकते हैं। व्यावहारिक रूप से, नेटवर्क में भौतिक और वायरलेस कनेक्शन से जुड़े कई अलग-अलग कंप्यूटर सिस्टम शामिल होते हैं। नेटवर्क कंप्यूटर, सर्वर, मेनफ्रेम, नेटवर्क डिवाइस या एक दूसरे से जुड़े हुए अन्य उपकरणों का एक संग्रह है जो आपस में डाटा शेयर करने की अनुमति प्रदान करता है।
नेटवर्क का एक उत्कृष्ट उदाहरण इंटरनेट है, जो पूरे विश्व में लाखों लोगों को जोड़ता है|

नेटवर्क उपकरणों के उदाहरण (Examples of network devices):
डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, मेनफ्रेम और सर्वर
कंसोल और थिन क्लाइंट (Thin Client)
फायरवॉल
ब्रिजस (Bridges)
रिपीटर (Repeaters)
नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड(NIC)
स्विचेस, केंद्र, मॉडेम और रूटर
स्मार्टफोन और टैबलेट
वेबकैम

पहला कंप्यूटर नेटवर्क कौन सा था?


ARPANET पहला पैकेट स्विचिंग का उपयोग करने वाले पहले कंप्यूटर नेटवर्क था, जिसे 1960 के दशक के मध्य में विकसित किया गया था| इसे ही आधुनिक इंटरनेट का प्रत्यक्ष पूर्ववर्ती माना जाता है| पहला ARPANET संदेश 29 Oct, 1969 को भेजा गया था।

नेटवर्क के प्रकार (Types of Network)

LAN (Local Area Network) :-

इसका पूरा नाम Local Area Network है यह एक ऐसा नेटवर्क है जिसका प्रयोग दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है| लोकल एरिया नेटवर्क स्थानीय स्तर पर काम करने वाला नेटवर्क है इसे संक्षेप में लेन कहा जाता हैं| यह एक ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क है जो स्थानीय इलाकों जैसे- घर, कार्यालय, या भवन समूहों को कवर करता है|
विशेषताये:-
यह एक कमरे या एक बिल्डिंग तक सीमित रहता है |
इसकी डाटा हस्तांतरित (Data Transfer) Speed अधिक होती है |
इसमें बाहरी नेटवर्क को किराये पर नहीं लेना पड़ता है |
इसमें डाटा सुरक्षित रहता है |
इसमें डाटा को व्यवस्थित करना आसान होता है |



MAN (Metropolitan Area Network) :-


इसका पूरा नाम Metropolitan Area Network हैं यह एक ऐसा उच्च गति वाला नेटवर्क है जो आवाज, डाटा और इमेज को 200 मेगाबाइट प्रति सेकंड या इससे अधिक गति से डाटा को 75 कि.मी. की दूरी तक ले जा सकता है| यह लेन (LAN) से बड़ा तथा वेन (WAN) से छोटा नेटवर्क होता है | इस नेटवर्क के द्वारा एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ा जाता है |

इसके अंतर्गत दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क एक साथ जुड़े होते हैं. यह एक शहर के सीमाओ के भीतर का स्थित कंप्यूटर नेटवर्क होता हैं. राउटर, स्विच और हब्स मिलकर एक मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का निर्माण करता हैं|
विशेषताये:-
इसका रखरखाव कठिन होता है |
इसकी गति उच्च होती है |
यह 75 कि.मी. की दूरी तक फैला रहता है |

WAN (Wide area Network) :-


इसका पूरा नाम Wide Area Network होता है | यह क्षेत्रफल की द्रष्टि से बड़ा नेटवर्क होता है| यह नेटवर्क न केवल एक बिल्डिंग, न केवल एक शहर तक सीमित रहता है बल्कि यह पूरे विश्व को जोड़ने का कार्य करता है अर्थात् यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है इसमें डाटा को सुरक्षित भेजा और प्राप्त किया जाता है |

इस नेटवर्क मे कंप्यूटर आपस मे लीज्ड लाइन या स्विच सर्किट के दुवारा जुड़े रहते हैं. इस नेटवर्क की भौगोलिक परिधि बड़ी होती है जैसे पूरा शहर, देश या महादेश मे फैला नेटवर्क का जाल. इन्टरनेट इसका एक अच्छा उदाहरण हैं. बैंको का ATM सुविधा वाईड एरिया नेटवर्क का उदाहरण हैं.
विशेषताये:-
यह तार रहित नेटवर्क होता है|
इसमें डाटा को संकेतो (Signals) या उपग्रह (Sate light) के द्वारा भेजा और प्राप्त किया जा सकता है |
यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है |
इसके द्वारा हम पूरी दुनिया में डाटा ट्रान्सफर कर सकते है |



Information Technology/सूचना प्रौद्योगिकी



Information Technology को संक्षिप्त में IT कह कर भी पुकारा जाता है। इसे हिन्दी में सूचना प्रौद्योगिकी कहा जाता है। Information Technology मतलब आंकड़ों की प्राप्ति, सूचना (Information) संग्रह, सुरक्षा, परिवर्तन, आदान-प्रदान, अध्ययन, डिजाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिये ज़रूरी कंप्यूटर Hardware एवं software अनुप्रयोगों से सम्बन्धित है। Information Technology कंप्यूटर पर आधारित सूचना-प्रणाली का आधार है। Information Technology, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग बन गयी है।

Information Technology का महत्व

यह नये रोजगार सर्जन करता है। यह सर्विस इकोनोमी की निव है।
सूचना तकनीक के इस्तेमाल से नयी योजनायें बनाने और निर्णय लेने में मदद मिलती है।
Information technology के विकास से सशक्तिकरण / Empowerment बढ़ता है।
IT की उन्नति से corruption कम होता है। कई क्षेत्रों में पारदर्शिता आती है।
पिछड़े देशों के विकास में Information technology एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।


इंटरनेट क्या है / What is Internet ?

इंटरनेट एक दुसरे से जुड़े कई कंप्यूटरों का जाल है जो राउटर एवं सर्वर के माध्यम से दुनिया के किसी भी कंप्यूटर को आपस में जोड़ता है. दुसरे शब्दों में कहे तो सूचनाओ के आदान प्रदान करने के लिए TCP/IP Protocol के माध्यम से दो कंप्यूटरों के बीच स्थापित सम्बन्ध को Internet कहते हैं. इन्टरनेट विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है इसीलिए इसे नेटवर्कों का नेटवर्क भी कहा जाता है।







Internet की उपयोगिता

आज के ज़माने में Internet की बहुत ज्यादा आवश्यकता है और Internet की उपयोगिता भी बहुत है बिना Internet के बहुत से काम होना असंभव है, Internet की उपयोगिता निम्नलिखित है –

संचार के लिए (Communication)
सबसे ज्यादा इन्टरनेट का उपयोग संचार के लिए ही होता है, इंटरनेट की मदद से हम किसी भी मिलो दूर बैठे व्यक्ति से बात-चित कर सकते है इसके लिए इन्टरनेट पर बहुत सी ऐसी सर्विस उपलब्ध है जिनसे हम मिलो दूर बैठे व्यक्ति से बिना किसी रुकावट के बात-चित कर सकते है, जैसे Video Call, E-mail, Chat etc. यह सब Internet की वजह से ही सम्भव हुआ है इसलिए Internet काफी ज्यादा उपयोगी माना जाता है |

जानकारियों को खोजने के लिए
हमें जब भी कोई सवाल का जवाब  या किसी भी विषय पर जानकारी प्राप्त करनी होती है तो उसका उत्तर ढूंढने में Internet मदद कर सकता है Internet पर हमें काफी सारे सर्च इंजन मिल जाते है जिनके पास हमारे सारे सवालों का जवाब होता है, या फिर जब भी हमें कोई जानकारी खोजना होती है तब हम इनको उपयोग कर सकते है |

शिक्षा के लिए (Education)
हम Internet का उपयोग शिक्षा के लिए भी कर सकते है, Internet पर बहुत सी ऐसी वेबसाइट उपलब्ध है जो हमें शिक्षा से जोडती है हम घर बैठे ही दुनिया के बेहतरीन शिक्षको से ज्ञान ले सकते है, हम जिस भी फील्ड में चाहे उस फील्ड में पढ़ाई कर सकते है इसे E-learning कहा जाता है, और अगर आप किसी कॉलेज में पढ़ते हो और आपको अपने कॉलेज के बारे में कोई जानकारी चाहिए तो वो भी आप Internet की मदद से ले सकते हो जैसे की आपकी परीक्षा का टाइम टेबल, आपके कोर्स की फीस या अन्य किसी भी विषय में सहायता आपको Internet की मदद से घर बैठे आसानी से मिल जाती है |

शौपिंग के लिए (Online Shopping)
पहले Online Shopping का इतना उपयोग नहीं होता था लेकिन कुछ सालो से इसका उपयोग बहुत ज्यादा होने लग गया है इसे E-commerce कहा जाता है, हम घर बैठे Internet की मदद से घर बैठे सभी तरह के सामान खरीद सकते है जब भी हम कोई सामान ऑनलाइन आर्डर करते है तो हमें होम डिलीवरी होती है Internet पर बहुत सी E-commerce वेबसाइट उपलब्ध है जिनसे हम कोई भी सामान मंगवा सकते है, आज-कल इसका बहुत ज्यादा उपयोग होने लग गया है और यह बहुत ज्यादा ट्रेंड में आ चूका है, इसका उपयोग दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है, बिना Internet के यह काम असंभव है |

मनोरंजन के लिए (Entertainment)
हम Internet का उपयोग मनोरंजन के लिए कर सकते है, बहुत सी एसी वेबसाइट Internet पर है जिन पर हम गाने, विडियो, मूवीज, आदि सब देख सकते है, हम ऑनलाइन विडियो गेम्स भी खेल सकते है, हम ऑनलाइन बुक्स जिनको E-books कहते है हम वह भी Internet की मदद से पढ़ सकते है |

बैंकिंग (Banking)
इंटरनेट के बाद अब आपको अपने बैंक में जाने कि जरूरत बिल्‍कुल भी नहीं हैं। आप कहीं से भी अपने बैंक को ऑनलाइन एक्‍सेस कर सकते हैं और ट्रांन्ज़ैक्शन कर सकते हैं या बिल पेमेंट कर सकते हैं।

इंटरनेट से बिजनेस )E-bussines
आप अपने बिजनेस को इंटरनेट से भी रन कर सकते हैं। इसका बडा फायदा यह होता हैं कि‍ इसके लिए आपको न तो महेंगे दुकान को खरीदने की जरूरत होती हैं और न हीं मैन पॉवर की।इंटरनेट पर आपकी यह दुकान 24/7 घंटे ऑन रहती हैं और आप पुरी दुनिया में अपना बिजनेस कर पैसे कमा सकते हैं।


UNIT IV-Advanced Web Publishing (JavaScript)

***JavaScript क्या है?

  • JavaScript एक powerful scripting language है जिसे HTML के साथ add करके web page को और भी interactive बनाया जा सकता है| 
  • Javascript एक client side scripting है इसका मतलब यह user के browser पर run होता है| 
  • JavaScript को Brendan Eich ने 1995 में Netscape में बनाया था तब इसका नाम Livescript था जिसे बाद में बदल कर JavaScript रखा गया| 
  • कई सारे programmers Javascript और Java को एक दुसरे से related समझते हैं लेकिन असल में ये दोनों एकदूसरे से बिलकुल अलग हैं और इनके बीच कोई सम्बन्ध नही है| जहाँ पर Java बहुत ही complex programming language है वहीँ Javascript केवल एक light-weighted scripting language है| 
  • जब भी user किसी webpage के लिए request send करता है तब server उस पेज के HTML के साथ JavaScript के code को भी browser पर send कर देता है अब यह browser की responsibility होती है वह उस JavaScript के code को जरूरत पड़ने पर execute करे|

**TCP/IP क्या है ?


टी सी पी (TCP) का अर्थ है ट्रान्समिशन कन्ट्रोल प्रोटोकॉल (Transmission Control Protocol) और आई पी (IP)का अर्थ जय इन्टरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol)।

यह नियमों का एक समूह है, जो इंटरनेट कैसे कार्य करता है यह निर्णय करता है । यह दो कम्प्यूटर के बीच सूचना स्थान्तरण और संचार को संभव करता है । इनका प्रयोग डाटा को सुरक्षित ढंग से भेजने के लिए किया जाता है । टी सी पी की भूमिका डाटा को छोटे-छोटे भागों में बाँटने की होती है और आई पी इन पैकिटों पर लक्ष्य स्थल का पता अंकित करता है ।



टीसीपी / आईपी नेटवर्क मॉडल में चार बुनियादी परतें हैं:


  • नेटवर्क इंटरफेस (परत 1): नेटवर्क और आईपी प्रोटोकॉल के बीच नेटवर्क कनेक्टिविटी के सभी भौतिक घटकों के साथ सौदे
  • इंटरनेट (परत 2) : सभी कार्यक्षमताएं शामिल हैं जो एक नेटवर्क के दो नेटवर्क उपकरणों के बीच डेटा की आवाजाही का प्रबंधन करती है जो कि एक रूटीय नेटवर्क
  • मेजबान-टू-होस्ट (लेयर 3): दो मेजबानों या उपकरणों के बीच यातायात के प्रवाह को प्रबंधित करता है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि डेटा होस्ट पर आवेदन पर पहुंच जाता है जिसके लिए इसे लक्षित किया जाता है
  • आवेदन (परत 4):दो नेटवर्क होस्टों के बीच संचार सत्र के किसी भी अंत में अंतिम समापन बिंदु के रूप में कार्य करता है!

What is bitmap/raster (बिटमैप/रास्टर क्या है?

Bitmap या raster एक image file format है जिसका प्रयोग computer graphics को create तथा store करने के लिए किया जाता है.
एक bitmap जो है वह display space को define करता है तथा यह display space में प्रत्येक pixel या bit के लिए color को भी डिफाइन करता है.एक bitmap file जो होती है वह एक pattern में small dots को display करती है. जब हम इसे दूर से देखते है तो हमें पूरी image दिखायी देती है.

bitmap को create करने के लिए, एक image को सबसे छोटे units (pixels) में तोडा जाता है तथा उसके बाद प्रत्येक pixel की color information को bits में स्टोर किया जाता है.

बिटमैप image की complexity को हम प्रत्येक dot की color intensity को बदलकर बढ़ा सकते है. या फिर हम image को बनाने में लगी rows तथा columns की संख्या को बढाकर भी इसकी complexity बढ़ा सकते है.

बिटमैप का standard फाइल फॉरमेट .BMP है परन्तु इसके अन्य file formats – .jpg, gif, तथा png आदि है.

Types of  Image File Formats

  • GIF (Graphical image file)
  • IMG file format
  • Tiff (Tag image file format)
  • EPS (Encapsulated postscript)
  • WPG file format
  • JPEG (Joint photographic expert group)
  • BMP (Bitmap file format)
  • PNG (Portable network graphic)
  • JPEG

GIF file format

GIF का पूरा नाम ग्राफिक्स इंटरचेंज फॉर्मेट (Graphic file format) हैं GIF image format को CompuServe ने 1887 में बनाया था इस format को बनाने का उद्देश्य इमेजिस को ऑनलाइन देखना था |इस फॉर्मेट का प्रयोग मुख्य रूप से सिंथेटिक, डायग्राम, लोगोस, नेविगेशन बटन आदि फ्लैट इमेज बनाने के लिए किया जाता है यह रंगो के लिए कलर लुकअप टेबल का प्रयोग करता है और केवल 256 Colors प्रति इमेज के लिए प्रयोग करता है| GIF File का एक्सटेंशन .gif होता है| 

IMG file format

IMG File format को मूलतः IMG प्रोग्राम के साथ कार्य करने के लिए बनाया गया था| यह File format मोनोक्रोम और ग्रे स्केल इमेज को हैंडल करता है|

TIFF file format

tiff का पूरा नाम Tag image File format  है| इस प्रकार की इमेज File का एक्सटेंशन .tif होता है इसलिए इनको टिफ File कहा जाता है| यह एक ऐसा File format है जिसे व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है और यह सभी प्लेटफॉर्म्स जैसे Map, Windows, Unix को सपोर्ट करता है यह RGB, CMYK कलर को सपोर्ट करता है इस File का आकार अपेक्षाकृत अधिक होता है अर्थात यह फाइल्स अधिक मेमोरी का प्रयोग करते हैं|

EPS file format

EPF File को एनकेप्सुलेटेड पोस्ट स्क्रिप्ट फाइल (Encapsulated Post Script) भी कहा जाता है| यह वह इमेज होती हैं जिनका प्रयोग ग्राफिक्स File को रेंडर करने के लिए किया जाता है ताकि इनको किसी अन्य पोस्ट स्क्रिप्ट डॉक्यूमेंट में प्रयोग किया जा सके ईपीएस File का मुख्य लाभ यह है कि इसका आकार इसकी गुणवत्ता में परिवर्तन किए बिना परिवर्तित किया जा सकता है ईपीएस File की आवश्यकता उच्च स्तरीय प्रिंटिंग के लिए होती है|

JPG file format

JPG File format का पूरा नाम जॉइंट फोटोग्राफिक एक्सपर्ट ग्रुप (Joint photographic expert group) है| यह एक raster ग्राफिक्स format है जो dos, windows, Macintosh, unix आदि के लिए स्पेस की बचत करने के लिए किसी इमेज को कंप्रेस करती है| JPEG File को लगभग सभी सॉफ्टवेयर मैं इंपोर्ट किया जा सकता है| यह सबसे अधिक प्रयोग होने वाला इमेज File format है सामान्यतः JPEG files RGB कलर मोड में होती हैं अतः इनको प्रिंटिंग के लिए प्रयोग किए जाने पर इनका कलर मोड RGB से CMYK में परिवर्तित किया जा सकता है|

JPEG 2000

JPEG 2000 एक File format है जो स्टैंडर्ड JPG format की अपेक्षा अधिक लचीला होता है| JPEG 2000 का प्रयोग करके आप बेहतर compression एवं क्वालिटी की इमेजेस बना सकते हैं जो वेब एवं प्रिंट दोनों पब्लिकेशन के लिए प्रयोग की जा सकती है| पारंपरिक JPG files जो lossy होती हैं की जगह JPEG 2000 format वैकल्पिक lossless compression का प्रयोग करते हैं| JPEG 2000 format रीज़न ऑफ इंटरेस्ट का प्रयोग करते हैं ताकि File साइज को घटाया जा सके और किसी image के अहम हिस्से की क्वालिटी को सुरक्षित रखा जा सके|

EXIF

EXIF का अर्थ है Exchangeable image file format और यह image फाइल्स अधिकतर डिजिटल कैमरे मैं प्रयोग किए जाते हैं यह format JEITA के द्वारा बनाए गए DCF स्टैंडर्ड का एक हिस्सा है| जो इमेजिंग डिवाइसेज के बीच inter operability को बढ़ावा देते हैं|

PNG file format

PNG को Portable Network Graphics कहा जाता हैं| यह इंटरनेट पर सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला दोषरहित इमेज कम्प्रेशन फ़ॉर्मेट हैं| यह GIF कि तरह 8-बिट कलर को सपोर्ट करता है| दोषरहित इमेज कम्प्रेशन का अर्थ हैं कि वे एडिटिंग के दौरान अपनी क्वालिटी नहीं खोती| PNG मे ट्रांसपेरेंसी के कई ऑप्शंस हैं| PNG-24 और PNG-32 ट्रांसपेरेंसी को सपोर्ट करती हैं, यह GIF की तुलना में अधिक एडवांस हैं।

***Raster/बिटमैप और Vector Graphics में क्या अंतर है?

Raster/Bitmap ImageVector Image
Pictures Pixel-based होते हैंMathematical calculations के जरिये shapes बनते हैं
इमेज का का dimension और resolution निश्चित होता हैकिसी भी आकार में scale किया जा सकता है
Image का आकार जितना बड़ा होगा file की size भी उतनी ही बड़ी होगीFile size छोटा होता है
File formats: .jpg, .gif, .png, .tif, .bmp, .psdFile formats: .ai, .cdr, .svg;
Common raster software: Photoshop, GIMPCommon vector software: Illustrator, CorelDraw, InkScape
आसानी से कई सारे colors को blend करके painting किया जा सकता हैबिना rasterizing के colors को blend कर पाना मुश्किल है
Painting के लिए perfect हैDrawing के लिए perfect है
Raster को vector में convert किया जा सकता है लेकिन इसमें काफी समय लगता हैVector image को आसानी से raster में convert कर सकते हैं

क्लाइंट-साइड और सर्वर-साइड स्क्रिप्टिंग में क्या अंतर है?

Client-Side Scripting Server-Side Scripting
यह front-end technology है। यह back-end technology है।
यह यूजर के browser पर run होता है।यह web server पर run होता है।
इसके source code को user देख सकता है।इसके code client तक नही पहुँचते इसलिए इसे यूजर नही देख सकता।
क्लाइंट-साइड स्क्रिप्ट web server पर stored डेटाबेस से connect नही हो सकता।इसके द्वारा server पर उपलब्ध database को access किया जा सकता है।
Server के file system से किसी फाइल को यह access नही कर पाता।सर्वर पर उबलब्ध फाइल सिस्टम को यह access कर सकता है।
सर्वर-साइड की तुलना में क्लाइंट-साइड स्क्रिप्टिंग का response fast होता है। क्लाइंट-साइड की तुलना में सर्वर-साइड स्क्रिप्टिंग का response slow होता है।।
Client-side scripting को यूजर द्वारा ब्राउज़र की setting से block किया जा सकता है जिससे यह यूजर के ब्राउज़र पर run नही होगा।इस प्रकार के स्क्रिप्ट को यूजर block नही कर सकता।

Introduction to JavaScript Operators 

Variables में values सिर्फ उन्हें बाद में display करवाने के लिए ही नहीं बल्कि इसलिए भी store की जाती है  ताकि उनके साथ अलग अलग तरह के operations perform किये जा सके। Variables की values के साथ operations perform करने के लिए आपको operators की जरुरत होती है।
जैसे की आप 2 variables की values को add करना चाहते है। इसके लिए आप addition (+) operator यूज़ करेंगे। और यदि आप 2 variables की values को compare करना चाहते है तो आप relational operators यूज़ करते है। आइये operators के बारे में और जानने से पहले कुछ important terms के बारे में जान लेते है। 

What is Operand? 

Operators जिन variables पर apply होते है या जिन variables के साथ यूज़ किये जाते है, उन variables को operands कहा जाता है। जैसे नीचे लिखे हुए statement को देखिये। 
  c = a+b;
इस statement में a और b operands है। C भी एक operand है क्योंकि (=) operator इस पर apply हो रहा है।

Types of Operators 

Operators unary और binary दो तरह के होते है। Unary operators वो operators होते है जो सिर्फ एक variable पर ही apply होते है। जैसे की (~) NOT operator है।
ये operator सिर्फ एक ही variable के साथ apply किया जाता है। Binary operators वो operators होते है जिनके execution के लिए 2 operators required होते है। जैसे की (+) operator है। इस operator को आप किसी single variable के साथ यूज़ नहीं कर सकते है। इस variable को execute होने के लिए 2 operands की आवश्यकता होती है। 

JavaScript Arithmetic Operators 

Arithmetic operations perform करने के लिए arithmetic operators यूज़ किये जाते है।
Operator
Explanation
Example
Negation(-) unary
Opposite values of a variable 
-a
Addition (+)
It adds values of 2 or more variables 
a+b
Subtraction(-)
Subtract value of one variable from other variables value
a-b
Multiplication(*)
Multiply values of 2 variables
a*b
Division(/)
Divide value of one variable by value of another variable. 
a/b
Modulus
Get the remainder after division 
a%b
Exponentiation
Value of first variable raise to power to value of second variable 
a**b

JavaScript Relational Operators 

Relational operators के द्वारा आप 2 variables की values को compare कर सकते है। ये operators ज्यादातर control statements में यूज़ होते है जब आप logic build करने की कोशिश करते है। जैसे की कौनसा variable बड़ा या छोटा है। 
Operator
Explanation
Example
Equal (==)
ये operator 2  variables की values को equality के लिए compare करता है।  
a==b;
Not Equal (!=)
ये operator 2 variables की values को non equality के लिए check करता है।  
a!=b;
Less than (<)
ये operator ये check करता है की left side का variable right side के variable से छोटा है या नहीं।  
a<b;
Greater than (>)
ये operator check करता है की right side वाला variable left side वाले variable से बड़ा है या नहीं।  
a>b;
Less than equal to (<=)
ये operator check करता है की left side का variable right के variable के बराबर है या उससे छोटा है या नहीं।  
a<=b;
Greater than equal to (>=)
ये operator check करता है की right side का variable left side के variable के बराबर या उससे बड़ा है या नहीं।  
a>=b;

JavaScript Bitwise Operators 

सभी variables की values bits में convert होती है। Bit wise operator के द्वारा आप bits पर operations perform कर सकते है। ये operators भी control statements में यूज़ किये जाते है। 
Operator
Explanation
Example
AND (&)
दोनों variables की values में जो common bits होती है वो return कर दी जाती है।  
a&b
OR (|)
दोनों variables की सभी bits return कर दी जाती है।  
a|b
X-OR(^)
जो bits right side के variable में नहीं है लेकिन left side के variable में है return की जाती है।  
a^b
NOT(~)
सभी bits invert करके return की जाती है।  
~a
Shift Left(<<)
सभी bits को right side के variable की value जितना left में shift किया जाता है।  
a<<b
Shift Right(>>)
सभी bits को right side के variable की value जितना right में shift किया जाता हैं।  
>>b

JavaScript Logical Operators 

Logical operators के द्वारा logic perform किया जाता है। इन operators को control statements में यूज़ किया जाता है।   
Operator
Explanation
Example
And(&&)
यदि दोनों variables की value true है तो ये operator true result return करता है।  
a&&b
Or(||)
दोनों में से कोई एक variable true हो तो भी result true ही होता है।    
a||b
Not(!)
यदि variable true है तो false होगा और यदि false है तो true हो जायेगा।  
!a
Xor
यदि दोनों से कोई एक true है तो result true होगा। और यदि दोनों false या दोनों true है तो result false होगा।   
a Xor b

JavaScript Assignment Operators 

Assignment operators variables की values आपस में assign करने के लिए यूज़ किये जाते है।  
Operator
Explanation
Example
Simple assignment (=)
ये operator right variable की value left variable को assign करता है।   
a=b;
Plus assignment (+=)
ये operator left और right variables की value को add करके left variable में store करता है।   
a+=b;
Minus assignment(-=)
ये operator left side के variable की value में से right side के variable की value घटाकर result left side के variable में store करता है।   
a-=b
Multiply assignment(*=)
ये operator left और right side के variables की values को multiply करके result left side के variable में store करता है।   
a*=b
Divide assignment(/=)
ये operator left side के variable की value को right side के variable से divide करके result left side के variable में store करता है।   
a/=b

JavaScript Special Operators 

JavaScript आपको कुछ special operators provide करती है जो कुछ special operations perform करने के लिए यूज़ किये जाते है। इनमें से हर operator एक अलग purpose को fulfill करता है।

Conditional Operator (?:) 

Conditional operator if-else की तरह ही होता है। इसे आप one-line  if else statement भी कह सकते है। इसे यूज़ करना बहुत ही आसान है। Question mark से पहले एक condition दी जाती है। यदि ये condition true होती है तो colon के पहले वाला statement और यदि false होती है तो colon के बाद वाला statement result के रूप में return किया जाता है। इसका उदाहरण नीचे दिया जा रहा है।
z  =  (5>3) ? 5 : 3;
document.write(z); // It will print 5

Typeof Operator 

ये operator debugging के लिए बहुत helpful है। इस operator से किसी भी variable के data type का पता लगाया जा सकता है। इस operator को यूज़ करना बहुत ही आसान है। आप typeof लिख कर उसके आगे वो value या variable लिखते है जिसका data type आपको पता लगाना है।
str = “hello world”;
document.write(typeof  str); 

Void Operator 

ये operator जब भी आप JavaScript में कोई function call करते है तो उसकी return value को discard करने के लिए यूज़ किया जाता है। इसे यूज़ करना बिलकुल आसान है। जिस भी function की return value आप discard करना चाहते है उसमे आप इस operator (…) को argument की तरह pass करते है।

Introduction to JavaScript Control Statements 

Control statements program के flow को control करते है। जैसे की आप control statements की मदद से choose कर सकते है की आप कौनसा statement execute करवाना चाहते है और कौनसा नहीं करवाना चाहते है। Control statements की मदद से logic perform किया जाता है। 
उदाहरण के लिए आप 1 से लेकर 100 तक के numbers में सिर्फ even numbers print करवाना चाहते है। इस situation में आप control statements की मदद से पता कर सकते है की number 2 से पूरी तरह divide हो रहा है या नहीं। यदि number 2 से divide किया जा सकता है तो वह even है और उसे print कर दिया जाता है। 
if(num%2==0)
{
    document.write(num,”is even”);
}
Control statements के बिना program में कोई logic perform नहीं किया जा सकता है। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो आप choose कर सकते है की कौनसे statements किस situation में execute होंगे। और साथ ही आप control statements की मदद से एक statement को कई बार भी execute कर सकते है।

Types of Control Statements 

Control statements को 3 categories में divide किया गया है। ये categories control statements के tasks को भी define करती है। इन categories के बारे में नीचे दिया जा रहा है। 
Selection statements – इस category के control statements program में statements को situation के according select करके execute करने के लिए यूज़ किये जाते है। इस category में नीचे दिए गए statements आते है। 
  • If
  • If-Else
  • Nested-If
  • Switch case   
Looping statements – इस तरह के statements program में particular statements को बार बार execute करने के लिए यूज़ किये जाते है। इस category के control statements नीचे दिए गए है। 
  • For 
  • Do-While
  • While 
Jump statements – इस तरह के statements program में एक जगह से दूसरी जगह jump करने के लिए यूज़ किये जाते है। इस category के statements नीचे दिए गए है। 
  • Break
  • Go to     

Selection Statements 

जैसा की मैने आपको पहले बताया selection statements logic के द्वारा कुछ particular statements को execute करते है। आइये अब selection statements को उदाहरण से समझने का प्रयास करते है।

if Statement 

If statement किसी condition को test करता है यदि condition true होती है तो brackets में दिए हुए statements execute कर दिए जाते है और यदि condition false है तो ये block skip कर दिया जाता है। 
Example 1
if(5>3)
{
    document.write(“This will be displayed”);
}
जैसा की आप ऊपर दिए हुए उदाहरण में देख रहे है दी हुई condition true है इसलिए brackets के अंदर का statement execute होगा। आइये इसका एक और उदाहरण देखते है।
Example 2
if(3>5)
{
    document.write(“This will not be displayed”);
}
इस उदाहरण में condition false है इसलिए brackets में दिया हुआ statement execute नहीं होगा।

If else 

If else statement भी if statement की तरह ही होता है। बस इसमें else part और add कर दिया जाता है। Else part में आप वो statements लिखते है जो condition false होने पर execute होने चाहिए। आइये इसका उदाहरण देखते है। 
 if(10>15)
{
   document.write(“This will not be displayed”);
}
else
{
   document.write(“This will be displayed”);
}

Else If

यदि आप चाहते है की एक condition के false होने पर else part को execute ना करके किसी दूसरी condition को check किया जाये तो इसके लिए आप else if statements use कर सकते है।
Else if statements के द्वारा आप एक से अधिक conditions को check कर सकते है और सभी condition के false होने पर else part को execute करवा सकते है। 
इसके लिए आप elseif keyword यूज़ करते है। First condition को normal if else statement की तरह execute किया जाता है। इसके अलावा आप जितनी भी conditions add करना चाहते है उन्हें if और else part के बीच elseif keyword के द्वारा डिफाइन करते है।
इसका general syntax निचे दिया जा रहा है। 
if(condition 1)
{
   // Will be executed if above condition is true
}
elseif(condition 2)
{
    // Will be executed if 1st condition is false and this condition is true.
}
….
….
….
else if(condition N)
{
   // Will be executed if all the conditions above it were false and this condition is true.
}
else
{
    // Will be executed if all the above conditions are false
आइये अब इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते है।
if(5>7)
{
    document.write(“This will not be executed!”);
}
elseif(5>6)
{
     document.write(“This will not be executed!”);
}
else
{
     document.write(“This will be executed!”);
}

Nested If

यदि आप आप चाहे तो एक if condition में दूसरी if condition भी डाल सकते है। इसका structure निचे दिया जा रहा है।
if(condition)
{
      if(condition)
        {
             // Statement to be executed
        }
}
else
{
     // Statements to be executed
}
जैसा की आप ऊपर दिए गए syntax में देख सकते है एक if condition के अंदर दूसरी if condition define की गयी है। आप चाहते तो nested if में else part भी add कर सकते है। आइये अब इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते है।
if(5>3)
{
    if(5>6)
    {
            document.write(“This will not be executed”);
     }
     else
      {
           document.write(“5 is greater than 3 but not 6”);
       }
}
else
{
       document.write(“5 is not greater than 3”);
}

Switch Case 

Switch case बिलकुल if statement की तरह होता है। लेकिन इसमें आप एक बार में कई conditions को check कर सकते है। Switch case में cases define किये जाते हैं। बाद में एक choice variable के द्वारा ये cases execute करवाए जाते है। Choice variable जिस case से match करता है वही case execute हो जाता है।
इसका उदाहरण नीचे दिया जा रहा है। 
var ch=2;

// Passing choice to execute desired case
switch(ch)
{
   case 1:
                 document.write(“ONE”);
                 break;
   case 2:   document.write(“TWO”);
                 break;
   case 3:   document.write(“THREE”);
                  break;
   default:   document.write(“Enter appropriate value”);
                   break;
}  
जैसे की आप देख सकते है हर case के बाद में break statement यूज़ किया गया है। यदि आप break statement यूज़ नहीं करते है तो सभी cases one by one execute हो जाते है। इस उदाहरण में variable की value 2 है इसलिए second case execute होगा और TWO display हो जायेगा।

Looping Statements 

Looping statements particular statement को बार बार execute करने के लिए यूज़ किये जाते है। ये 3 प्रकार के होते है। इनके बारे में नीचे दिया जा रहा है।

While Loop 

इस loop में आप एक condition देते है जब तक condition true होती है block में दिए गए statements execute होते रहते है। Condition false होते ही loop terminate हो जाता है और program का execution continue रहता है। 
var num = 0;

// While loop iterating until num is less than 5
while(num <5)
{
    document.write(“Hello”);
    num++;
इस उदाहरण में जब तक num 5 से कम है तब तक loop का block execute होगा। एक चीज़ यँहा पर notice करने की ये है की हर बार num को increment किया जा रहा है ताकि कुछ steps के बाद loop terminate हो जाये। यदि यँहा पर ऐसा नहीं किया जाये तो loop कभी terminate ही नहीं होगा infinite time तक चलेगा।
इसलिए इस situation से बचने के लिए किसी भी प्रकार के loop में loop control variable को increment किया जाता है।

Do-While Loop 

Do while loop भी while loop की तरह ही होता है। बस ये first time बिना condition check किये execute होता है और बाद में हर बार condition check करता है। यदि condition true होती है तो do block के statements execute कर दिए जाते है।
आइये इसे एक उदाहरण से समझते है।
var num=0;
// Do-while loop
do
{
    document.write(“hello”);
    num++;
}
while(num<5);
जैसा की आप देख सकते है पहले do block execute होगा और उसके बाद condition check की जाएगी। इस loop की विशेषता ये है की चाहे condition true हो या false loop एक बार तो जरूर execute होगा। यदि condition true होती है तो loop further execute होता है नहीं तो terminate हो जाता है। 

For Loop 

सभी loops में for loop सबसे easy और सबसे ज्यादा यूज़ किया जाने वाला loop है। इसमें आप single line में ही पुरे loop को define कर देते है। यदि condition true होती है तो block में दिए गए statements execute हो जाते है। इस loop का उदाहरण नीचे दिया गया है।
// For loop running until i is less than 5
for(var i=0;i<5;i++)
{
    document.write(“This will be printed until condition is true”);
}
For loop में condition और increment दोनों एक साथ ही define किये जाते है। साथ ही इसमें loop control variable भी define किया जाता है। Condition के false होते ही loop terminate हो जाता है।

Jump Statements 

Jump statements program के execution को एक जगह से दूसरी जगह transfer करने के लिए यूज़ किये जाते है। इन statements को special cases में यूज़ किया जाता है। इनके बारे में नीचे दिया जा रहा है। 

Continue 

Continue statement के द्वारा आप किसी भी loop की कोई iteration skip कर सकते है। जैसे की आप चाहते है की 3rd iteration skip हो जाये और compiler कोई action ना ले। ऐसा आप निचे दिए हुए example की तरह कर सकते है।
for(var i=0; i<5;i++)
{
   if(i==2)
   {
       // Skipping third iteration of loop
       continue;
   }
   document.write(“This will be displayed in iterations except 3rd”);
Continue statement का यूज़ करने से compiler 3rd iteration को skip कर देगा और कोई भी statement execute नहीं किया जायेगा। इसके बाद next iteration शुरू हो जायेगी।

Break

Break statement compiler के execution को stop करने के लिए यूज़ किया जाता है। Break statement आने पर compiler execution को उस block से बाहर ला देता है। इसको एक loop के example से आसानी से समझा जा सकता है। 
for(var i=0;i<5;i++)
{
   if(i==2)
   {
        // Breaking 3rd iteration of loop
        break;
   }
     document.write(“This will be displayed 2 times only”);
}
उपर दिए गए उदाहरण में जैसे ही loop की 3rd iteration आती है तो break statement के द्वारा loop terminate हो जाता है और program का execution loop के बाहर से शुरू हो जाता है।

Introduction to JavaScript DOM

JavaScript Document Object Model (DOM) आपके पुरे document को एक single object के द्वारा represent करता है। ये object document होता है।
इस object की मदद से आप पूरे document में कोई भी HTML element access कर सकते है।DOM आपको किसी web page के सभी HTML elements (tags) का control provide करता है। इसकी मदद से आप कोई भी element remove कर सकते है या नए elements add कर सकते है।
DOM एक ऐसी technology है जिसमे JavaScript आपको किसी HTML document को control करने की power provide करती है। आइये देखते है की DOM के द्वारा JavaScript क्या क्या functions perform कर सकती है।

Usage of JavaScript DOM

  1. सभी HTML elements (tags) को access और change कर सकते है। 
  2. HTML attributes access और change किये जा सकते है। 
  3. आप सभी CSS styling को change कर सकते है। 
  4. पुराने elements (tags) और attributes remove किये जा सकते है। 
  5. नए tags और attributes add किये जा सकते है। 
  6. सभी HTML events को handle किया जा सकता है। 
  7. HTML events create किये जा सकते है।

JavaScript Cookies


Cookies के द्वारा user की information store की जाती है। Normally जब user किसी website को visit करता है तो web server के pass उसकी कोई information नहीं होती है। लेकिन cookies के द्वारा किसी भी user की information store करना संभव है।

Cookie एक normal text file होती है। जब भी कोई user किसी website को visit करता है तो उसकी information cookies (text file) के रूप में store कर ली जाती है। ये information user के computer में ही store की जाती है।
भविष्य में जब भी user वापस उस website के लिए request करता है तो user की request के साथ उस user की cookie भी webserver को भेजी जाती है।

इस प्रकार web server को उस user की information प्राप्त हो जाती है। इस information के आधार पर webserver को उस user की preferences के बारे में पता रहता है। साथ ही इस information के आधार पर web server web pages में जरुरी बदलाव भी कर सकता है।

JavaScript आपको cookies create करने, read करने, change करने और delete करने की ability provide करती है। इसके लिए JavaScript में document.cookie property available है।

VCR (Video Cassette Recorder)

VCR एक मशीन है जिसका उपयोग टेलीविज़न कार्यक्रमों या फिल्मों को वीडियो टेप पर रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता था, ताकि लोग उन्हें चलाकर बाद में टेलीविज़न सेट पर देख सकें। VCR 'वीडियो कैसेट रिकॉर्डर' का संक्षिप्त नाम है।
यह एक इलेक्ट्रोमैकेनिकल डिवाइस है जो ब्रॉडकास्ट ऑडियो और एनालॉग वीडियो को ब्रॉडकास्ट टेलीविजन या अन्य स्रोत से रिमूवेबल, मैग्नेटिक टेप  पर रिकॉर्ड करता है और रिकॉर्डिंग को वापस चला सकता है।  वीसीआर पूर्व-निर्धारित टेप भी चला सकते हैं। 1980 और 1990 के दशक में, पहले से तय किए गए वीडियोटेप खरीद और किराये के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध थे, और रिकॉर्डिंग बनाने के लिए खाली टेप बेचे जाते थे।

Video Editor

विडियो किसे कहते है ?
Video एक तकनीक है जो इलेक्ट्रॉनिक तरीके से Still images की श्रंखला को Capture, Record, Process, Store, Translate करती है| यह Still images को motion के रूप में दिखाती हैं| full motion video में, motion की फोटो ग्राफिक डिटेल रिकॉर्डिंग शामिल होती है| ऑडियो की तरह Video भी analog या digital होते है| Digital Video एक शब्द है जो मूविंग पिक्चर्स के लिए प्रयोग होता है जो कंप्यूटर की हार्ड डिस्क पर editing या playback के लिए स्टोर होती हैं| Video का अर्थ digital Video recorder जैसी डिवाइस से तैयार किए गए रियल लाइफ इवेंट की रिकॉर्डिंग से होता है| Video data के लिए भी ज्यादा स्टोरेज स्पेस चाहिए होता है| Video, मल्टीमीडिया का एक महत्वपूर्ण कंपोनेंट है क्योंकि यह ऐसे concept को दिखाने के लिए बहुत उपयोगी होता है जिसमें मूवमेंट शामिल हो!


विडियो एडिटर किसे कहते है?

वीडियो एडिटर का काम वीडियो को एडिटिंग के जरिए उसके खराब दृश्यों में सुधार करना, साउंडट्रैक को जोड़ना, वीडियो की क्वालिटी को ठीक करने का काम करके वीडियो को देखने लायक बनाना होता है। एक वीडियो एडिटर का काम किसी वीडियो के रॉ फुटेज को संपादित करने के साथ ही अलग-अलग वीडियो को जोड़कर उसे एक कहानी का रूप देना होता है। खासकर फिल्म एडिटिंग में ये काम डायरेक्टर और प्रोडूसर के साथ बैठकर करना होता है ताकि कहानी के हिसाब से ही वीडियो जोड़े जा सके।

विडियो एडिटर निम्नलिखित कार्य करता है:-

  • फिल्म और वीडियो के निर्माण के लिए कच्चे फुटेज सामग्री को संपादित करना।
  • कहानी अनुक्रम और निरंतरता के आधार पर वीडियो और ऑडियो संपादन करना।
  • ग्राफिक्स डिजाइन करने में रचनात्मकता तकनीकों का उपयोग करना।
  • वीडियो के लिए वॉयसओवर टेक्स्ट और अन्य कमेंट्री डालना।
  • दृश्यों को सहज बनाने और प्रभावी रूप से वीडियो दृश्यों को काटना।
  • संगीत, ध्वनि प्रभाव, स्टोरीबोर्डिंग आदि सम्मिलित करने सहित सभी संपादन कार्य करना।

Chapter -5 HTML Fundamentals(10+1)

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