Himachal Pradesh Board
Of Secondary Education
Class (10+1)
Subject: Computer Science (कंप्यूटर विज्ञान)
Important Topics in Hindi
(महत्वपूर्ण विषय-हिंदी में)
UNIT-I
Fundamentals of a Computer (कंप्यूटर का आधार)
1.
कंप्यूटर क्या हैं ? What is a Computer?
Computer एक ऐसा Electronic Device है जो User द्वारा Input किये गए
Data में प्रक्रिया करके सूचनाओं को Result या
Output के रूप में प्रदान करता हैं,
अर्थात् Computer एक Electronic
Machine है जो User द्वारा दिए गए निर्देशों का
पालन करती हैं। इसमें
डेटा को स्टोर, पुनर्प्राप्त और प्रोसेस करने की क्षमता होती
है। आप दस्तावेजों को टाइप करने, ईमेल भेजने, गेम खेलने और वेब ब्राउज़ करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग कर सकते हैं। आप स्प्रैडशीट्स,
प्रस्तुतियों और यहां तक कि वीडियो बनाने के लिए भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
Computer शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के “COMPUTE” शब्द से हुई
है जिसका अर्थ होता है “गणना करना”, लेकिन
वर्तमान में इसका क्षेत्र केवल गणना करने तक सीमित न रहकर अत्यंत व्यापक हो चुका हैं।
कम्प्यूटर अपनी उच्च संग्रह क्षमता (High Storage Capacity), गति (Speed), स्वचालन (Automation), क्षमता (Capacity), शुद्धता (Accuracy), बहुविज्ञता (Versatility), विश्वसनीयता
(Reliability), याद रखने की शक्ति के कारण हमारे जीवन के हर क्षेत्र
में महत्वपूर्ण होता जा रहा है। Computer द्वारा अधिक सूक्ष्म
समय में अधिक तीव्र गति से गणनाएं की जा सकती है तथा इसके द्वारा दिये गये परिणाम भी अधिक शुद्ध होते है।
“कंप्यूटर User द्वारा Input
किये गए डाटा को Process करके परिणाम को Output
के रूप में प्रदान करता हैं”
Output
Process
Input
2. कंप्यूटर की विशेषताएं (Features/ Characteristics of a Computer)
1. Speed (गति) - Computer किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर
सकता है, Computer कुछ ही Second में
गुणा, भाग, जोड़, घटाना
जैसी लाखो क्रियाएँ कर सकता है यदि आपको 5067*4076 का मान ज्ञात करना है तो आपको 1
या 2 Minute का समय लगेगा, यही कार्य
कैलकुलेटर से करने पर लगभग 1 या 2 Second का समय लगेगा पर
कंप्यूटर ऐसी लाखों गणनाओ को कुछ ही seconds में कर सकता हैं।
2. Automation (स्वचालन) - हम अपने दैनिक
जीवन में कई प्रकार की स्वचलित मशीनों का Use
करते है Computer भी अपना पूरा कार्य स्वचलित
(Automatic) तरीके से करता है कंप्यूटर अपना कार्य, प्रोग्राम के एक बार लोड हो जाने पर स्वत: करता रहता हैं।
3. Accuracy (शुद्धता) - Computer अपना सारा कार्य बिना किसी गलती के
करता है, यदि आपको 10 अलग-अलग संख्याओ का गुणा करने के लिए
कहा जाए तो आप इसमें कई बार गलती करेंगें, लेकिन साधारणत: Computer किसी भी Process को बिना किसी गलती के पूर्ण कर सकता
है, Computer द्वारा गलती किये जाने का सबसे बड़ा कारण गलत Data
Input करना होता है क्योकि यह स्वयं कभी कोई गलती नहीं करता हैं।
4. Versatility (बहुविज्ञता) - Computer अपनी बहुविज्ञता के कारण बढ़ी तेजी
से सारी दुनिया में अपना प्रभुत्व जमा रहा है Computer गणितीय
कार्यों को करने के साथ साथ व्यावसायिक कार्यों के लिए भी प्रयोग में लाया जाने
लगा है। Computer का प्रयोग हर क्षेत्र में होने लगा है,
जैसे- Banks, Railways,
Airports, Businesses,
Hospitals, Schools etc.
5. High Storage Capacity (उच्च संग्रहण क्षमता) - एक Computer System में Data
Store करने की अत्याधिक क्षमता होती है, Computer लाखो शब्दों को बहुत कम जगह में Store करके रख सकता
है। यह सभी प्रकार के Data, Files, Picture, Video, Games आदि को कई बर्षो तक Store करके रख सकता है जिसे बाद में कभी भी कुछ ही Seconds
में प्राप्त व इस्तेमाल किया जा सकता है।
7. Diligence (कर्मठता) - आज मानव किसी कार्य को निरंतर कुछ ही
घंटो तक करने में थक जाता है इसके ठीक विपरीत Computer
किसी कार्य को निरंतर कई घंटो, दिनों, महीनो तक करने की क्षमता रखता है इसके बावजूद उसके कार्य करने की क्षमता
में न तो कोई कमी आती है और न ही कार्य के परिणाम की शुद्धता घटती हैं।
Computer किसी भी दिए गए कार्य को बिना किसी भेदभाव के करता है चाहे
वह कार्य रुचिकर हो या न हो।
8. Reliability (विश्वसनीयता) - Computer की accuracy और अत्याधिक Memory
क्षमता की वजह से इसे विश्वसनीय माना जाता है क्यों कि यह वर्षों तक
बिना थके कार्य करता है तथा Store की गई जानकारी को वर्षों
बाद भी सही उपलब्ध करवाता हैं।
9. Power of Remembrance (याद रखने की क्षमता) - व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सारी बातें करता
है लेकिन महत्वपूर्ण बातों को ही याद रखता है लेकिन Computer सभी तरह की जानकारी चाहे वो महत्वपूर्ण
हो या ना हो, सभी को Memory के अंदर Store करके रखता है तथा बाद में किसी भी सूचना की आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराता
हैं।
3. Applications
of a Computer (कंप्यूटर के अनुप्रयोग)
वर्तमान में कम्प्यूटर का प्रयोग जीवन के लगभग सभी
क्षेत्रों में किया जा रहा है। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ कंप्यूटर का
प्रयोग नहीं किया जा रहा हो । कंप्यूटर आज की जरुरत हो गयी है , कंप्यूटर
से सभी काम आसान हो जाती है। वर्तमान समय में, निम्नलिखित क्षेत्रों में कंप्यूटर
का अनुप्रयोग किया जा रहा है:-
(1) Education (शिक्षा)
- शिक्षा
के क्षेत्र में कम्प्यूटर का अनुप्रयोग बहुत बढ़ गया है। आज मल्टीमीडिया (Multimedia) के विकास और कम्प्यूटर आधारित शिक्षा ने इसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी
बना दिया है। इन्टरनेट के माध्यम से हम किसी भी विषय की जानकारी, कुछ ही क्षणों
में प्राप्त कर सकते है।
(2) Communication (संचार) - आधुनिक
संचार व्यवस्था, कम्प्यूटर के प्रयोग के बिना संभव नहीं है। टेलीफोन और इंटरनेट ने
संचार क्रान्ति को जन्म दिया है। सोशल मीडिया ने संचार को सरल व सुलभ बनाया है।
(3) Data Processing (डाटा
प्रोसेसिंग) - बड़े
और विशाल सांख्यिकीय डाटा से सूचना तैयार करने में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा
रहा है। जनगणना, AADHAR (आधार), सांख्यिकीय विश्लेषण, परीक्षाओं के
परिणाम आदि में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
(4) Publishing (प्रकाशन) - प्रकाशन
और छपाई में कम्प्यूटर का प्रयोग सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाता है। रेखाचित्रों और
ग्राफ का निर्माण अब सुविधाजनक हो गया है। न्यूज़, बैनर, flyers, magazine
आदि के प्रकाशन के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।
(5) Medicine (चिकित्सा)
- शरीर
के अंदर के रोगों का पता लगाने, उनका विश्लेषण और चिकत्सा में कम्प्यूटर का
विस्तृत प्रयोग हो रहा है। सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड एक्स -रे,
एमआरआई तथा विभिन्न जांचों में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है।
(6) Scientific Research (वैज्ञानिक
अनुसंधान) - विज्ञान
के अनेक जटिल रहस्यों को सुलझाने में कम्प्यूटर की सहायता ली जा रही है। कम्प्यूटर
द्वारा परिस्थितियों का उचित आकलन संभव हो पाया है। आज वैज्ञानिक के सभी आविष्कारों
से लेकर सभी प्रयोगों में कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है । रॉकेट, Satellite आदि को
launch (प्रक्षेपण) करने में भी कंप्यूटर की मदद ली जाती है।
(7) Space Technology (अंतरिक्ष
प्रौद्योगिकी) - कम्प्यूटर के
तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों , उपग्रहों और अंतरिक्ष की
घटनाओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है।
कृत्रिम उपग्रहों में भी कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा हैं। मानवीय अंतरिक्ष
यात्रा एवं प्रवास की परिकल्पना कम्प्यूटर पर ही आधारित हैं। बिना कम्प्यूटर के
प्रयोग के अंतरिक्ष यात्राएं संभव नही है।
(8) बैंक (Bank) - कम्प्यूटर
के अनुप्रयोग ने बैंकिंग क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। एटीएम (ATM Automatic
Teller Machine) तथा ऑनलाइन बैंकिग, चेक के भुगतान, रुपया गिनना तथा पासबुक entry आदि कम्प्यूटर से होती
है ।
(9) Recreation (मनोरंजन)
- सिनेमा, टेलीविजन
कार्यक्रम वीडियो गेम में कम्प्यूटर का उपयोग कर प्रभावी प्रस्तुतीकरण किया जा रहा
है। मल्टीमीडिया के प्रयोग ने कंप्यूटर को मनोरंजन का श्रेष्ठ साधन बना दिया है ।
कंप्यूटर के माध्यम से हम आज गेम खेल सकते है, फिल्म देख
सकते है तथा और भी मनोरंजक कार्य कर सकते है।
(10) Industry & Business (उधोग व व्यापार) - उधोगो
में कंप्यूटर के अनुप्रयोग से कार्य किया जा रहा है,जिस से बेहतर
गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है। व्यापार के कार्यों एवं स्टॉक
मार्केट का लेखा-जोखा रखने में कम्प्यूटर सहयोगी सिद्ध हुआ है।
(11) Airlines and Railway Reservation (वायुयान और रेलवे आरक्षण) - कम्प्यूटर
की सहायता से किसी भी स्थान से अन्य स्थानों के वायुयान और रेलवे के टिकट बुक किए
जा सकते हैं। बस, ट्रैन व वायुयान की समयसारिणी व टिकट मूल्य कंप्यूटर की सहायता से
पता किया जा सकता हैं।
4. कंप्यूटर का ब्लॉक रेखा-चित्र (Block Diagram
of a Computer)
कंप्यूटर के अवयव (Components of a Computer
System)
Computer
System अपनी processing के
लिए निम्न प्रकार के components/units का उपयोग करता है।
1. Input Unit
2. Central Processing Unit (CPU)
a) Aritmetic Logical Unit (ALU) b) Control Unit (CU) c)Memory Unit
3. Output Unit
1. Input unit: यह Computer
System की सबसे प्रमुख ईकाई होती है जिसकी
सहायता से data, instruction, program और
अन्य information को working के लिए computer
system में load किया जाता है। यह सभी information या instruction उस system के
लिए input कहलाते है।
User अपनी आवश्यकता के अनुरूप data
को computer में input device के माध्यम से enter
कर सकता है। Computer के साथ उपयोग में लाई
जाने वाली सभी input device को कार्य करवाने के लिए CPU
से connect किया जाता है, यह सभी input devices निर्धारित किए गए input
port के माध्यम से CPU से connect होती हैं। Input
device का मुख्य
कार्य user से user के समझने योग्य
प्रारूप में information को प्राप्त करना होता है। परन्तु CPU
द्वारा केवल binary data
पर ही किसी भी प्रकार का कार्य कर पाना संभव होता है। इस
कारण से input device के साथ कुछ ऐसे विशेष control
circuit उपयोग में लाए जाते है, जो user से input
में प्राप्त data को binary code में परिवर्तित करने का कार्य
करते है। किसी computer system में
विभिन्न प्रकार के format जैसे कि text ,graphics ,video, sound आदि का input
के रूप में दिया जा सकता है। अलग – अलग प्रकार
के data कि लिए विभिन्न प्रकार कि input device उपयोग म लाई जाती है। सामान्यतः
उपयोग में लाई जाने वाली input devices निम्न है-Ex- Keyboard, Mouse,
Scanner, Joystick , Trackball, Light Pen
, Digitizing Tablet , Digital Camera, Voice
recognition, Touch Screen etc.
2. Central Processing Unit (CPU) : Computer System की सबसे महत्वपूर्ण ईकाई CPU होती है जो किसी भी Computer
system के लिए Brain एवं Heart दोनों का कार्य करती है। CPU वह unit है जो input device से प्राप्त data को process करती
है और output device को Result प्रदान करती है। यह unit
input device से binary
code के रूप में data को प्राप्त करती है और user
के द्वारा किये गये instruction या निर्धारित program
के अनुसार data को process करती है। CPU के द्वारा process किए गए data को output device के
माध्यम से user को प्रदान किया जाता है। CPU में data को process करने के
लिए micro processor एवं अन्य सहयोगी unit उपयोग लाई जाती है, जो अत्यंत तेज गति से data को process कर सकती है। user द्वारा दिए गए instruction को CPU एक निर्धारित क्रम में store करके रखता है, जिसे program कहते
है। इस प्रकार CPU memory का उपयोग में लाई जाने वाली सभी devices, CPU के साथ ही connect की जाती
है। इस कारण से ही इसे केन्द्रित ईकाई माना जाता है।
अपने कार्य को
व्यवस्थित रूप से करने के लिए CPU निम्नलिखित components का उपयोग करता है।
o
Arithmetic
Logical Unit (ALU)
o
Control
Unit (CU)
o
Memory Unit
Arithmetic Logical
Unit (ALU): ALU से तात्पर्य है कि Arithmetic Logical Unit अर्थात एक ऐसी ईकाई जो सभी प्रकार के गणितीय (Arithmetic) गणनाऐं करने में सक्षम हो,
जब user द्वारा input device के माध्यम स्रे दिए गए instruction
में किसी प्रकार के Arithmetic या logical calculations हो तब इस प्रकार के instructions को CPU के द्वारा ALU को
दिया जाता है। ALU के द्वारा दिया जाने वाले Arithmetic operation से तात्पर्य addition, subtraction, multiplication,
division आदि तथा logical calculation से
तात्पर्य दिए गए data के बिच विभिन्न प्रकार की तुलना
प्रक्रियाओं से है जैसे कि AND, OR, NOT
आदि।
इस unit में एक ऐसा electronic circuit होता है जो binary
code में सभी प्रकार के operations करने में
सक्षम होता है। यह unit memory से data प्राप्त करता है व calculations के पश्चात Result
के रूप में data memory में ही store करता है। ALU के कार्य करने के गति अति तीव्र होती
है जिसके कारण यह लगभग 10 लाख calculation
प्रति second की गति पर कार्य कर सकता
है।
Control Unit (CU)
: CU से तात्पर्य control
unit होता है अर्थात एक ऐसी ईकाई जो सभी प्रकार के कार्यो को नियंत्रित
करने का कार्य करता है। CPU में CU एक
केन्द्रिय ईकाई के रूप में कार्य करता है। यह उपयोग में लाए जा रहे सभी processing
components के मध्य data के आदान प्रदान का
कार्य करता है। यह memory में store programs को instruction के रूप में प्राप्त करता है,
और उसे आवश्यक processing unit तक पहुचाता है।
Memory एवं input-output devices के बीच data के अदान-प्रदान करने का कार्य CU
के द्वारा ही किया जाता है।
CPU में उपयोग में लाई जा रही सभी ईकाई के बीच data एवं instruction
विषेष प्रकार के signal के द्वारा आदान प्रदान
किए जाते है। यह signal electronic Bus (wires) कि सहायता से
दिए जाते है। इस Bus का नियंत्रण CU के
पास रहता है, जिससे सभी ईकाईयों को एक साथ नियंत्रित किया जा सकता है। CU के द्वारा ही यह निर्धारित होता है, कि किस प्रकार
का data एवं instruction किस unit
के माध्यम से process किया जाएगा।
Memory Unit: Computer system को उसकी
एक असमित क्षमता के कारण अधिकतम उपयोग में लाया जाता है, वह
क्षमता है बहुत अधिक संख्या में data को लंबे समय तक store
रखना। इस क्षमता को उपयोग में लाने के लिए computer system के द्वारा memory unit का उपयोग किया जाता है। Computer
system में memory से तात्पर्य एक ऐसी ईकाई से
है, जो आवश्यकता के अनुसार data को store करके रख सके।यह unit दिए गए data program एवं Result आदि को store करके
रखती है।
CPU द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले instruction कि
आवष्यकता होती है, तब CPU वह data या instruction
को memory से प्राप्त कर लेता है। इसके साथ ही
CPU के द्वारा output के रूप में दिए data
को भी memory unit में ही store करके रखता है।
3. Output Unit :
Computer system के द्वारा
input में लिए गए data को विभिन्न
प्रकार से process किया जाता है। computer की इस unit की सहायता से process किए गए data को Result के रूप
में user को प्रदान किया जाता है। इस Result को Output कहते है, Computer system के द्वारा यह output, user को output
devices की सहायता से
प्रदान किए जाते है।
उपयोग में लाए जाने वाले सभी output devices को CPU के output port पर connect
किया जाता है। सभी प्रकार के output devices को CPU द्वारा binary format में data प्राप्त करता है परन्तु user द्वारा यह data समझ पाना संभव नही है। इस कारण से output device के
साथ कुछ control circuit जुडे होते है जो binary
code में प्राप्त किए गए data
को user के समझने योग्य format में परिवर्तित करते है और output
प्रदान करते है।
Output devices से
प्राप्त होने वाला output किसी भी format में हो सकता है जैसे कि text, sound, video, graphics आदि।
अलग – अलग प्रकार के output के लिए विभिन्न प्रकार की output devices उपयोग में
लाई जाती है, जो निम्नलिखित हैः-
e.g.- Monitor, Printer , Plottor,
Speaker etc.
Generations of a Computer (deleted for year 2020-21)
Computer Memory क्या है?
इंसान याद
रखने के लिए मस्तिष्क का उपयोग करते हैं, मगर कम्प्यूटर के पास हमारी तरह मस्तिष्क
नही होता है। यह डाटा और निर्देशों को याद रखने के लिए अर्थात संग्रहित करने के लिए
Memory का इस्तेमाल करता
है, जिसे Computer Memory कहा जाता है। अतः विभिन्न स्रोतों
से प्राप्त डाटा, निर्देशों और परिणामों को संग्रहित कर
भंडारित करना Memory कहलाता है।
Computer Memory में डाटा
0 और 1 के रूप में संग्रहित रहता हैं, इन दो संख्याओं को Binary Digits और Bits कहा जाता हैं। प्रत्येक अंक एक Bit को प्रस्तुत करता हैं, इसलिए Computer Memory की
सबसे छोटी इकाई Bit होती हैं।
Memory
के छोटे-छोटे Characters को Represent करने के लिए इन Binary Digits का एक Set बनाया जाता हैं, इसकी शुरुआत 8 Digits या 8
Bits (जैसे; 10011001) से होती हैं, ये 8
Bits. 1 Byte के बराबर होते हैं।
इसी प्रकार ज्याडा डाटा को Represent करने के लिए इन Bits का और बडा Set बनाया जाता हैं, जिनका नामकरण Bits की संख्याओं के
आधार पर किया जाता हैं, जैसे:-
Bit
= 0 या 1
4 Bits = 1 Nibble
2 Nibble और 8 Bits = 1 Byte
1024 Byte = 1 KB (Kilo Byte)
1024 KB = 1 MB (Mega Byte)
1024 MB = 1 GB (Giga Byte)
1024 GB = 1 TB (Tera Byte)
1024 TB = 1 PB (Penta Byte)
1024 PB = 1 EB (Exa Byte)
1024 EB = 1 ZB (Zetta Byte)
1024 ZB = 1 YB (Yotta Byte)
1024 YB = 1 BB (Bronto Byte)
1024
BB
= 1 GB (Geop Byte)
CPU की आवश्यकता के अनुसार
memory दो प्रकार की होती है।
1. Primary
memory (Main memory)
2. Secondary
memory (Physical memory)
Primary memory (main
memory) –
प्राथमिक
मेमोरी कंप्यूटर मेमोरी है जिसे सीधे सीपीयू द्वारा एक्सेस किया जाता है। Primary Memory को मुख्य मेमोरी (Main
Memory) और अस्थाई मेमोरी (Volatile Memory) भी
कहा जाता है।
यह मेमोरी CPU का भाग होती हैं, जहाँ से CPU डाटा और निर्देश प्राप्त करता हैं और प्रोसेस करने के बाद रक्षित रखता
हैं।
प्राथमिक
मेमोरी में वर्तमान में किया जा रहे काम के निर्देश और डाटा संग्रहित रहता है। यह
मेमोरी अत्यंत तेज होने के साथ अस्थाई होती है, काम खत्म होने के बाद संग्रहित
डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं और अगले काम का डाटा स्टोर हो जाता है, यह एक सतत
प्रक्रिया है, Computer Shut Down होने पर भी सारा डाटा
डिलिट हो जाता है।
प्राथमिक मेमोरी के दो प्रकार होते हैं:-
RAM
or Volatile Memory –
ROM
or Non-Volatile Memory –
Primary
Memory की विशेषताएं:-
यह मेमोरी अस्थायी होती हैं।
CPU
का भाग होती है।
Power
Supply या काम खत्म होने के बाद डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं।
इसके बिना कम्प्यूटर काम नही कर सकता हैं।
अतिरिक्त मेमोरी से तेज होती है।
Cache
Memory
Primary
Memory/Main Memory
Secondary
Memory
Cache
Memory
यह है कंप्यूटर की सबसे तेज मेमोरी. Cache memory एक बहुत ही high speed semiconductor memory जो की CPU
को speed up कर देती है. ये एक buffer के तरह act करती है CPU और main
memory के बीच. इनका इस्तमाल data और program
के उन हिस्सों को hold करने के लिए इस्तमाल होता
है जिन्हें की CPU के द्वारा frequently इस्तमाल किया जाता है. Data और Programs के हिस्सों को पहले transfer किया जाता है disk
से cache memory तक operating system के द्वारा, जहाँ से को उन्हें CPU आसानी से access कर सकें.
Secondary memory –
Computer system की सहायता से user अपने आवष्यक data एवं programs को लम्बे समय तक store रख सकते है, इसके लिए CPU के साथ secondary memory का उपयोग किया जाता है। यह memory गति के अनुसार primary
memory की तुलना में low होती है परन्तु यह data
को permanent अर्थात लम्बे समय तक store
करके रखती है। secondary memory को magnetic
पदार्थो की सहायता से बनाया जाता है। इसका उपयोग ऐसे सभी program
एवं data को store करने
के लिए किया जाता है जिनका उपयोग निरंतर होता रहता है। secondary memory में store किए गए किसी program को execute करवाने
के लिए उसे secondary memory में से primary memory में transfer किया जाता है।
Secondary
Memory की विशेषताएं:-
यह स्थायी मेमोरी होती हैं।
डाटा हमेशा के लिए संग्रहित रहता हैं।
इसकी गती थोडी कम होती हैं।
स्टोर क्षमता बहुत ज्यादा होती हैं।
काम खत्म होने या कम्प्यूटर बंद होने पर भी डाटा
रक्षित रहता हैं।
4. RAM और ROM
में क्या अंतर है?
Input Device क्या है ?
इनपुट डिवाइस
एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कंप्यूटर को डेटा भेजता है, जिससे आप कंप्यूटर से संपर्क कर सकते हैं और
उसे नियंत्रित कर सकते हैं। एक इनपुट डिवाइस कंप्यूटर पर डेटा भेजने के लिए उपयोग
किया जाने वाला हार्डवेयर या बाह्य उपकरण है।
इनपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में आँकड़ें डालने के
लिए किया जाता है । इनपुट डिवाइस एक उपकरण है जो कंप्यूटर को इनपुट प्रदान करता है
। की-बोर्ड सबसे अधिक प्रचलित इनपुट उपकरणों में से एक है जिसका प्रयोग कंप्यूटर
में आंकड़े डालने और निर्देश देने के लिए किया जाता है । किसी भी कंप्यूटर सिस्टम
के लिए एक keyboard
सबसे मौलिक इनपुट डिवाइस है । कंप्यूटिंग के शुरुआती दिनों में,
यह आमतौर पर केवल इनपुट डिवाइस था । एक keyboard में अक्षरों(letters) और संख्याओं(numbers) के साथ-साथ विशेष कार्य के लिए Key भी शामिल है,
जैसे कि एंटर (Enter), डिलीट(Delete), आदि।
कुछ और
महत्त्वपूर्ण इनपुट उपकरण हैं :-
Keyboard (कुंजीपटल) :- यह कंप्यूटर का इनपुट डिवाइस है जिसकी
सहायता से कंप्यूटर में डेटा Input किया जाता है। डेटा को कीबोर्ड की सहायता से ही टाइप करके लिखा जाता है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो कीबोर्ड डेटा एंट्री करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
कीबोर्ड का आविष्कार “क्रिस्टोफर लेथम शोलेज” ने किया था। Keyboard का हिंदी में मतलब कुंजीपटल
होता है । इसकी सहायता से हम कम्प्युटर को निर्देश देते है । Keyboard का मुख्य उपयोग Text लिखने के लिए किया जाता है यह
भी एक बहुक्रियात्मक उपकरण होता है, जो न सिर्फ लिख सकता है
बल्कि कम्प्युटर को नियंत्रित करने में भी Keyboard का Use
किया जा सकता है ।
Mouse (माउस):- Mouse एक इनपुट डिवाईस है, जिसका वास्तविक नाम Pointing Device है । Mouse
का उपयोग मुख्यत: कम्प्युटर स्क्रीन पर Items को
चुनने, उनकी तरफ जाने तथा उन्हे खोलने एवं बदं करने में किया
जाता है. Mouse के उपयोग द्वारा युजर कम्प्युटर को निर्देश
देता है । इसके द्वारा एक युजर कम्प्युटर स्क्रीन पर कहीं भी पहुँच सकता है एक
साधारण Mouse में आमतौर पर तीन बटन होते है, जिन्हें Right Click एवं Left Click कहते है, और तीसरे बटन को Scroll Wheel या फिरकि कहते है। आधुनिक Mouse में तो अब तीन से
ज्यादा बटन आने लगे है, जिनका अलग कार्य होता है।
Light Pen (लाइन पेन) :- कम्प्यूटर पर काम करते समय लाइट पेन एक
रिसेप्टर की तरह काम में लाया जाता है। इसमें लगे बटन को दबाने पर कम्प्यूटर
डिस्प्ले आता है और काम करता है। यह स्क्रीन पर पिक्सल्स बनाता है। इसमें लगी हुई
इलैक्ट्रानिक डिवाइस स्क्रीन पर लाइट से इमेज तैयार करती हैं। इस पेन से आप
बिल्कुल उसी तरह कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम कर सकते हैं, जैसे पेंसिल से कागज पर करते हैं।
Joystick (जॉयस्टिक) :- जॉयस्टिक एक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग
कंप्यूटर डिवाइस में कर्सर या पॉइंटर के आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए किया जा
सकता है। पॉइंटर / कर्सर आंदोलन जॉयस्टिक पर लीवर का उपयोग करके नियंत्रित होता
है। इनपुट डिवाइस का उपयोग ज्यादातर गेमिंग अनुप्रयोगों और कभी-कभी ग्राफिक्स
अनुप्रयोगों में किया जाता है। एक जॉयस्टिक भी आंदोलन विकलांग लोगों के लिए एक
इनपुट डिवाइस के रूप में सहायक हो सकता है।
Scanner(स्कैनर):- स्कैनर एक Input Device है, जो एक
Image या text document को कैप्चर करके
उसे Digital file में कन्वर्ट कर देता है। ये बिल्कुल एक Photocopy
Machine की तरह कार्य करता है। डॉक्यूमेंट के इस इलेक्ट्रॉनिक वर्शन
को आप कंप्यूटर में ओपन और एडिट करने के साथ ही उसे प्रिंट भी कर सकते है।
Output Device क्या है?
आउटपुट
डिवाइस(Output Device), कम्प्यूटर
व इसके प्रयोगकर्ता के बीच संचार का माध्यम होती है ।जैसा कि नाम से पता चलता है,
ये डिवाइसिज आउटपुट को स्क्रीन या प्रिंटर पर प्रस्तुत करने के लिए
प्रयोग की जाती है । आउटपुट साफ्ट कापी के रूप में, हार्ड कापी
के रूप में या आवाज के रूप में ही सकती है । जहाँ साफ्ट कापी स्क्रीन पर आउटपुट को
दर्शाती है, हार्ड कापी आउटपुट पेपर पर छपाई को दर्शाती है व
आवाज वाली आउटपुट स्पीकर्स द्वारा निकलने वाली आवाज को कहते है।
आउटपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में प्रोसेस हुए
आँकड़ों के नतीजों को दिखाने के लिए किया जाता है । मॉनीटर और प्रिन्टर दो मुख्यतः
प्रयोग में लाये जाने वाले आउटपुट उपकरण हैं । ये आउटपुट उपकरण को मशीनी संकेतों
में लेते हैं और उन्हें मानवीय भाषा में परिवर्तित करते हैं ।
कुछ मुख्य
आउटपुट डिवाइसिज के नाम निम्नलिखित है :-
Monitor (मॉनिटर):- यह
एक अत्यावश्यक आउटपुट डिवाइस है,
जिसे स्क्रीन , दृश्य-प्रदर्शन इकाई या कैथोड
किरण ट्यूब भी कहा जाता है। यह किसी टी.वी. स्क्रीन की तरह ही होता है जो ग्राफिक
एवं टेक्स्ट को अपने स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है। कुंजीपटल के माध्यम से टाइप की
हुई प्रत्येक सूचना को प्रदर्शित करता है। साथ ही कम्प्यूटर पर सम्पन्न की गई
गणनाओं तथा प्रग्रामों के परिणामो को भी दर्शाता है ।
Printer (प्रिंटर):- प्रिंटर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है जो कि
हार्ड काँपी आउटपुट प्रदान करती है । किसी भी प्रकार का डाटा जैसे कि टेक्स्ट या
ग्राफिक जो मॉनिटर पर दिखाई दे देता है प्रिंटर द्वारा पेपर के ऊपर प्रिंट किया जा
सकता है। प्रिंटर्स मुख्यतः दो प्रकार के होते है जो कि इम्पैक्ट प्रिंटर्स जिनका
पेपर व उनके हैड के बीच में मैकेनिकली संबंध बनता है तथा दूसरे नॉन इम्पैक्ट
प्रिंटर्स जिनके द्वारा पेपर से कोई मैकेनिकली संबंध नहीं बनाया जाता ।
Plotter (प्लॉटर):- प्लॉटर
भी एक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग विभिन्न रंगों वाली स्याही से चित्रों की
प्रिटिंग करने हेतु किया जाता है। प्लॉटर में ड्रमनुमा या सपाट भाग होता है, जो
प्रिंटिंग में प्रयुक्त होने वाले कागज को व्यवस्थित रूप से सम्भालता है तथा एक
कैरिज होता है जो प्रिंटिंग के दौरान कागज को अंदर प्रिंटिंग हेतु धकेलता है ।
स्पीच सिंथेसाइज़र:- स्पीच सिंथेसाइज़र एक प्रत्युत्तर तन्त्र
है जो स्वरों को एकत्रित कर पुनः शब्दों एवं ध्वनियो के रूप में आउटपुट प्रदान
करता है इस प्रकार के तंत्रों के द्वारा सभी आवश्यक स्वरों की कोड्स के साथ पूर्व
रिकार्डिंग करके एक स्वर प्रत्युत्तर डिवाइस में निर्देशों के सेट के अनुसार पुनः
प्रसारित क्र दिया जाता है । यह स्वर प्रत्युत्तर डिवाइस जवाबी स्वरों को उपयुक्त
अनुक्रम में व्यवस्थित कर आउटपुट के रूप में प्रसारित कर देती है. ये स्पीच
सिंथेसिस सिस्टम टेलीफ़ोन एक्सचेंजिस में व्यापक रूप में प्रयोग किये जाते है ।
Projector (प्रोजेक्टर):- प्रोजेक्टर भी एक आउटपुट डिवाइस हैं
प्रोजेक्टर का प्रयोग चित्र या वीडियो को एक प्रोजेक्शन स्क्रीन पर प्रदर्शित करके
श्रोताओ को दिखाने के लिए किया जाता हैं । प्रोजेक्टर निम्नलिखित प्रकार के होते
हैं –
1. वीडियो प्रोजेक्टर 2. मूवी प्रोजेक्टर 3. स्लाइड प्रोजेक्टर
Software (सॉफ्टवेर) क्या है ?
सॉफ्टवेयर, निर्देशों तथा
प्रोग्राम्स का वह समूह है जो कम्प्यूटर को किसी कार्य विशेष को पूरा करने का
निर्देश देता है। यह यूजर को कम्प्यूटर पर काम करने की क्षमता प्रदान करता हैं.
सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर हार्डवेयर का एक निर्जीव वस्तु है। इसे हाथ से छूआ
नहीं जा सकता हैं, क्योंकि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है। यह एक आभासी
वस्तु है जिसे केवल समझा जा सकता है।
“Software
बहुत सारे Programs का एक समूह है जो एक Computer
के विशिष्ट कार्यों (Tasks) का निष्पादन करता है। “Software is a set of Programs which
perform a specific Task”.
सॉफ्टवेयर के विभिन्न प्रकार –
Types of Software in Hindi
काम की जरुरत के हिसाब से अलग-अलग सॉफ्टवेयर बनाये
जाते हैंअध्ययन की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयर के दो मुख्य वर्ग बनाए हैं.
System Software
Application Software
1. System Software
System
Software वह Software है जो Hardware का प्रबंध एवं नियत्रंण करता है और Hardware एवं Software
के बीच क्रिया करने देता है. System Software के
कई प्रकार है:-
1.1 Operating System
Operating
System एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम होता है जो अन्य कम्प्यूटर
प्रोग्रामों का संचालन करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर तथा कम्प्यूटर के बीच
मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्यूटर को समझाता है.
ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ लोकप्रिय नाम जिनके बारे में
आपने जरुर सुना होगा.
Windows
OS, Mac OS, Linux, UBUNTU, Android
1.2 Utility Programs
Utilities
को सर्विस प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है. यह कम्प्यूटर
संसाधनों के प्रबंधन तथा सुरक्षा का कार्य करते है. लेकिन, इनका
Hardware से सीधा संम्पर्क नही होता है. जैसे, Disk
Defragmenter, Anti Virus प्रोग्राम आदि Utility प्रोग्राम है.
1.3 Device Drivers
Driver
एक विशेष प्रोग्राम होता है जो इनपुट और आउटपुट उपकरणों को
कम्प्यूटर से जोड़ता है ताकि ये कम्प्यूटर से संचार कर सके. जैसे Audio
Drivers, Graphic Drivers, Motherboard Drivers आदि.
2. Application Software
Application
Software को End User सॉफ़्टवेयर कहा जा सकता
है, क्योंकि इसका सीधा संबंध यूजर से होता है. इसे ‘Apps’
भी कहते है. Application Software उपयोक्ता को
किसी विशेष कार्य को करने कि आजादी देते है. इनके कई प्रकार है.
2.1 Basic Application
Basic
Applications को सामान्य उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (General
Purpose Software) भी कहा जाता है. यह सामान्य इस्तेमाल के
सॉफ़्टवेयर होते है. इनका उपयोग हम रोजमर्रा के कार्यों के लिए करते है.
किसी भी कम्प्यूटर उपयोक्ता को कम्प्यूटर पर कार्य
करने के लिए Basic
Application का इस्तेमाल तो आना ही चाहिए. नीचे कुछ General
Purpose Software के नाम दिए जा रहे हैं.
Word
Processing Programs, Multimedia Programs, DTP Programs, Spreadsheet Programs, Presentation
Programs, Graphics Application, Web Design Application
2.2 Specialized Application
Specialized
Application को विशेष उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (Special Purpose
Software) भी कहा जाता हैं. इन सॉफ़्टवेयर को किसी खास उद्देश्य के
लिए बनाया जाता है. इनका इस्तेमाल भी किसी कार्य विशेष को करने के लिए होता है.
नीचे कुछ विशेष उद्देश्य के लिए बनाये गए प्रोग्राम्स के नाम दिए जा रहे हैं.
Accounting
Software, Billing Software, Report Card Generator, Reservation System, Payroll
Management System
UNIT II (Digital Network Essential)
वेब ब्राउजर क्या है – What
is Web Browser?
वेब ब्राउजर एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है, जो
इंटरनेट पर मौजूद वेबपेजों को यूजर्स के लिए ढूँढ़कर इंसानों की भाषा में अनुवाद
करता है. इन webpages में मौजूद जानकारी में ग्राफिक्स,
मल्टीमीडिया, वेब प्रोग्राम्स तथा साधारण
टेक्स्ट शामिल होता है. एक ब्राउजर वेब मानकों के आधार पर वेबपेजों से डेटा फेच
करता है. गूगल क्रोम एक लोकप्रिय वेब ब्राउजर है.
अगर इसे ओर सरल शब्दों में कहें तो ब्राउजर इंटरनेट पर
मौजूद वेबसाइटों को अनुवाद करने का काम करते है.
एक वेबसाइट पर अनेक प्रकार की सूचना उपलब्ध होती है
जिसे ब्राउजर ही पढ़ता है और यूजर के सामने समझने योग्य भाषा में प्रदर्शित करता
है. क्योंकि इन वेबसाइटों को बनाने के लिए कई भाषाओं का प्रयोग किया जाता है जिसे
एक आम यूजर समझ नहीं पाता है.
वेब पर उपलब्ध वेब संसाधनों (Web Resources) को हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैगुएज (HTML) में लिखा
जाता है. ब्राउजर इस कोड को पढ़ता है तब जाकर हम वेब पर मौजूद सामग्री को देख,
सुन तथा पढ़ पाते है1
कुछ मुख्य वेब ब्राउजर:-
Google
Chrome (PC, Mobile & Tablet)
Internet
Explorer (PC)
Microsoft
Edge (PC, Mobile & Tablet)
Mozilla
Firefox (PC, Mobile & Tablet)
Safari
(PC, Mobile & Tablet)
Opera
(PC, Mobile & Tablet)
Konqueror
(Linux PC)
Lynx
(Linux PC)
UC
Browser (Mobile & Tablet)
ईमेल क्या है (What
is Email?)
Email
का Full Form होता है Electronic mail.
इसे लोग e-mail, email या Electronic
Mail भी कहते हैं. यह एक प्रकार का digital message होता है जिसे की एक user दुसरे user के साथ communicate करने के लिए इस्तमाल करता है. इस
email में text, files, images, या कोई
attachments भी हो सकता है, जिसे की network
के माध्यम से किसी specific individual या group
of individuals को भेजा जा सकता है.
यह email को pen और paper
की जगह keyboards से type किया जाता है और Email Client के माध्यम से भेजा
जाता है. Email addresses में एक custom username होता है beginning में उसके बाद email
service provider का domain name, जिसमें एक @
sign होता है जिसे की दोनों को separate किया
जाता है. उदाहरण के लिए : name@gmail.com
ईमेल के लाभ
1. Speed होती है
: इन ईमेल की delivery
speed बहुत ही Fast होती है. इससे लोगों को information
तुरंत प्राप्त हो जाता है. वहीँ लोग एक दुसरे के साथ आसानी से communicate
कर सकते हैं.
2. Convenience प्रदान
करती हैं : Emails
बहुत ही ज्यादा Convenient method हैं quick
communication के लिए. जहाँ Phone में आपको
कुछ समय था phone को hold करना पड़ता है
और साथ में आपको lengthy conversation होने के लिए बाध्य
होना पड़ता है. वहीँ Email में आप तुरंत ही अपने मुद्दे की
बात कर सकते हैं और reply भी प्राप्त कर सकते हैं.
3. Attachments भेज सकते
हैं : इसमें attachment
का feature होने के कारण आप ईमेल के साथ कुछ
भी file attach कर सकते हैं. इससे आपको अलग से उस चीज़ को
भेजने की जरुरत ही नहीं होती है.
4. Accessibility होती हैं
: Email
accounts large folders के तरह होते हैं, ये
केवल private messages के लिए ही नहीं बल्कि files और दुसरे important information के लिए भी होते हैं.
इसलिए अच्छे email clients users के लिए उन्हें organize,
archive, और search through करने के लिए emails
में आसान बना देते हैं, वहीँ कोई भी information
जो की email में होती है वो हमेशा readily
accessible होती है.
5. A Record: Email आपके सभी conversation को record करती हैं. इसलिए आप उन conversation को एक record
के तरह कभी भी देख सकते हैं. हो सके तो आप उनका print out भी निकाल सकते हैं. साथ में वो online तब तक रहेगा
जब तक आप intentionally उन्हें delete नहीं
कर देते हैं.
6. Unlimited space और time:
Texting के विपरीत इसमें आपको unlimited space मिलता है कुछ लिखने के लिए जितना आप चाहें एक email में.
इसके साथ आप जितना समय लेना चाहें उतना लेकर ये email लिख
सकते हैं, उन्हें revise कर सकते हैं
भेजने के पहले.
7. Free communication होती है:
दुसरे forms
of communication के विपरीत, जैसे की long
distance calling और physical mail messages, ज्यादातर
email providers users को free access प्रदान
करती है एक email account के लिए. आप अपना email
address pick कर सकते हैं, और उस email
id से आप send और receive कर सकते हैं सभी electronic mail जो की आपको भेजे
जाते हैं. साथ ही इसके लिए आपको एक भी पैसा खर्चा नहीं करना पड़ता है.
8. Security: Physical Mails से तो ये email services लाख गुना safe होते हैं. इसे specifically privacy और security
के लिए ही बनाया गया होता है, इसें login
id और password होता है email खोलने के लिए. जिन्हें केवल correct email password से
ही खोला जा सकता है.
Transmission media/Medium क्या हैं और यह कितने प्रकार
के होते हैं ?
Transmission
medium को यदि हम सरल भाषा में समझने का प्रयास करे तो यह कह सकते
हैं हैं की ऐसा कोई भी माद्यम (medium)जिसके द्वारा दो
उपकरणों(Device) को आपसमे Connectivity दी गई हो और वो एक दूसरे के साथ अपने Resource या Data
को आपस में Share कर सकते हो उसको Transmission
medium कहा जाता हैं यह माद्यम कुछ भी होसकता हैं Wire less या Wire base,
Transmission medium को 2 भागो में
विभाजित किया गया हैं :-
1. Guided Media(Wire Based)
2. Unguided Media (Wire Less)
1. GUIDED MEDIA OR Wire-based Transmission media / Medium -(तारआधारित संचरण माध्यम )
Wire
-Base Transmission Medium जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता हैं की यह
एक तार आधारित Connectivity हैं ,इनमे
उन सभी Entity को रखा गया हैं जिसमे दो Device की Connectivity को Physically देखा जासकता हैं ! Touch किया जासकता हैं ! इसको
मुख्य रूपसे 3 भागो में विभाजित किया गया हैं जो इस प्रकार
हैं:-
Twisted Pair
Twisted
pair एक ऐसी Wire होती हैं जिसमे दो Wire
आपस में एक दूसरे को twisted (मुड़ी) किये हुए
होती हैं ! यह Wire सामान्यत Landline Telephone या internet Connection Cable RJ45 में देखने को मिल
जाती हैं ! Twisted Pair Cable को 2 भागो
में विभाजित किया गया है ! , 1. Shielded Twisted pair और 2.
Ushielded twisted Pair.
Coaxial Cable
Coaxial Cable में एक
ताम्बे( Copper ) Wire होती है ! उसके ऊपर एक रोधन ( insulation
) की एक परत होती है और उसके ऊपर ताम्बे की जाली (Copper
Mesh) होती है ! और उसके ऊपर एक Outside insulation होता है !
यह दो प्रकार की होती है thin net केबल और Thick net Cable
3. Fiber optic Cable
यह Cable Pure सिलिका ग्लास से बनी होती है
इसको 1970 में Developed किया गया था | Fiber Optic Cable ने Internet
की दुनिया में क्रन्तिकारी परिवर्तन किया है आज सारे देश इन्टरनेट
के द्वारा एक दूसरे से जुड़े है, जिसमे Fiber optic
Cable की बहुत बड़ी भूमिका है Fiber Optic Cable एक Advanced Transmission
Media है जिसका उपयोग Data को High
Speed तथा लम्बी दूरी में Transmit करने के
लिए किया जाता है |
Fiber
Optic Cable अब तक Networking की दुनिया में Data
को सबसे तेज गति से transfer करने वाली Cable
है , इसलिए इसका इस्तेमाल submarine
communications में जयदा प्रयोग होता हैं मतलब एक देश के नेटवर्क को दूसरे देश के
नेटवर्क से जोड़ने के लिए Fiber Optic Cable का इस्तेमाल किया
जाता हैं | इस केबल में DATA Light signal की from में Travel करता है,
और Data Destination
पहुंचते ही Light
signal से Digital signal में Convert हो जाता हैं |
2. UNGUIDED Wire-less Transmission media / Medium (तार-रहित
संचरण /माध्यम )
एक ऐसा medium जिसमे
Data के Communication में wire
का यूज़ नहीं किया जाता है यह एक Wireless Communication होता है ! wire less Communication मुख्य रूप से Electromagnetic
Wave के माद्यम से होता है ! Electromagnetic Wave को Electric और Magnetic Fields के Combination से Generate किया
जाता है ! wireless Communication को भी कुछ श्रेणियों में
वर्गीकृत किया गया है :-
1. Microwave (सूक्ष्मतरंगें) /Satellite
Communication – Microwave Communication में 16
gigabit पर Second Data को transfer करने की speed होती है ! यह एक Uni direction
Communication होता है इसके लिए ऊचे और बड़े Tower लगाने की जरूरत होती है इन tower के ऊपर parabolic
Antenna का use किया जाता है ! और दोनों Parabolic
antenna को बिल कुल एक दुसरव के सामने की Direction में रखा जाता है जिस से Micro wave बीम travel
कर सके इसका सबसे अच्छा
उदहारण आज के Time में Mobile tower और
घरो की छत पे लगे disk tv antenna में लगे Parabolic Antenna है
2. Satellite Communication:– यह भी
एक microwave communication का ही दूसरा रूप है परन्तु इस Process
में जमीन पर लगे Parabolic antenna सीधे
अंतरिक्ष की Over bit में स्थापित satellite से Communication करते है उनका भी Communication
करने का माध्यम uni-direction ही होता है satellite
communication का सबसे बड़ा फायदा यह होता है की इससे एक country
से दूसरी Country तक भी Communication किया जा सकता है ! और इसका सबसे अच्छा उदहारण आज के आज के वक्त में लाइव TV
streams और disk TV है जिसमे Micro
wave का use होता है
3. Radio waves:– Radio wave एक ओमनी Direction
में travel करती है इनकी data को transfer करने की speed microwave से कम होती है परन्तु यह काफी दूर तक travel कर सकती
है Radio wave में किसी भी Physical object को penetrate करने की Capacity होती है इस वजह से यह दुर्गम और दूर दराज के इलाकों में भी आसानी से पहुंच
जाती है इसका सबसे अच्छा उदाहरण है FM Radio और मोबाइल signal
है!
4. WiFi:- WiFi का
पूरा नाम है Wireless Fidelity. यह एक लोकप्रिय Wireless
Networking Technology है. एक एसी Technology है,
जिसके जरिए आज हम Internet और Network
Connection का इस्तमाल रहे है.
अब आपकी आसान भाषा में समझते है, यह वो Technology है
जिसके जरिए हम आज अपने स्मार्ट फ़ोन, Computer, Laptop में
बिना तार (Wireless) तरीके से Internet की सुविधा प्राप्त कर रहे हैं.
5. Bluetooth:- Bluetooth एक प्रकार का Wireless
technology है, जिसका इस्तमाल कोई भी file
या data transfer करने के लिए किया जाता है.
इस Bluetooth technology को develop Bluetooth
special interest group ने किया और इसकी physical range है 10m से लेकर 50m तक ही. ये Bluetooth
device ज्यादा से ज्यादा सात devices में ही connect
हो सकता है और इनका मुख्य इस्तमाल smartphones, personal
computers, और gaming consoles जैसे industries
में किया जाता है. IEEE ने Bluetooth को standardized किया है IEEE 802.15.1 के रूप में, लेकिन यह standards केवल कुछ ही periods के लिए maintain किया जाता है.
6. Infrared – Infrared communication एक युनी डायरेक्शन Communication होता है यह दीवार
या किसी भी Physical अवरोध को पार नहीं कर सकता है ! और ना
ही यह ज्यादा दूर तक travel कर सकता है इसका उसे Automatic
door,Remote control आदि में किया जाता है आदि में किया जाता है
नेटवर्क क्या है और इसके प्रकार
बताएं ?
नेटवर्क आपस में एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का समूह है जो एक दूसरे से
संचार स्थापित करने तथा सूचनाओं, संसाधनों को साझा इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं । किसी
भी नेटवर्क को स्थापित करने के लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता,
माध्यम तथा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर के साधनों
में भागीदारी करने के उद्देश्य से बहुत-से कंप्यूटरों का आपस में जुड़ना कम्प्यूटर
नेटवर्किंग कहलाता है । कम्प्यूटर नेटवर्किंग की मदद से उपभोक्ता उपकरणों, प्रोग्रामों, संदेशों और सूचनाओं को एक ही जगह पर
रहकर उनके साथ भागीदारी कर सकते हैं ।
नेटवर्क स्थापित करने के लिए मुख्य उपकरण निम्नलिखित है :
रिपीटर्स (Repeaters), हब (Hub), स्विच (Switches), राउटर्स
(Routers), गेटवे (Gateways)
नेटवर्क के निम्नलिखित प्रकार
हैं :
1. लोकल एरिया नेटवर्क (Local
Area Network-LAN) :-
Local Area Network मतलब LAN. ये Network आपको हर
जगह मिलेगा जैसे ऑफिस, College, School, Business Organisation, resource sharing, data storage, document printing के लिए इस network को use किया
जाता है. इसको बनाने के लिए कुछ जादा hardware की जरुरत नहीं
पड़ती बस hub, switch, network adapter, router और Ethernet
cable की जरुरत पड़ती है ।
सबसे छोटा LAN केवल
दो computer से बन सकता है. एक LAN में
हम 1000 Computers को आपस में जोड़ सकते हैं. ज्यदातर LAN
को wire connection में उपयोग किया जाता है.
लेकिन आजकल ये wireless में भी इस्तेमाल हो रहा है. इस network
की खासियत है इसकी speed, कम खर्चा और Security.
इसमें Ethernet cable का इस्तेमाल किया जाता
है. ।
विशेषताएं:-
छोटे geographical Area में इसकी दुरी सिमित है
एक घर, Office और
college में इस्तेमाल होता है.
इसकी ownership
private होती है
आसानी से इस Network को
बनाया जा सकता है
इस Network की
data transmission speed high है
2. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan
Area Network-MAN) :-
Metropolitan Area
network या MAN भी बोल सकते हो. ये एक पुरे
सहर को जोड़ने वाल Network है. एक सहर में जितने भी छोटे बड़े College,
School, government office के नेटवर्क को जोडके रखता है ये network.
LAN से भी बड़ा नेटवर्क है MAN. MAN 10KM से 100KM
तक Cover करता है. बोहत सारे LANs को आपस में connect करके बड़ा नेटवर्क बनाने के लिए
इसका इस्तेमाल किया जाता है.
इसतरह के Network अगर
एक College campus में इस्तेमाल होने लगे तो उसे campus
area network बोलते हैं. इसका सबसे अच्छा उदहारण है cable TV
Network. LAN to LAN connect करने के लिए MAN का
इस्तेमाल होता है. कोई बड़ा Business Organisation ही अपना
खुद का MAN बनता है. जिसके जरिये वो अपने अलग अलग branch
को connect कर सके.
विशेषताएं:-
बड़े geographical Area में इसकी दुरी सिमित है जैसे town, city.
इसकी ownership public और private होती है.
इस नेटवर्क install करने
में जादा खर्चा आता है LAN से भी जादा.
data transmission speed
moderate है.
3. वाइड एरिया नेटवर्क (Wide
Area Network-WAN) :-
LAN और MAN
के बाद जो Network आता है वही नेटवर्क है Wide
Area Network. वैसे तो ये सबसे बड़ा नेटवर्क है जो की पुरे globe
के computers को connect करके रखता है. इसको WAN भी बोला जाता है. Wide
area network को LAN of LANS बोला जाता है. इस
नेटवर्क की खासियत है ये DATA रेट कम है, लेकिन ज्यादा Distance cover करता है. Wide
Area Network का सबसे अच्छा उदहारण है Internet.
वैसे तो बोहत सारे Wide Area Network हैं. जैसे public packet network, Large Corporate network,
Military networks, Banking networks, railway reservation network और
आखिर में Airline Reservation network.
WAN के
जरिये Network की सुविधा देने वाली कंपनी को Network
Service Provider बोलते हैं. इनको Internet का
core बोला जाता है. WAN को सबसे महंगा
नेटवर्क बोला जाता है. क्यूंकि इसमें कुछ इसतरह की technology का उपयोग किया जाता है. जैसे की SONET, Framerelay और
ATM.
विशेषताएं:-
बड़े geographical Area जैसे दो देशों को अपसा में इस नेटवर्क से connect कर
सकते हैं
इसकी ownership public और private होती है
इस नेटवर्क को install और
maintenance करना difficult होता है.
data transmission speed
slow है
4. Personal
Area Network (पर्सनल एरिया नेटवर्क )
इस नेटवर्क को PAN भी
बोला जाता है. ये छोटा सा network है जो की एक घर के अंदर
इसकी सीमा रहती है. जैसे एक Building में, PAN में एक या एक से अधिक Computer रहते हैं. इसके साथ
साथ telephone, Video game कुछ और Devices जुड़े रहते हैं.
एक ही residence में
कुछ लोग अगर एक ही नेटवर्क को अगर इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे हम Home Area
Network बोल सकते हैं. इसको HAN भी बोला जाता
है. इसमें आमतोर पे WIRE से internet connection होता है. जो कि एक modem के जुडा रहता है. ये modem
दोनों connection मतलब wire और wireless provide करता है. इस Network में आप ये सब काम कर सकते हो. WIFI भी Home
Area Network है.
विशेषताएं:-
घर के किसी कोने में भी बैठ के आप document का print निकाल
सकते हो.
photo upload और download भी कर सकते हो
online video sharing के साथ साथ video streaming भी कर सकते हो.
PAN और HAN
में वैसे कुछ जादा अंतर नहीं है.
UNIT III (DTP-Desktop
publishing)
डीटीपी क्या है?
डीटीपी,प्रकाशन का एक आधुनिक तकनीक है जिसका पूरा
नाम डेस्कटॉप पब्लिशिंग है।इसकी सहायता से काफी कम समय में ही आसानी से प्रिंटिंग
के कार्य को पूरा कर लिया जाता है।इस तकनीक के कारण प्रिंटिंग एंड पब्लिशिंग के
फील्ड में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए है।एक रिपोर्ट के अनुसार इसका निर्माण जेम्स
डेविस(James Davise) ने सन् 1983 में किया था।
डीटीपी में कंप्यूटर
के जरिए विभिन्न सॉफ्टवेयर और लेजर प्रिंटर के माध्यम से मुद्रण का कार्य किया
जाता है।इस तकनीक द्वारा पोस्टर्स, बुक्स, पत्रिकाएं,इन्विटेशन
कार्ड आदि को बड़ी आसानी से कम समय और कम पैसों में बड़ी आसानी छापा जा सकता है।
DTP Full Form
Desktop publishing (डेस्कटॉप
प्रकाशन)
D-Desk
T-Top
P-Publishing
डीटीपी की विशेषता
प्राचीन समय में लोग
काठ पर उकेरी गई शब्दों से प्रिंटिंग करते थे।DTP के निर्माण के पहले लोग फोटो टाइप सेटिंग नामक प्रचलित पद्धति का use
करते थे। इन विधियों से प्रिंटिंग का कार्य काफी जटिल,महंगा और अधिक समय व्यय करने वाला था।
लेकिन 1983 में DTP के निर्माण के बाद मुद्रण यानी प्रिंटिग के क्षेत्र में चमत्कारी
परिवर्तन हुए।इस तकनीक के उपयोग से काफी कम समय,काम लागत में
बड़े से बड़े मुद्रण कार्य को कर सकते जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।इस पद्धति में
मुद्रण कार्य सरल और तेज हो जाता है जिससे आपके पैसे और समय के साथ साथ श्रम भी कम
लगता है।
डीटीपी के उपयोग
इस पद्धति का उपयोग
छोटे और बड़े दोनों स्तर पर प्रिंटिंग के लिए किया का सकता है।छोटे स्तर पर आप
इसका उपयोग इन्विटेशन कार्ड,विजिटिंग
कार्ड, पोस्टकार्ड,ग्रीटिंग कार्ड्स,
रिज्यूम, आदि को काफी काम लागत में बनाने के
लिए कर सकते है।तो वहीं बड़े स्तर पर इसका उपयोग पुस्तकों,पत्रिकाओं,न्यूजपेपर्स, बड़े बड़े पोस्टर्स,एग्जाम के पेपर्स,बिल्स आदि को छापने और प्रकाशित
करने में किया जाता है।
डीटीपी सॉफ्टवेयर के
नाम
वैसे तो DTP (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) के लिए कई तरह के
सॉफ्टवेयर उपलब्ध है।लेकिन मैंने आपको नीचे कुछ प्रसिद्ध डीटीपी सॉफ्टवेयर्स का
नाम दिया है जिसका उपयोग डीटीपी के लिए किया जाता है
Coral Draw
Adobe InDesign
Adobe Page Maker
Adobe Photoshop
PageStream
Acdsee Canvas
पब्लिशिंग और वर्ड प्रोसेसिंग
में क्या अंतर है !!
डेस्कटॉप
पब्लिशिंग
# डेस्कटॉप पब्लिशिंग में
ग्राफिक डिज़ाइन शामिल है, और इसके द्वारा पृष्ठ के लिए एक
लेआउट भी तैयार किया जा सकता है
# वर्ड प्रोसेसिंग में सभी कॉपी
संपादन शामिल होते हैं जो डेस्कटॉप पब्लिशिंग होने से पहले होता है
# वर्ड प्रोसेसिंग में शब्द
प्रसंस्करण, आमतौर पर फ़ॉन्ट का उपयोग करने के बारे में
निर्णय, या पाठ में कौन सा रंग दिखाना चाहिए, इस बारे में निर्णय शामिल नहीं रहता है
# डेस्कटॉप प्रकाशन
क्वार्कएक्सप्रेस 6.5 और 7.0 के साथ-साथ एडोब इनडिज़ीन सीएस और सीएस 2 जैसे
सॉफ़्टवेयर का उपयोग करता है
वर्ड
प्रोसेसिंग
# जबकि वर्ड प्रोसेसिंग एक
टेक्स्ट बनाने के लिए काम करता है.
# जबकि डेस्कटॉप पब्लिशिंग पाठ
को चित्रित करने के लिए छवियों को शामिल करता है।
# जबकि डेस्कटॉप पब्लिशिंग में
एक प्रीप्रेस फ़ाइल का उत्पादन होना चाहिए और साइन, मैजेंटा,
पीला या ब्लैक प्लेट तत्व छवियों के लिए शामिल किया चाहिए.
# वहीं दूसरी ओर वर्ड प्रोसेसिंग
में मेल विलय, टेबल बनाने या खोज और कार्यों को प्रतिस्थापित
करने जैसी विशेषताएं शामिल रहती हैं
Himachal Pradesh Board
Of Secondary Education
Class (10+1)
Subject: Computer Science (कंप्यूटर विज्ञान)
Important Topics in Hindi
(महत्वपूर्ण विषय-हिंदी में)
UNIT-I
Fundamentals of a Computer (कंप्यूटर का आधार)
1.
कंप्यूटर क्या हैं ? What is a Computer?
Computer एक ऐसा Electronic Device है जो User द्वारा Input किये गए
Data में प्रक्रिया करके सूचनाओं को Result या
Output के रूप में प्रदान करता हैं,
अर्थात् Computer एक Electronic
Machine है जो User द्वारा दिए गए निर्देशों का
पालन करती हैं। इसमें
डेटा को स्टोर, पुनर्प्राप्त और प्रोसेस करने की क्षमता होती
है। आप दस्तावेजों को टाइप करने, ईमेल भेजने, गेम खेलने और वेब ब्राउज़ करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग कर सकते हैं। आप स्प्रैडशीट्स,
प्रस्तुतियों और यहां तक कि वीडियो बनाने के लिए भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
Computer शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के “COMPUTE” शब्द से हुई
है जिसका अर्थ होता है “गणना करना”, लेकिन
वर्तमान में इसका क्षेत्र केवल गणना करने तक सीमित न रहकर अत्यंत व्यापक हो चुका हैं।
कम्प्यूटर अपनी उच्च संग्रह क्षमता (High Storage Capacity), गति (Speed), स्वचालन (Automation), क्षमता (Capacity), शुद्धता (Accuracy), बहुविज्ञता (Versatility), विश्वसनीयता
(Reliability), याद रखने की शक्ति के कारण हमारे जीवन के हर क्षेत्र
में महत्वपूर्ण होता जा रहा है। Computer द्वारा अधिक सूक्ष्म
समय में अधिक तीव्र गति से गणनाएं की जा सकती है तथा इसके द्वारा दिये गये परिणाम भी अधिक शुद्ध होते है।
“कंप्यूटर User द्वारा Input
किये गए डाटा को Process करके परिणाम को Output
के रूप में प्रदान करता हैं”
Output |
Process |
Input |
2. कंप्यूटर की विशेषताएं (Features/ Characteristics of a Computer)
1. Speed (गति) - Computer किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर
सकता है, Computer कुछ ही Second में
गुणा, भाग, जोड़, घटाना
जैसी लाखो क्रियाएँ कर सकता है यदि आपको 5067*4076 का मान ज्ञात करना है तो आपको 1
या 2 Minute का समय लगेगा, यही कार्य
कैलकुलेटर से करने पर लगभग 1 या 2 Second का समय लगेगा पर
कंप्यूटर ऐसी लाखों गणनाओ को कुछ ही seconds में कर सकता हैं।
2. Automation (स्वचालन) - हम अपने दैनिक
जीवन में कई प्रकार की स्वचलित मशीनों का Use
करते है Computer भी अपना पूरा कार्य स्वचलित
(Automatic) तरीके से करता है कंप्यूटर अपना कार्य, प्रोग्राम के एक बार लोड हो जाने पर स्वत: करता रहता हैं।
3. Accuracy (शुद्धता) - Computer अपना सारा कार्य बिना किसी गलती के
करता है, यदि आपको 10 अलग-अलग संख्याओ का गुणा करने के लिए
कहा जाए तो आप इसमें कई बार गलती करेंगें, लेकिन साधारणत: Computer किसी भी Process को बिना किसी गलती के पूर्ण कर सकता
है, Computer द्वारा गलती किये जाने का सबसे बड़ा कारण गलत Data
Input करना होता है क्योकि यह स्वयं कभी कोई गलती नहीं करता हैं।
4. Versatility (बहुविज्ञता) - Computer अपनी बहुविज्ञता के कारण बढ़ी तेजी
से सारी दुनिया में अपना प्रभुत्व जमा रहा है Computer गणितीय
कार्यों को करने के साथ साथ व्यावसायिक कार्यों के लिए भी प्रयोग में लाया जाने
लगा है। Computer का प्रयोग हर क्षेत्र में होने लगा है,
जैसे- Banks, Railways,
Airports, Businesses,
Hospitals, Schools etc.
5. High Storage Capacity (उच्च संग्रहण क्षमता) - एक Computer System में Data
Store करने की अत्याधिक क्षमता होती है, Computer लाखो शब्दों को बहुत कम जगह में Store करके रख सकता
है। यह सभी प्रकार के Data, Files, Picture, Video, Games आदि को कई बर्षो तक Store करके रख सकता है जिसे बाद में कभी भी कुछ ही Seconds
में प्राप्त व इस्तेमाल किया जा सकता है।
7. Diligence (कर्मठता) - आज मानव किसी कार्य को निरंतर कुछ ही
घंटो तक करने में थक जाता है इसके ठीक विपरीत Computer
किसी कार्य को निरंतर कई घंटो, दिनों, महीनो तक करने की क्षमता रखता है इसके बावजूद उसके कार्य करने की क्षमता
में न तो कोई कमी आती है और न ही कार्य के परिणाम की शुद्धता घटती हैं।
Computer किसी भी दिए गए कार्य को बिना किसी भेदभाव के करता है चाहे
वह कार्य रुचिकर हो या न हो।
8. Reliability (विश्वसनीयता) - Computer की accuracy और अत्याधिक Memory
क्षमता की वजह से इसे विश्वसनीय माना जाता है क्यों कि यह वर्षों तक
बिना थके कार्य करता है तथा Store की गई जानकारी को वर्षों
बाद भी सही उपलब्ध करवाता हैं।
9. Power of Remembrance (याद रखने की क्षमता) - व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सारी बातें करता
है लेकिन महत्वपूर्ण बातों को ही याद रखता है लेकिन Computer सभी तरह की जानकारी चाहे वो महत्वपूर्ण
हो या ना हो, सभी को Memory के अंदर Store करके रखता है तथा बाद में किसी भी सूचना की आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराता
हैं।
3. Applications
of a Computer (कंप्यूटर के अनुप्रयोग)
वर्तमान में कम्प्यूटर का प्रयोग जीवन के लगभग सभी
क्षेत्रों में किया जा रहा है। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ कंप्यूटर का
प्रयोग नहीं किया जा रहा हो । कंप्यूटर आज की जरुरत हो गयी है , कंप्यूटर
से सभी काम आसान हो जाती है। वर्तमान समय में, निम्नलिखित क्षेत्रों में कंप्यूटर
का अनुप्रयोग किया जा रहा है:-
(1) Education (शिक्षा)
- शिक्षा
के क्षेत्र में कम्प्यूटर का अनुप्रयोग बहुत बढ़ गया है। आज मल्टीमीडिया (Multimedia) के विकास और कम्प्यूटर आधारित शिक्षा ने इसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी
बना दिया है। इन्टरनेट के माध्यम से हम किसी भी विषय की जानकारी, कुछ ही क्षणों
में प्राप्त कर सकते है।
(2) Communication (संचार) - आधुनिक
संचार व्यवस्था, कम्प्यूटर के प्रयोग के बिना संभव नहीं है। टेलीफोन और इंटरनेट ने
संचार क्रान्ति को जन्म दिया है। सोशल मीडिया ने संचार को सरल व सुलभ बनाया है।
(3) Data Processing (डाटा
प्रोसेसिंग) - बड़े
और विशाल सांख्यिकीय डाटा से सूचना तैयार करने में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा
रहा है। जनगणना, AADHAR (आधार), सांख्यिकीय विश्लेषण, परीक्षाओं के
परिणाम आदि में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
(4) Publishing (प्रकाशन) - प्रकाशन
और छपाई में कम्प्यूटर का प्रयोग सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाता है। रेखाचित्रों और
ग्राफ का निर्माण अब सुविधाजनक हो गया है। न्यूज़, बैनर, flyers, magazine
आदि के प्रकाशन के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।
(5) Medicine (चिकित्सा)
- शरीर
के अंदर के रोगों का पता लगाने, उनका विश्लेषण और चिकत्सा में कम्प्यूटर का
विस्तृत प्रयोग हो रहा है। सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड एक्स -रे,
एमआरआई तथा विभिन्न जांचों में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है।
(6) Scientific Research (वैज्ञानिक
अनुसंधान) - विज्ञान
के अनेक जटिल रहस्यों को सुलझाने में कम्प्यूटर की सहायता ली जा रही है। कम्प्यूटर
द्वारा परिस्थितियों का उचित आकलन संभव हो पाया है। आज वैज्ञानिक के सभी आविष्कारों
से लेकर सभी प्रयोगों में कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है । रॉकेट, Satellite आदि को
launch (प्रक्षेपण) करने में भी कंप्यूटर की मदद ली जाती है।
(7) Space Technology (अंतरिक्ष
प्रौद्योगिकी) - कम्प्यूटर के
तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों , उपग्रहों और अंतरिक्ष की
घटनाओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है।
कृत्रिम उपग्रहों में भी कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा हैं। मानवीय अंतरिक्ष
यात्रा एवं प्रवास की परिकल्पना कम्प्यूटर पर ही आधारित हैं। बिना कम्प्यूटर के
प्रयोग के अंतरिक्ष यात्राएं संभव नही है।
(8) बैंक (Bank) - कम्प्यूटर
के अनुप्रयोग ने बैंकिंग क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। एटीएम (ATM Automatic
Teller Machine) तथा ऑनलाइन बैंकिग, चेक के भुगतान, रुपया गिनना तथा पासबुक entry आदि कम्प्यूटर से होती
है ।
(9) Recreation (मनोरंजन)
- सिनेमा, टेलीविजन
कार्यक्रम वीडियो गेम में कम्प्यूटर का उपयोग कर प्रभावी प्रस्तुतीकरण किया जा रहा
है। मल्टीमीडिया के प्रयोग ने कंप्यूटर को मनोरंजन का श्रेष्ठ साधन बना दिया है ।
कंप्यूटर के माध्यम से हम आज गेम खेल सकते है, फिल्म देख
सकते है तथा और भी मनोरंजक कार्य कर सकते है।
(10) Industry & Business (उधोग व व्यापार) - उधोगो
में कंप्यूटर के अनुप्रयोग से कार्य किया जा रहा है,जिस से बेहतर
गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है। व्यापार के कार्यों एवं स्टॉक
मार्केट का लेखा-जोखा रखने में कम्प्यूटर सहयोगी सिद्ध हुआ है।
(11) Airlines and Railway Reservation (वायुयान और रेलवे आरक्षण) - कम्प्यूटर
की सहायता से किसी भी स्थान से अन्य स्थानों के वायुयान और रेलवे के टिकट बुक किए
जा सकते हैं। बस, ट्रैन व वायुयान की समयसारिणी व टिकट मूल्य कंप्यूटर की सहायता से
पता किया जा सकता हैं।
कंप्यूटर के अवयव (Components of a Computer
System)
Computer
System अपनी processing के
लिए निम्न प्रकार के components/units का उपयोग करता है।
1. Input Unit
2. Central Processing Unit (CPU)
a) Aritmetic Logical Unit (ALU) b) Control Unit (CU) c)Memory Unit
3. Output Unit
1. Input unit: यह Computer
System की सबसे प्रमुख ईकाई होती है जिसकी
सहायता से data, instruction, program और
अन्य information को working के लिए computer
system में load किया जाता है। यह सभी information या instruction उस system के
लिए input कहलाते है।
User अपनी आवश्यकता के अनुरूप data
को computer में input device के माध्यम से enter
कर सकता है। Computer के साथ उपयोग में लाई
जाने वाली सभी input device को कार्य करवाने के लिए CPU
से connect किया जाता है, यह सभी input devices निर्धारित किए गए input
port के माध्यम से CPU से connect होती हैं। Input
device का मुख्य
कार्य user से user के समझने योग्य
प्रारूप में information को प्राप्त करना होता है। परन्तु CPU
द्वारा केवल binary data
पर ही किसी भी प्रकार का कार्य कर पाना संभव होता है। इस
कारण से input device के साथ कुछ ऐसे विशेष control
circuit उपयोग में लाए जाते है, जो user से input
में प्राप्त data को binary code में परिवर्तित करने का कार्य
करते है। किसी computer system में
विभिन्न प्रकार के format जैसे कि text ,graphics ,video, sound आदि का input
के रूप में दिया जा सकता है। अलग – अलग प्रकार
के data कि लिए विभिन्न प्रकार कि input device उपयोग म लाई जाती है। सामान्यतः
उपयोग में लाई जाने वाली input devices निम्न है-Ex- Keyboard, Mouse,
Scanner, Joystick , Trackball, Light Pen
, Digitizing Tablet , Digital Camera, Voice
recognition, Touch Screen etc.
2. Central Processing Unit (CPU) : Computer System की सबसे महत्वपूर्ण ईकाई CPU होती है जो किसी भी Computer
system के लिए Brain एवं Heart दोनों का कार्य करती है। CPU वह unit है जो input device से प्राप्त data को process करती
है और output device को Result प्रदान करती है। यह unit
input device से binary
code के रूप में data को प्राप्त करती है और user
के द्वारा किये गये instruction या निर्धारित program
के अनुसार data को process करती है। CPU के द्वारा process किए गए data को output device के
माध्यम से user को प्रदान किया जाता है। CPU में data को process करने के
लिए micro processor एवं अन्य सहयोगी unit उपयोग लाई जाती है, जो अत्यंत तेज गति से data को process कर सकती है। user द्वारा दिए गए instruction को CPU एक निर्धारित क्रम में store करके रखता है, जिसे program कहते
है। इस प्रकार CPU memory का उपयोग में लाई जाने वाली सभी devices, CPU के साथ ही connect की जाती
है। इस कारण से ही इसे केन्द्रित ईकाई माना जाता है।
अपने कार्य को
व्यवस्थित रूप से करने के लिए CPU निम्नलिखित components का उपयोग करता है।
o
Arithmetic
Logical Unit (ALU)
o
Control
Unit (CU)
o
Memory Unit
Arithmetic Logical
Unit (ALU): ALU से तात्पर्य है कि Arithmetic Logical Unit अर्थात एक ऐसी ईकाई जो सभी प्रकार के गणितीय (Arithmetic) गणनाऐं करने में सक्षम हो,
जब user द्वारा input device के माध्यम स्रे दिए गए instruction
में किसी प्रकार के Arithmetic या logical calculations हो तब इस प्रकार के instructions को CPU के द्वारा ALU को
दिया जाता है। ALU के द्वारा दिया जाने वाले Arithmetic operation से तात्पर्य addition, subtraction, multiplication,
division आदि तथा logical calculation से
तात्पर्य दिए गए data के बिच विभिन्न प्रकार की तुलना
प्रक्रियाओं से है जैसे कि AND, OR, NOT
आदि।
इस unit में एक ऐसा electronic circuit होता है जो binary
code में सभी प्रकार के operations करने में
सक्षम होता है। यह unit memory से data प्राप्त करता है व calculations के पश्चात Result
के रूप में data memory में ही store करता है। ALU के कार्य करने के गति अति तीव्र होती
है जिसके कारण यह लगभग 10 लाख calculation
प्रति second की गति पर कार्य कर सकता
है।
Control Unit (CU)
: CU से तात्पर्य control
unit होता है अर्थात एक ऐसी ईकाई जो सभी प्रकार के कार्यो को नियंत्रित
करने का कार्य करता है। CPU में CU एक
केन्द्रिय ईकाई के रूप में कार्य करता है। यह उपयोग में लाए जा रहे सभी processing
components के मध्य data के आदान प्रदान का
कार्य करता है। यह memory में store programs को instruction के रूप में प्राप्त करता है,
और उसे आवश्यक processing unit तक पहुचाता है।
Memory एवं input-output devices के बीच data के अदान-प्रदान करने का कार्य CU
के द्वारा ही किया जाता है।
CPU में उपयोग में लाई जा रही सभी ईकाई के बीच data एवं instruction
विषेष प्रकार के signal के द्वारा आदान प्रदान
किए जाते है। यह signal electronic Bus (wires) कि सहायता से
दिए जाते है। इस Bus का नियंत्रण CU के
पास रहता है, जिससे सभी ईकाईयों को एक साथ नियंत्रित किया जा सकता है। CU के द्वारा ही यह निर्धारित होता है, कि किस प्रकार
का data एवं instruction किस unit
के माध्यम से process किया जाएगा।
Memory Unit: Computer system को उसकी
एक असमित क्षमता के कारण अधिकतम उपयोग में लाया जाता है, वह
क्षमता है बहुत अधिक संख्या में data को लंबे समय तक store
रखना। इस क्षमता को उपयोग में लाने के लिए computer system के द्वारा memory unit का उपयोग किया जाता है। Computer
system में memory से तात्पर्य एक ऐसी ईकाई से
है, जो आवश्यकता के अनुसार data को store करके रख सके।यह unit दिए गए data program एवं Result आदि को store करके
रखती है।
CPU द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले instruction कि
आवष्यकता होती है, तब CPU वह data या instruction
को memory से प्राप्त कर लेता है। इसके साथ ही
CPU के द्वारा output के रूप में दिए data
को भी memory unit में ही store करके रखता है।
3. Output Unit :
Computer system के द्वारा
input में लिए गए data को विभिन्न
प्रकार से process किया जाता है। computer की इस unit की सहायता से process किए गए data को Result के रूप
में user को प्रदान किया जाता है। इस Result को Output कहते है, Computer system के द्वारा यह output, user को output
devices की सहायता से
प्रदान किए जाते है।
उपयोग में लाए जाने वाले सभी output devices को CPU के output port पर connect
किया जाता है। सभी प्रकार के output devices को CPU द्वारा binary format में data प्राप्त करता है परन्तु user द्वारा यह data समझ पाना संभव नही है। इस कारण से output device के
साथ कुछ control circuit जुडे होते है जो binary
code में प्राप्त किए गए data
को user के समझने योग्य format में परिवर्तित करते है और output
प्रदान करते है।
Output devices से
प्राप्त होने वाला output किसी भी format में हो सकता है जैसे कि text, sound, video, graphics आदि।
अलग – अलग प्रकार के output के लिए विभिन्न प्रकार की output devices उपयोग में
लाई जाती है, जो निम्नलिखित हैः-
e.g.- Monitor, Printer , Plottor,
Speaker etc.
Generations of a Computer (deleted for year 2020-21)
इंसान याद
रखने के लिए मस्तिष्क का उपयोग करते हैं, मगर कम्प्यूटर के पास हमारी तरह मस्तिष्क
नही होता है। यह डाटा और निर्देशों को याद रखने के लिए अर्थात संग्रहित करने के लिए
Memory का इस्तेमाल करता
है, जिसे Computer Memory कहा जाता है। अतः विभिन्न स्रोतों
से प्राप्त डाटा, निर्देशों और परिणामों को संग्रहित कर
भंडारित करना Memory कहलाता है।
Computer Memory में डाटा
0 और 1 के रूप में संग्रहित रहता हैं, इन दो संख्याओं को Binary Digits और Bits कहा जाता हैं। प्रत्येक अंक एक Bit को प्रस्तुत करता हैं, इसलिए Computer Memory की
सबसे छोटी इकाई Bit होती हैं।
Memory
के छोटे-छोटे Characters को Represent करने के लिए इन Binary Digits का एक Set बनाया जाता हैं, इसकी शुरुआत 8 Digits या 8
Bits (जैसे; 10011001) से होती हैं, ये 8
Bits. 1 Byte के बराबर होते हैं।
इसी प्रकार ज्याडा डाटा को Represent करने के लिए इन Bits का और बडा Set बनाया जाता हैं, जिनका नामकरण Bits की संख्याओं के
आधार पर किया जाता हैं, जैसे:-
Bit
= 0 या 1
4 Bits = 1 Nibble
2 Nibble और 8 Bits = 1 Byte
1024 Byte = 1 KB (Kilo Byte)
1024 KB = 1 MB (Mega Byte)
1024 MB = 1 GB (Giga Byte)
1024 GB = 1 TB (Tera Byte)
1024 TB = 1 PB (Penta Byte)
1024 PB = 1 EB (Exa Byte)
1024 EB = 1 ZB (Zetta Byte)
1024 ZB = 1 YB (Yotta Byte)
1024 YB = 1 BB (Bronto Byte)
1024
BB
= 1 GB (Geop Byte)
CPU की आवश्यकता के अनुसार
memory दो प्रकार की होती है।
1. Primary
memory (Main memory)
2. Secondary
memory (Physical memory)
Primary memory (main
memory) –
प्राथमिक
मेमोरी कंप्यूटर मेमोरी है जिसे सीधे सीपीयू द्वारा एक्सेस किया जाता है। Primary Memory को मुख्य मेमोरी (Main
Memory) और अस्थाई मेमोरी (Volatile Memory) भी
कहा जाता है।
यह मेमोरी CPU का भाग होती हैं, जहाँ से CPU डाटा और निर्देश प्राप्त करता हैं और प्रोसेस करने के बाद रक्षित रखता
हैं।
प्राथमिक
मेमोरी में वर्तमान में किया जा रहे काम के निर्देश और डाटा संग्रहित रहता है। यह
मेमोरी अत्यंत तेज होने के साथ अस्थाई होती है, काम खत्म होने के बाद संग्रहित
डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं और अगले काम का डाटा स्टोर हो जाता है, यह एक सतत
प्रक्रिया है, Computer Shut Down होने पर भी सारा डाटा
डिलिट हो जाता है।
प्राथमिक मेमोरी के दो प्रकार होते हैं:-
RAM
or Volatile Memory –
ROM
or Non-Volatile Memory –
Primary
Memory की विशेषताएं:-
यह मेमोरी अस्थायी होती हैं।
CPU
का भाग होती है।
Power
Supply या काम खत्म होने के बाद डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं।
इसके बिना कम्प्यूटर काम नही कर सकता हैं।
अतिरिक्त मेमोरी से तेज होती है।
Cache
Memory
Primary
Memory/Main Memory
Secondary
Memory
Cache
Memory
यह है कंप्यूटर की सबसे तेज मेमोरी. Cache memory एक बहुत ही high speed semiconductor memory जो की CPU
को speed up कर देती है. ये एक buffer के तरह act करती है CPU और main
memory के बीच. इनका इस्तमाल data और program
के उन हिस्सों को hold करने के लिए इस्तमाल होता
है जिन्हें की CPU के द्वारा frequently इस्तमाल किया जाता है. Data और Programs के हिस्सों को पहले transfer किया जाता है disk
से cache memory तक operating system के द्वारा, जहाँ से को उन्हें CPU आसानी से access कर सकें.
Secondary memory –
Computer system की सहायता से user अपने आवष्यक data एवं programs को लम्बे समय तक store रख सकते है, इसके लिए CPU के साथ secondary memory का उपयोग किया जाता है। यह memory गति के अनुसार primary
memory की तुलना में low होती है परन्तु यह data
को permanent अर्थात लम्बे समय तक store
करके रखती है। secondary memory को magnetic
पदार्थो की सहायता से बनाया जाता है। इसका उपयोग ऐसे सभी program
एवं data को store करने
के लिए किया जाता है जिनका उपयोग निरंतर होता रहता है। secondary memory में store किए गए किसी program को execute करवाने
के लिए उसे secondary memory में से primary memory में transfer किया जाता है।
Secondary
Memory की विशेषताएं:-
यह स्थायी मेमोरी होती हैं।
डाटा हमेशा के लिए संग्रहित रहता हैं।
इसकी गती थोडी कम होती हैं।
स्टोर क्षमता बहुत ज्यादा होती हैं।
काम खत्म होने या कम्प्यूटर बंद होने पर भी डाटा
रक्षित रहता हैं।
4. RAM और ROM
में क्या अंतर है?
Input Device क्या है ?
इनपुट डिवाइस
एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कंप्यूटर को डेटा भेजता है, जिससे आप कंप्यूटर से संपर्क कर सकते हैं और
उसे नियंत्रित कर सकते हैं। एक इनपुट डिवाइस कंप्यूटर पर डेटा भेजने के लिए उपयोग
किया जाने वाला हार्डवेयर या बाह्य उपकरण है।
इनपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में आँकड़ें डालने के
लिए किया जाता है । इनपुट डिवाइस एक उपकरण है जो कंप्यूटर को इनपुट प्रदान करता है
। की-बोर्ड सबसे अधिक प्रचलित इनपुट उपकरणों में से एक है जिसका प्रयोग कंप्यूटर
में आंकड़े डालने और निर्देश देने के लिए किया जाता है । किसी भी कंप्यूटर सिस्टम
के लिए एक keyboard
सबसे मौलिक इनपुट डिवाइस है । कंप्यूटिंग के शुरुआती दिनों में,
यह आमतौर पर केवल इनपुट डिवाइस था । एक keyboard में अक्षरों(letters) और संख्याओं(numbers) के साथ-साथ विशेष कार्य के लिए Key भी शामिल है,
जैसे कि एंटर (Enter), डिलीट(Delete), आदि।
कुछ और
महत्त्वपूर्ण इनपुट उपकरण हैं :-
Keyboard (कुंजीपटल) :- यह कंप्यूटर का इनपुट डिवाइस है जिसकी
सहायता से कंप्यूटर में डेटा Input किया जाता है। डेटा को कीबोर्ड की सहायता से ही टाइप करके लिखा जाता है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो कीबोर्ड डेटा एंट्री करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
कीबोर्ड का आविष्कार “क्रिस्टोफर लेथम शोलेज” ने किया था। Keyboard का हिंदी में मतलब कुंजीपटल
होता है । इसकी सहायता से हम कम्प्युटर को निर्देश देते है । Keyboard का मुख्य उपयोग Text लिखने के लिए किया जाता है यह
भी एक बहुक्रियात्मक उपकरण होता है, जो न सिर्फ लिख सकता है
बल्कि कम्प्युटर को नियंत्रित करने में भी Keyboard का Use
किया जा सकता है ।
Mouse (माउस):- Mouse एक इनपुट डिवाईस है, जिसका वास्तविक नाम Pointing Device है । Mouse
का उपयोग मुख्यत: कम्प्युटर स्क्रीन पर Items को
चुनने, उनकी तरफ जाने तथा उन्हे खोलने एवं बदं करने में किया
जाता है. Mouse के उपयोग द्वारा युजर कम्प्युटर को निर्देश
देता है । इसके द्वारा एक युजर कम्प्युटर स्क्रीन पर कहीं भी पहुँच सकता है एक
साधारण Mouse में आमतौर पर तीन बटन होते है, जिन्हें Right Click एवं Left Click कहते है, और तीसरे बटन को Scroll Wheel या फिरकि कहते है। आधुनिक Mouse में तो अब तीन से
ज्यादा बटन आने लगे है, जिनका अलग कार्य होता है।
Light Pen (लाइन पेन) :- कम्प्यूटर पर काम करते समय लाइट पेन एक
रिसेप्टर की तरह काम में लाया जाता है। इसमें लगे बटन को दबाने पर कम्प्यूटर
डिस्प्ले आता है और काम करता है। यह स्क्रीन पर पिक्सल्स बनाता है। इसमें लगी हुई
इलैक्ट्रानिक डिवाइस स्क्रीन पर लाइट से इमेज तैयार करती हैं। इस पेन से आप
बिल्कुल उसी तरह कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम कर सकते हैं, जैसे पेंसिल से कागज पर करते हैं।
Joystick (जॉयस्टिक) :- जॉयस्टिक एक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग
कंप्यूटर डिवाइस में कर्सर या पॉइंटर के आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए किया जा
सकता है। पॉइंटर / कर्सर आंदोलन जॉयस्टिक पर लीवर का उपयोग करके नियंत्रित होता
है। इनपुट डिवाइस का उपयोग ज्यादातर गेमिंग अनुप्रयोगों और कभी-कभी ग्राफिक्स
अनुप्रयोगों में किया जाता है। एक जॉयस्टिक भी आंदोलन विकलांग लोगों के लिए एक
इनपुट डिवाइस के रूप में सहायक हो सकता है।
Scanner(स्कैनर):- स्कैनर एक Input Device है, जो एक
Image या text document को कैप्चर करके
उसे Digital file में कन्वर्ट कर देता है। ये बिल्कुल एक Photocopy
Machine की तरह कार्य करता है। डॉक्यूमेंट के इस इलेक्ट्रॉनिक वर्शन
को आप कंप्यूटर में ओपन और एडिट करने के साथ ही उसे प्रिंट भी कर सकते है।
Output Device क्या है?
आउटपुट
डिवाइस(Output Device), कम्प्यूटर
व इसके प्रयोगकर्ता के बीच संचार का माध्यम होती है ।जैसा कि नाम से पता चलता है,
ये डिवाइसिज आउटपुट को स्क्रीन या प्रिंटर पर प्रस्तुत करने के लिए
प्रयोग की जाती है । आउटपुट साफ्ट कापी के रूप में, हार्ड कापी
के रूप में या आवाज के रूप में ही सकती है । जहाँ साफ्ट कापी स्क्रीन पर आउटपुट को
दर्शाती है, हार्ड कापी आउटपुट पेपर पर छपाई को दर्शाती है व
आवाज वाली आउटपुट स्पीकर्स द्वारा निकलने वाली आवाज को कहते है।
आउटपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में प्रोसेस हुए
आँकड़ों के नतीजों को दिखाने के लिए किया जाता है । मॉनीटर और प्रिन्टर दो मुख्यतः
प्रयोग में लाये जाने वाले आउटपुट उपकरण हैं । ये आउटपुट उपकरण को मशीनी संकेतों
में लेते हैं और उन्हें मानवीय भाषा में परिवर्तित करते हैं ।
कुछ मुख्य
आउटपुट डिवाइसिज के नाम निम्नलिखित है :-
Monitor (मॉनिटर):- यह
एक अत्यावश्यक आउटपुट डिवाइस है,
जिसे स्क्रीन , दृश्य-प्रदर्शन इकाई या कैथोड
किरण ट्यूब भी कहा जाता है। यह किसी टी.वी. स्क्रीन की तरह ही होता है जो ग्राफिक
एवं टेक्स्ट को अपने स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है। कुंजीपटल के माध्यम से टाइप की
हुई प्रत्येक सूचना को प्रदर्शित करता है। साथ ही कम्प्यूटर पर सम्पन्न की गई
गणनाओं तथा प्रग्रामों के परिणामो को भी दर्शाता है ।
Printer (प्रिंटर):- प्रिंटर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है जो कि
हार्ड काँपी आउटपुट प्रदान करती है । किसी भी प्रकार का डाटा जैसे कि टेक्स्ट या
ग्राफिक जो मॉनिटर पर दिखाई दे देता है प्रिंटर द्वारा पेपर के ऊपर प्रिंट किया जा
सकता है। प्रिंटर्स मुख्यतः दो प्रकार के होते है जो कि इम्पैक्ट प्रिंटर्स जिनका
पेपर व उनके हैड के बीच में मैकेनिकली संबंध बनता है तथा दूसरे नॉन इम्पैक्ट
प्रिंटर्स जिनके द्वारा पेपर से कोई मैकेनिकली संबंध नहीं बनाया जाता ।
Plotter (प्लॉटर):- प्लॉटर
भी एक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग विभिन्न रंगों वाली स्याही से चित्रों की
प्रिटिंग करने हेतु किया जाता है। प्लॉटर में ड्रमनुमा या सपाट भाग होता है, जो
प्रिंटिंग में प्रयुक्त होने वाले कागज को व्यवस्थित रूप से सम्भालता है तथा एक
कैरिज होता है जो प्रिंटिंग के दौरान कागज को अंदर प्रिंटिंग हेतु धकेलता है ।
स्पीच सिंथेसाइज़र:- स्पीच सिंथेसाइज़र एक प्रत्युत्तर तन्त्र
है जो स्वरों को एकत्रित कर पुनः शब्दों एवं ध्वनियो के रूप में आउटपुट प्रदान
करता है इस प्रकार के तंत्रों के द्वारा सभी आवश्यक स्वरों की कोड्स के साथ पूर्व
रिकार्डिंग करके एक स्वर प्रत्युत्तर डिवाइस में निर्देशों के सेट के अनुसार पुनः
प्रसारित क्र दिया जाता है । यह स्वर प्रत्युत्तर डिवाइस जवाबी स्वरों को उपयुक्त
अनुक्रम में व्यवस्थित कर आउटपुट के रूप में प्रसारित कर देती है. ये स्पीच
सिंथेसिस सिस्टम टेलीफ़ोन एक्सचेंजिस में व्यापक रूप में प्रयोग किये जाते है ।
Projector (प्रोजेक्टर):- प्रोजेक्टर भी एक आउटपुट डिवाइस हैं
प्रोजेक्टर का प्रयोग चित्र या वीडियो को एक प्रोजेक्शन स्क्रीन पर प्रदर्शित करके
श्रोताओ को दिखाने के लिए किया जाता हैं । प्रोजेक्टर निम्नलिखित प्रकार के होते
हैं –
1. वीडियो प्रोजेक्टर 2. मूवी प्रोजेक्टर 3. स्लाइड प्रोजेक्टर
Software (सॉफ्टवेर) क्या है ?
सॉफ्टवेयर, निर्देशों तथा
प्रोग्राम्स का वह समूह है जो कम्प्यूटर को किसी कार्य विशेष को पूरा करने का
निर्देश देता है। यह यूजर को कम्प्यूटर पर काम करने की क्षमता प्रदान करता हैं.
सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर हार्डवेयर का एक निर्जीव वस्तु है। इसे हाथ से छूआ
नहीं जा सकता हैं, क्योंकि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है। यह एक आभासी
वस्तु है जिसे केवल समझा जा सकता है।
“Software
बहुत सारे Programs का एक समूह है जो एक Computer
के विशिष्ट कार्यों (Tasks) का निष्पादन करता है। “Software is a set of Programs which
perform a specific Task”.
सॉफ्टवेयर के विभिन्न प्रकार –
Types of Software in Hindi
काम की जरुरत के हिसाब से अलग-अलग सॉफ्टवेयर बनाये
जाते हैंअध्ययन की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयर के दो मुख्य वर्ग बनाए हैं.
System Software
Application Software
1. System Software
System
Software वह Software है जो Hardware का प्रबंध एवं नियत्रंण करता है और Hardware एवं Software
के बीच क्रिया करने देता है. System Software के
कई प्रकार है:-
1.1 Operating System
Operating
System एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम होता है जो अन्य कम्प्यूटर
प्रोग्रामों का संचालन करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर तथा कम्प्यूटर के बीच
मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्यूटर को समझाता है.
ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ लोकप्रिय नाम जिनके बारे में
आपने जरुर सुना होगा.
Windows
OS, Mac OS, Linux, UBUNTU, Android
1.2 Utility Programs
Utilities
को सर्विस प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है. यह कम्प्यूटर
संसाधनों के प्रबंधन तथा सुरक्षा का कार्य करते है. लेकिन, इनका
Hardware से सीधा संम्पर्क नही होता है. जैसे, Disk
Defragmenter, Anti Virus प्रोग्राम आदि Utility प्रोग्राम है.
1.3 Device Drivers
Driver
एक विशेष प्रोग्राम होता है जो इनपुट और आउटपुट उपकरणों को
कम्प्यूटर से जोड़ता है ताकि ये कम्प्यूटर से संचार कर सके. जैसे Audio
Drivers, Graphic Drivers, Motherboard Drivers आदि.
2. Application Software
Application
Software को End User सॉफ़्टवेयर कहा जा सकता
है, क्योंकि इसका सीधा संबंध यूजर से होता है. इसे ‘Apps’
भी कहते है. Application Software उपयोक्ता को
किसी विशेष कार्य को करने कि आजादी देते है. इनके कई प्रकार है.
2.1 Basic Application
Basic
Applications को सामान्य उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (General
Purpose Software) भी कहा जाता है. यह सामान्य इस्तेमाल के
सॉफ़्टवेयर होते है. इनका उपयोग हम रोजमर्रा के कार्यों के लिए करते है.
किसी भी कम्प्यूटर उपयोक्ता को कम्प्यूटर पर कार्य
करने के लिए Basic
Application का इस्तेमाल तो आना ही चाहिए. नीचे कुछ General
Purpose Software के नाम दिए जा रहे हैं.
Word
Processing Programs, Multimedia Programs, DTP Programs, Spreadsheet Programs, Presentation
Programs, Graphics Application, Web Design Application
2.2 Specialized Application
Specialized
Application को विशेष उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (Special Purpose
Software) भी कहा जाता हैं. इन सॉफ़्टवेयर को किसी खास उद्देश्य के
लिए बनाया जाता है. इनका इस्तेमाल भी किसी कार्य विशेष को करने के लिए होता है.
नीचे कुछ विशेष उद्देश्य के लिए बनाये गए प्रोग्राम्स के नाम दिए जा रहे हैं.
Accounting
Software, Billing Software, Report Card Generator, Reservation System, Payroll
Management System
UNIT II (Digital Network Essential)
वेब ब्राउजर क्या है – What
is Web Browser?
वेब ब्राउजर एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है, जो
इंटरनेट पर मौजूद वेबपेजों को यूजर्स के लिए ढूँढ़कर इंसानों की भाषा में अनुवाद
करता है. इन webpages में मौजूद जानकारी में ग्राफिक्स,
मल्टीमीडिया, वेब प्रोग्राम्स तथा साधारण
टेक्स्ट शामिल होता है. एक ब्राउजर वेब मानकों के आधार पर वेबपेजों से डेटा फेच
करता है. गूगल क्रोम एक लोकप्रिय वेब ब्राउजर है.
अगर इसे ओर सरल शब्दों में कहें तो ब्राउजर इंटरनेट पर
मौजूद वेबसाइटों को अनुवाद करने का काम करते है.
एक वेबसाइट पर अनेक प्रकार की सूचना उपलब्ध होती है
जिसे ब्राउजर ही पढ़ता है और यूजर के सामने समझने योग्य भाषा में प्रदर्शित करता
है. क्योंकि इन वेबसाइटों को बनाने के लिए कई भाषाओं का प्रयोग किया जाता है जिसे
एक आम यूजर समझ नहीं पाता है.
वेब पर उपलब्ध वेब संसाधनों (Web Resources) को हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैगुएज (HTML) में लिखा
जाता है. ब्राउजर इस कोड को पढ़ता है तब जाकर हम वेब पर मौजूद सामग्री को देख,
सुन तथा पढ़ पाते है1
कुछ मुख्य वेब ब्राउजर:-
Google
Chrome (PC, Mobile & Tablet)
Internet
Explorer (PC)
Microsoft
Edge (PC, Mobile & Tablet)
Mozilla
Firefox (PC, Mobile & Tablet)
Safari
(PC, Mobile & Tablet)
Opera
(PC, Mobile & Tablet)
Konqueror
(Linux PC)
Lynx
(Linux PC)
UC
Browser (Mobile & Tablet)
ईमेल क्या है (What
is Email?)
Email
का Full Form होता है Electronic mail.
इसे लोग e-mail, email या Electronic
Mail भी कहते हैं. यह एक प्रकार का digital message होता है जिसे की एक user दुसरे user के साथ communicate करने के लिए इस्तमाल करता है. इस
email में text, files, images, या कोई
attachments भी हो सकता है, जिसे की network
के माध्यम से किसी specific individual या group
of individuals को भेजा जा सकता है.
यह email को pen और paper
की जगह keyboards से type किया जाता है और Email Client के माध्यम से भेजा
जाता है. Email addresses में एक custom username होता है beginning में उसके बाद email
service provider का domain name, जिसमें एक @
sign होता है जिसे की दोनों को separate किया
जाता है. उदाहरण के लिए : name@gmail.com
ईमेल के लाभ
1. Speed होती है
: इन ईमेल की delivery
speed बहुत ही Fast होती है. इससे लोगों को information
तुरंत प्राप्त हो जाता है. वहीँ लोग एक दुसरे के साथ आसानी से communicate
कर सकते हैं.
2. Convenience प्रदान
करती हैं : Emails
बहुत ही ज्यादा Convenient method हैं quick
communication के लिए. जहाँ Phone में आपको
कुछ समय था phone को hold करना पड़ता है
और साथ में आपको lengthy conversation होने के लिए बाध्य
होना पड़ता है. वहीँ Email में आप तुरंत ही अपने मुद्दे की
बात कर सकते हैं और reply भी प्राप्त कर सकते हैं.
3. Attachments भेज सकते
हैं : इसमें attachment
का feature होने के कारण आप ईमेल के साथ कुछ
भी file attach कर सकते हैं. इससे आपको अलग से उस चीज़ को
भेजने की जरुरत ही नहीं होती है.
4. Accessibility होती हैं
: Email
accounts large folders के तरह होते हैं, ये
केवल private messages के लिए ही नहीं बल्कि files और दुसरे important information के लिए भी होते हैं.
इसलिए अच्छे email clients users के लिए उन्हें organize,
archive, और search through करने के लिए emails
में आसान बना देते हैं, वहीँ कोई भी information
जो की email में होती है वो हमेशा readily
accessible होती है.
5. A Record: Email आपके सभी conversation को record करती हैं. इसलिए आप उन conversation को एक record
के तरह कभी भी देख सकते हैं. हो सके तो आप उनका print out भी निकाल सकते हैं. साथ में वो online तब तक रहेगा
जब तक आप intentionally उन्हें delete नहीं
कर देते हैं.
6. Unlimited space और time:
Texting के विपरीत इसमें आपको unlimited space मिलता है कुछ लिखने के लिए जितना आप चाहें एक email में.
इसके साथ आप जितना समय लेना चाहें उतना लेकर ये email लिख
सकते हैं, उन्हें revise कर सकते हैं
भेजने के पहले.
7. Free communication होती है:
दुसरे forms
of communication के विपरीत, जैसे की long
distance calling और physical mail messages, ज्यादातर
email providers users को free access प्रदान
करती है एक email account के लिए. आप अपना email
address pick कर सकते हैं, और उस email
id से आप send और receive कर सकते हैं सभी electronic mail जो की आपको भेजे
जाते हैं. साथ ही इसके लिए आपको एक भी पैसा खर्चा नहीं करना पड़ता है.
8. Security: Physical Mails से तो ये email services लाख गुना safe होते हैं. इसे specifically privacy और security
के लिए ही बनाया गया होता है, इसें login
id और password होता है email खोलने के लिए. जिन्हें केवल correct email password से
ही खोला जा सकता है.
Transmission media/Medium क्या हैं और यह कितने प्रकार
के होते हैं ?
Transmission
medium को यदि हम सरल भाषा में समझने का प्रयास करे तो यह कह सकते
हैं हैं की ऐसा कोई भी माद्यम (medium)जिसके द्वारा दो
उपकरणों(Device) को आपसमे Connectivity दी गई हो और वो एक दूसरे के साथ अपने Resource या Data
को आपस में Share कर सकते हो उसको Transmission
medium कहा जाता हैं यह माद्यम कुछ भी होसकता हैं Wire less या Wire base,
Transmission medium को 2 भागो में
विभाजित किया गया हैं :-
1. Guided Media(Wire Based)
2. Unguided Media (Wire Less)
1. GUIDED MEDIA OR Wire-based Transmission media / Medium -(तारआधारित संचरण माध्यम )
Wire
-Base Transmission Medium जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता हैं की यह
एक तार आधारित Connectivity हैं ,इनमे
उन सभी Entity को रखा गया हैं जिसमे दो Device की Connectivity को Physically देखा जासकता हैं ! Touch किया जासकता हैं ! इसको
मुख्य रूपसे 3 भागो में विभाजित किया गया हैं जो इस प्रकार
हैं:-
Twisted Pair
Coaxial Cable
यह दो प्रकार की होती है thin net केबल और Thick net Cable
3. Fiber optic Cable
यह Cable Pure सिलिका ग्लास से बनी होती है
इसको 1970 में Developed किया गया था | Fiber Optic Cable ने Internet
की दुनिया में क्रन्तिकारी परिवर्तन किया है आज सारे देश इन्टरनेट
के द्वारा एक दूसरे से जुड़े है, जिसमे Fiber optic
Cable की बहुत बड़ी भूमिका है Fiber Optic Cable एक Advanced Transmission
Media है जिसका उपयोग Data को High
Speed तथा लम्बी दूरी में Transmit करने के
लिए किया जाता है |
2. UNGUIDED Wire-less Transmission media / Medium (तार-रहित
संचरण /माध्यम )
एक ऐसा medium जिसमे
Data के Communication में wire
का यूज़ नहीं किया जाता है यह एक Wireless Communication होता है ! wire less Communication मुख्य रूप से Electromagnetic
Wave के माद्यम से होता है ! Electromagnetic Wave को Electric और Magnetic Fields के Combination से Generate किया
जाता है ! wireless Communication को भी कुछ श्रेणियों में
वर्गीकृत किया गया है :-
1. Microwave (सूक्ष्मतरंगें) /Satellite
Communication – Microwave Communication में 16
gigabit पर Second Data को transfer करने की speed होती है ! यह एक Uni direction
Communication होता है इसके लिए ऊचे और बड़े Tower लगाने की जरूरत होती है इन tower के ऊपर parabolic
Antenna का use किया जाता है ! और दोनों Parabolic
antenna को बिल कुल एक दुसरव के सामने की Direction में रखा जाता है जिस से Micro wave बीम travel
कर सके इसका सबसे अच्छा
उदहारण आज के Time में Mobile tower और
घरो की छत पे लगे disk tv antenna में लगे Parabolic Antenna है
2. Satellite Communication:– यह भी
एक microwave communication का ही दूसरा रूप है परन्तु इस Process
में जमीन पर लगे Parabolic antenna सीधे
अंतरिक्ष की Over bit में स्थापित satellite से Communication करते है उनका भी Communication
करने का माध्यम uni-direction ही होता है satellite
communication का सबसे बड़ा फायदा यह होता है की इससे एक country
से दूसरी Country तक भी Communication किया जा सकता है ! और इसका सबसे अच्छा उदहारण आज के आज के वक्त में लाइव TV
streams और disk TV है जिसमे Micro
wave का use होता है
3. Radio waves:– Radio wave एक ओमनी Direction
में travel करती है इनकी data को transfer करने की speed microwave से कम होती है परन्तु यह काफी दूर तक travel कर सकती
है Radio wave में किसी भी Physical object को penetrate करने की Capacity होती है इस वजह से यह दुर्गम और दूर दराज के इलाकों में भी आसानी से पहुंच
जाती है इसका सबसे अच्छा उदाहरण है FM Radio और मोबाइल signal
है!
4. WiFi:- WiFi का
पूरा नाम है Wireless Fidelity. यह एक लोकप्रिय Wireless
Networking Technology है. एक एसी Technology है,
जिसके जरिए आज हम Internet और Network
Connection का इस्तमाल रहे है.
अब आपकी आसान भाषा में समझते है, यह वो Technology है
जिसके जरिए हम आज अपने स्मार्ट फ़ोन, Computer, Laptop में
बिना तार (Wireless) तरीके से Internet की सुविधा प्राप्त कर रहे हैं.
5. Bluetooth:- Bluetooth एक प्रकार का Wireless
technology है, जिसका इस्तमाल कोई भी file
या data transfer करने के लिए किया जाता है.
इस Bluetooth technology को develop Bluetooth
special interest group ने किया और इसकी physical range है 10m से लेकर 50m तक ही. ये Bluetooth
device ज्यादा से ज्यादा सात devices में ही connect
हो सकता है और इनका मुख्य इस्तमाल smartphones, personal
computers, और gaming consoles जैसे industries
में किया जाता है. IEEE ने Bluetooth को standardized किया है IEEE 802.15.1 के रूप में, लेकिन यह standards केवल कुछ ही periods के लिए maintain किया जाता है.
6. Infrared – Infrared communication एक युनी डायरेक्शन Communication होता है यह दीवार
या किसी भी Physical अवरोध को पार नहीं कर सकता है ! और ना
ही यह ज्यादा दूर तक travel कर सकता है इसका उसे Automatic
door,Remote control आदि में किया जाता है आदि में किया जाता है
नेटवर्क क्या है और इसके प्रकार
बताएं ?
नेटवर्क आपस में एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का समूह है जो एक दूसरे से
संचार स्थापित करने तथा सूचनाओं, संसाधनों को साझा इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं । किसी
भी नेटवर्क को स्थापित करने के लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता,
माध्यम तथा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर के साधनों
में भागीदारी करने के उद्देश्य से बहुत-से कंप्यूटरों का आपस में जुड़ना कम्प्यूटर
नेटवर्किंग कहलाता है । कम्प्यूटर नेटवर्किंग की मदद से उपभोक्ता उपकरणों, प्रोग्रामों, संदेशों और सूचनाओं को एक ही जगह पर
रहकर उनके साथ भागीदारी कर सकते हैं ।
नेटवर्क स्थापित करने के लिए मुख्य उपकरण निम्नलिखित है :
रिपीटर्स (Repeaters), हब (Hub), स्विच (Switches), राउटर्स
(Routers), गेटवे (Gateways)
नेटवर्क के निम्नलिखित प्रकार
हैं :
1. लोकल एरिया नेटवर्क (Local
Area Network-LAN) :-
Local Area Network मतलब LAN. ये Network आपको हर
जगह मिलेगा जैसे ऑफिस, College, School, Business Organisation, resource sharing, data storage, document printing के लिए इस network को use किया
जाता है. इसको बनाने के लिए कुछ जादा hardware की जरुरत नहीं
पड़ती बस hub, switch, network adapter, router और Ethernet
cable की जरुरत पड़ती है ।
सबसे छोटा LAN केवल
दो computer से बन सकता है. एक LAN में
हम 1000 Computers को आपस में जोड़ सकते हैं. ज्यदातर LAN
को wire connection में उपयोग किया जाता है.
लेकिन आजकल ये wireless में भी इस्तेमाल हो रहा है. इस network
की खासियत है इसकी speed, कम खर्चा और Security.
इसमें Ethernet cable का इस्तेमाल किया जाता
है. ।
विशेषताएं:-
छोटे geographical Area में इसकी दुरी सिमित है
एक घर, Office और
college में इस्तेमाल होता है.
इसकी ownership
private होती है
आसानी से इस Network को
बनाया जा सकता है
इस Network की
data transmission speed high है
2. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan
Area Network-MAN) :-
Metropolitan Area
network या MAN भी बोल सकते हो. ये एक पुरे
सहर को जोड़ने वाल Network है. एक सहर में जितने भी छोटे बड़े College,
School, government office के नेटवर्क को जोडके रखता है ये network.
LAN से भी बड़ा नेटवर्क है MAN. MAN 10KM से 100KM
तक Cover करता है. बोहत सारे LANs को आपस में connect करके बड़ा नेटवर्क बनाने के लिए
इसका इस्तेमाल किया जाता है.
इसतरह के Network अगर
एक College campus में इस्तेमाल होने लगे तो उसे campus
area network बोलते हैं. इसका सबसे अच्छा उदहारण है cable TV
Network. LAN to LAN connect करने के लिए MAN का
इस्तेमाल होता है. कोई बड़ा Business Organisation ही अपना
खुद का MAN बनता है. जिसके जरिये वो अपने अलग अलग branch
को connect कर सके.
विशेषताएं:-
बड़े geographical Area में इसकी दुरी सिमित है जैसे town, city.
इसकी ownership public और private होती है.
इस नेटवर्क install करने
में जादा खर्चा आता है LAN से भी जादा.
data transmission speed
moderate है.
3. वाइड एरिया नेटवर्क (Wide
Area Network-WAN) :-
LAN और MAN
के बाद जो Network आता है वही नेटवर्क है Wide
Area Network. वैसे तो ये सबसे बड़ा नेटवर्क है जो की पुरे globe
के computers को connect करके रखता है. इसको WAN भी बोला जाता है. Wide
area network को LAN of LANS बोला जाता है. इस
नेटवर्क की खासियत है ये DATA रेट कम है, लेकिन ज्यादा Distance cover करता है. Wide
Area Network का सबसे अच्छा उदहारण है Internet.
वैसे तो बोहत सारे Wide Area Network हैं. जैसे public packet network, Large Corporate network,
Military networks, Banking networks, railway reservation network और
आखिर में Airline Reservation network.
WAN के
जरिये Network की सुविधा देने वाली कंपनी को Network
Service Provider बोलते हैं. इनको Internet का
core बोला जाता है. WAN को सबसे महंगा
नेटवर्क बोला जाता है. क्यूंकि इसमें कुछ इसतरह की technology का उपयोग किया जाता है. जैसे की SONET, Framerelay और
ATM.
विशेषताएं:-
बड़े geographical Area जैसे दो देशों को अपसा में इस नेटवर्क से connect कर
सकते हैं
इसकी ownership public और private होती है
इस नेटवर्क को install और
maintenance करना difficult होता है.
data transmission speed
slow है
4. Personal
Area Network (पर्सनल एरिया नेटवर्क )
इस नेटवर्क को PAN भी
बोला जाता है. ये छोटा सा network है जो की एक घर के अंदर
इसकी सीमा रहती है. जैसे एक Building में, PAN में एक या एक से अधिक Computer रहते हैं. इसके साथ
साथ telephone, Video game कुछ और Devices जुड़े रहते हैं.
एक ही residence में
कुछ लोग अगर एक ही नेटवर्क को अगर इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे हम Home Area
Network बोल सकते हैं. इसको HAN भी बोला जाता
है. इसमें आमतोर पे WIRE से internet connection होता है. जो कि एक modem के जुडा रहता है. ये modem
दोनों connection मतलब wire और wireless provide करता है. इस Network में आप ये सब काम कर सकते हो. WIFI भी Home
Area Network है.
विशेषताएं:-
घर के किसी कोने में भी बैठ के आप document का print निकाल
सकते हो.
photo upload और download भी कर सकते हो
online video sharing के साथ साथ video streaming भी कर सकते हो.
PAN और HAN
में वैसे कुछ जादा अंतर नहीं है.
UNIT III (DTP-Desktop
publishing)
डीटीपी क्या है?
डीटीपी,प्रकाशन का एक आधुनिक तकनीक है जिसका पूरा
नाम डेस्कटॉप पब्लिशिंग है।इसकी सहायता से काफी कम समय में ही आसानी से प्रिंटिंग
के कार्य को पूरा कर लिया जाता है।इस तकनीक के कारण प्रिंटिंग एंड पब्लिशिंग के
फील्ड में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए है।एक रिपोर्ट के अनुसार इसका निर्माण जेम्स
डेविस(James Davise) ने सन् 1983 में किया था।
डीटीपी में कंप्यूटर
के जरिए विभिन्न सॉफ्टवेयर और लेजर प्रिंटर के माध्यम से मुद्रण का कार्य किया
जाता है।इस तकनीक द्वारा पोस्टर्स, बुक्स, पत्रिकाएं,इन्विटेशन
कार्ड आदि को बड़ी आसानी से कम समय और कम पैसों में बड़ी आसानी छापा जा सकता है।
DTP Full Form
Desktop publishing (डेस्कटॉप
प्रकाशन)
D-Desk
T-Top
P-Publishing
डीटीपी की विशेषता
प्राचीन समय में लोग
काठ पर उकेरी गई शब्दों से प्रिंटिंग करते थे।DTP के निर्माण के पहले लोग फोटो टाइप सेटिंग नामक प्रचलित पद्धति का use
करते थे। इन विधियों से प्रिंटिंग का कार्य काफी जटिल,महंगा और अधिक समय व्यय करने वाला था।
लेकिन 1983 में DTP के निर्माण के बाद मुद्रण यानी प्रिंटिग के क्षेत्र में चमत्कारी
परिवर्तन हुए।इस तकनीक के उपयोग से काफी कम समय,काम लागत में
बड़े से बड़े मुद्रण कार्य को कर सकते जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।इस पद्धति में
मुद्रण कार्य सरल और तेज हो जाता है जिससे आपके पैसे और समय के साथ साथ श्रम भी कम
लगता है।
डीटीपी के उपयोग
इस पद्धति का उपयोग
छोटे और बड़े दोनों स्तर पर प्रिंटिंग के लिए किया का सकता है।छोटे स्तर पर आप
इसका उपयोग इन्विटेशन कार्ड,विजिटिंग
कार्ड, पोस्टकार्ड,ग्रीटिंग कार्ड्स,
रिज्यूम, आदि को काफी काम लागत में बनाने के
लिए कर सकते है।तो वहीं बड़े स्तर पर इसका उपयोग पुस्तकों,पत्रिकाओं,न्यूजपेपर्स, बड़े बड़े पोस्टर्स,एग्जाम के पेपर्स,बिल्स आदि को छापने और प्रकाशित
करने में किया जाता है।
डीटीपी सॉफ्टवेयर के
नाम
वैसे तो DTP (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) के लिए कई तरह के
सॉफ्टवेयर उपलब्ध है।लेकिन मैंने आपको नीचे कुछ प्रसिद्ध डीटीपी सॉफ्टवेयर्स का
नाम दिया है जिसका उपयोग डीटीपी के लिए किया जाता है
Coral Draw
Adobe InDesign
Adobe Page Maker
Adobe Photoshop
PageStream
Acdsee Canvas
पब्लिशिंग और वर्ड प्रोसेसिंग
में क्या अंतर है !!
डेस्कटॉप
पब्लिशिंग
# डेस्कटॉप पब्लिशिंग में
ग्राफिक डिज़ाइन शामिल है, और इसके द्वारा पृष्ठ के लिए एक
लेआउट भी तैयार किया जा सकता है
# वर्ड प्रोसेसिंग में सभी कॉपी
संपादन शामिल होते हैं जो डेस्कटॉप पब्लिशिंग होने से पहले होता है
# वर्ड प्रोसेसिंग में शब्द
प्रसंस्करण, आमतौर पर फ़ॉन्ट का उपयोग करने के बारे में
निर्णय, या पाठ में कौन सा रंग दिखाना चाहिए, इस बारे में निर्णय शामिल नहीं रहता है
# डेस्कटॉप प्रकाशन
क्वार्कएक्सप्रेस 6.5 और 7.0 के साथ-साथ एडोब इनडिज़ीन सीएस और सीएस 2 जैसे
सॉफ़्टवेयर का उपयोग करता है
वर्ड
प्रोसेसिंग
# जबकि वर्ड प्रोसेसिंग एक
टेक्स्ट बनाने के लिए काम करता है.
# जबकि डेस्कटॉप पब्लिशिंग पाठ
को चित्रित करने के लिए छवियों को शामिल करता है।
# जबकि डेस्कटॉप पब्लिशिंग में
एक प्रीप्रेस फ़ाइल का उत्पादन होना चाहिए और साइन, मैजेंटा,
पीला या ब्लैक प्लेट तत्व छवियों के लिए शामिल किया चाहिए.
# वहीं दूसरी ओर वर्ड प्रोसेसिंग
में मेल विलय, टेबल बनाने या खोज और कार्यों को प्रतिस्थापित
करने जैसी विशेषताएं शामिल रहती हैं
एडोब पेजमेकर टूलबॉक्स आपको पेजमेकर में ब्रोसर्स, पोस्टकार्ड्स,
बिजनेस कार्ड, लेटरहैड्स, या अन्य पब्लिकेशन्स को डिजाइन करने के लिये आपकी आवश्यकतानुसार सभी
डेस्कटॉप पब्लिशिंग टूल्स प्रदान करता हैं।
सामान्यतया टूल बॉक्स
पैलेट पेजमेकर की विंडो मे स्वतः ही दिखाई पडता है यदि यह दिखाई न दे रहा
हो तो Window Menu मे Show Tools आदेश देकर उसे देखा जा सकता है,
टूलबॉक्स मे आपके प्रकाशन
के किसी पृष्ठ को तैयार करने के लिए सभी आवश्यक टूल दिए होते है।
प्वांटर टूल (Pointer tool)
किसी पृष्ठ पर लगी हुई किसी भी प्रकार की वस्तु, जैसे
पाठ्य, लाइन, बॉक्स , वृत्त, चित्र आदि को चुनने के लिए माउस प्वाॅइटर उस
वस्तु के ठीक ऊपर लाकर क्लिक कीजिए, चुनी हुई वस्तु के चारो
ओर हैडिंल दिखाई पडते है, जिनसे आपको पता चलता है कि वह
वस्तु चुनी हुई है।
आप इस टूल का उपयोग करके एक से अधिक वस्तुए भी एक साथ चुन सकते
है, इसके लिए
पहले एक वस्तु को क्लिक करके चुनिए और फिर अन्य वस्तुओ को बारी बारी से क्लिक करते
समय शिफ्ट कुंजी को दबाए रखिए इससे वे सभी वस्तुए चुन ली जाएगी यदि चुनी जाने वाली
वस्तुए पास पास है तो प्वांटर टूल को सक्रिय करके माउस प्वांटर से उनके चारो ओर एक
काल्पनिक चैकोर घेरा बनाइए, इससे उस घेरे के अंदर जाने वाली
सभी वस्तुए चुन ली जाएगी किसी चुनी हुई वस्तु को चुनाव से निकलने के लिए शिफ्ट
दबाकर उसे क्लिक किजिए सभी चुनावो को रद्द करने के लिए कही खाली स्थान पर क्लिक
कीजिए।
टेक्स्ट टूल (Text Tool)
इस टूल की सहायता से आप अपने प्रकाशन मे टैक्स्ट टाइप कर सकते
है या पहले से टाइप किए हुए टैक्स्ट को चुन सकते है।टैक्स्ट टूल का प्रयोग करके
आप टैक्स्ट को सेलेक्ट करने के साथ संशोधन कर सकते हैं, साथ ही
साथ टैक्स्ट बॉक्स इंसर्ट कर सकते हैं।
टेक्स्ट टूल को इन्सर्ट करने के लिए टैक्स्ट टूल पर क्लिक
कीजिये,फिर डॉक्यूमेंट
पर क्लिक कीजिये तथा टैक्स्ट टाइप करना आंरभ कीजिये।
रोटेटिंग टूल (Rotating Tool)
किसी चुनी हुई वस्तु को 0.01o के
अंतर से 360 o तक
घुमाने के लिए इस टूल का उपयोग किया जाता है इसके लिए पहले प्वांटर टूल का उपयोग
करके उस वस्तु को चुन लीजिए, फिर रोटेटिंग टूल को क्लिक कीजिए। इससे माउस प्वांइंटर का
रूप बदलकर एक चोकोर तारे जैसा रूप ले लेगा अब माउस प्वांइटर को चुनी हुई वस्तु के
उस बिन्दु पर ले जाइए, जिसको केन्द्र मानकर आप उसे घुमाना
चाहते है वही माउस बटन को दबाकर पकड लीजिए और जिस दिशा मे आप उसे घुमाना चाहते है
उसी दिशा मे माउस प्वांइंटर को खीचंते हुए उस बिन्दु से एक लाइन बनाइए, जब आप उस लाइन को घुमाएंगे, तो चुनी हुई वस्तु भी
घूमती हुई दिखाई देगी इच्छित अंश तक घुमाने के बाद माउस बटन को छोड दीजिए, इससे वह वस्तु उतनी ही घूम कर स्थिर हो जाएगी।
लाइन टूल (Line Tool)
इस टूल का उपयोग किसी भी
अंश पर झुकी हुई सरल रेखाए खीचने के लिए किया जाता है कोई रेखा खीचने के
लिए पहले इस टूल को क्लिक कीजिए, जिससे माउस प्वाइंटर एक धन चिन्ह + का
रूप ले लेगा। अब माउस बटन दबाकर माउस
प्वांटर को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक खीचिए, जिससे उन दोनो
बिंदुओ के बीच एक सरल रेखा बन जाएगी।
यदि आप रेखा को 45 o के अंतरो मे झुकी हुई बनाना चाहते है तो माउस
प्वांइटर को खीचते समय शिफ्ट कुंजी को दबाकर पकड लीजिए।
कॉन्सट्रेन्ड लाइन टूल (Constrained Line tool)
इस टूल का उपयोग क्षैतिज तथा ऊध्र्वाधर सरल रेखाए खीचने के लिए
किया जाता है। कोई रेखा खीचने के लिए पहले इस टूल को क्लिक कीजिए। जिससे माउस
प्वांइंटर एक धन + चिन्ह का रूप ले लेगा। अब माउस बटन दबाकर माउस प्वांइंटर को एक
बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक खीचिए। जिससे उन दोनो बिदुंओ के बीच एक क्षैतिज अथवा
ऊध्र्वाधर सरल रेखा बन जाएगी। आप लाइन टूल का उपयोग करते समय शिफ्ट कुजीं को दबाए
रखकर इस टूल का प्रभाव उत्पन्न कर सकते है।
रेक्टेंगल टूल (Rectangle Tool)
इस टूल का उपयोग आयताकार तथा वर्गाकार आकृतिया बनाने के लिए
किया जाता है। कोई आयत बनाने के लिए पहले इस टूल को क्लिक कीजिए, जिससे
माउस प्वांइंटर एक धन + चिन्ह का रूप ले लेगा। अब माउस बटन दबाकर माउस प्वांइंटर
को आयत के एक कोने से उसके सामने के दसरे कोने तक खीचिए। जिससे उन दोनो बिदुंओ के
बीच आयत बन जाएगा। वर्ग बनाने के लिए ऊपर की क्रिया मे माउस प्वांइंटर को खीचते
समय शिफ्ट कुजी को दबा लिया जाता है।
इलिप्स टूल (Ellipse Tool)
इस टूल का उपयोग दीर्घवृत्ताकार तथा वृत्ताकार आकृतिया बनाने
के लिए किया जाता है। कोई दीर्घवृत्त या ओवल बनाने के लिए पहले इस टूल को क्लिक
कीजिए, जिससे
माउस प्वांइंटर एक धन + चिन्ह का रूप ले लेगा। अब माउस बटन दबाकर माउस प्वांइंटर
की आकृति को के एक कोने से उसके सामने के दसरे कोने तक खीचिए। जिससे उन दोनो
बिदुंओ के बीच एक ओवल या दीर्घवृत्त बन
जाएगा। दीर्घवृत्त बनाने के लिए माउस प्वांइंटर को खीचते समय शिफ्ट कुजी को दबा
लिया जाता है।
हैडं टूल (Hand Tool)
इस टूल का उपयोग प्रकाशन के किसी भी पृष्ठ को स्क्रीन पर इधर
उधर या ऊपर नीचे सरकाने के लिए किया जाता है ताकि आप उसका इच्छित भाग देख सके।
जूम टूल (Zoom Tool)
इस टूल का उपयोग प्रकाशन के किसी भी पृष्ठ को स्क्रीन पर छोटा
या बडा करके देखने के लिए किया जाता है ताकि आप उसे अच्छी तरह से देख सके।
क्रॉप टूल (Crop Tool)
इसका प्रयोग करके आप इम्पोर्ट की गई इमेज को अपनी इच्छानुसार
किसी भी आकार में छॉंट सकते हैं। आप इस पेजमेकर टूल का प्रयोग केवल .tiff इमेज
पर कर सकते हैं।
ऑब्लिक लाइन टूल (Oblique Line Tool)
इसका प्रयोग करके आप एक कोण पर सीधी रेखाओं का निर्माण कर सकते
हैं। ऑब्लिक लाइन टूल पर क्लिक कीजिये, तथा फिर डॉक्यूमेंट पर क्लिक कीजिये। एक लाइन
का निर्माण करने के लिये इसे एच्छिक दिशा में ड्रैग कीजिये।
बॉक्स टूल (Box Tool)
बॉक्स टूल का प्रयोग करके आप आयताकार आकारो (Rectangle) का
निर्माण कर सकते हैं। बॉक्स टूल का चयन कीजिये तथा डॉक्यूमेंट पर क्लिक कीजिये।
आयताकार आकार (Rectangle) का निर्माण करने के लिये इसे ड्रैग
कीजिये।
सर्किल टूल (Circle Tool)
सर्किल टूल का प्रयोग करके आप एक वृत्ताकार या दीर्घवृत्ताकार
(Circular or Elliptical)आकार का निर्माण कर सकते हैं। सर्किल टूल का चयन कीजिये, तथा फिर डॉक्यूमेंट पर क्लिक कीजिये। वृत्त या दीर्घवृत्त (Circle
or ellipse) का निर्माण करने के लिये इसे ड्रैग कीजिये।
सर्कुलर फ्रेम टूल (Circular Frame Tool)
सर्कुलर फ्रेम टूल का प्रयोग करके आप वृत्ताकार या दीर्घवृत्ताकार
टैक्स्ट बॉक्स (Circular or elliptical text box) का निर्माण कर सकते हैं
जिसमें आप टैक्स्ट टाइप भी कर सकते हैं। सर्कुलर फ्रेम टूल का चयन कीजिये,
तथा फिर डॉक्यूमेंट पर क्लिक कीजिये। वृत्ताकार फ्रेम (Circular
frame) का निर्माण करने के लिये इसे ड्रैग कीजिये। टूलबॉक्स से
टैक्स्ट टूल का चयन कीजिये तथा फ्रेम के अंदर क्लिक कीजिये। अपना टैक्स्ट टाइप
कीजिये। टैक्स्ट बॉक्स के अंदर सीमित हो जायेगा।
पॉलीगन टूल (Polygon Tool)
पॉलीगन टूल का प्रयोग करके आप एक ऐसे आकार का निर्माण कर सकते
हैं। जिसके चार से ज्यादा कोने होते हैं। सर्कुलर फ्रेम टूल का चयन कीजिये, तथा फिर
डॉक्यूमेंट पर क्लिक कीजिये। बहुभुजाकार फ्रेम (Polygonal frame) का निर्माण करने के लिये इसे ड्रैग कीजिये। Polygonमें
सुधार करने के लिये, Element पर क्लिक कीजिये ओर फिर ड्रॉप
डाउन मेन्यू से Polygon Settings का चयन कीजिये।
पेजमेकर 7.0 में नए डॉक्यूमेंट को सेव कैसे करें (How to Save a New Document in Page
Maker 7.0)
आप कोई नया दस्तावेज बनाते है तो प्रारंभ मे उसका नाम Untitled-1 रख जाता है और बाद मे सुरक्षित करते समय उसको
कोई नया नाम दिया जाता है किसी नए दस्तावेज जिसका अभी तक कोई नाम नही रखा बाद मे
सुरक्षित करने के लिए निम्न प्रकार क्रियाए कीजिए।
File Menu मे
Save आदेश दीजिए अथवा कंट्रोल के साथ S (Ctrl+S)
Button दबाइए ऐसा करते ही आपको Save Publication का डायलॉग बॉक्स दिया जाएगा।
इस डायलॉग बॉक्स मे File Name टेक्स्ट
बॉक्स मे क्लिक करके कर्सर वहां लाइए और दस्तावेज के लिए कोई नाम टाइप कीजिए।
इस दस्तावेज को सुरक्षित करने का डिफाल्ट फोल्डर Adobe Page Maker 6.5 होता
है जहां पेजमेकर के सभी प्रोग्राम भी रखे जाते है यदि आप इसके अलावा किसी अन्य
फोल्डर मे दस्तावेज को रखना चाहते है तो Save In लिस्ट बॉक्स
मे उसका नाम भर दीजिए अथवा चुन लीजिए।
इस समय Save as type लिस्ट बॉक्स मे दस्तावेज का टाइप Publication चुना
होना चाहिए यदि ऐसा नही है तो आपको सही टाइप चुन लेना चाहिए।
अंत मे Save button को क्लिक कीजिए अथवा एण्टर दबाइए जिससे दस्तावेज सुरक्षित हो जाएगा और आप
वापस अपने दस्तावेज मे लौटकर कार्य जारी रख सकेगे।
एचटीएमएल क्या है –
What is HTML in Hindi
HTML Kya Hai - What is HTML in Hindi
चलिए अब जान लेते है के HTML
क्या होता है? Hypertext Markup Language को
हम छोटे नाम से कहते हैं HTML. HTML एक computer की भाषा है जिसका इस्तेमाल website बनाने में किया
जाता है. और उसे रंग रूप देने के लिए CSS का इस्तिमाल होता
है. ये भाषा computer की अन्य भाषा जैसे C, C++, JAVA
आदि के मुकाबले बहुत ही सरल है, इसका इस्तेमाल
करना कोई भी व्यक्ति आसानी से और बहुत कम समय में सिख सकता है.
HTML की मदद से website बन
जाने के बाद उस website को दुनिया का कोई भी व्यक्ति internet
के जरिये देख सकता है. HTML की खोज Physicist
Tim Berners-Lee ने सन 1980 में Geneva में
किया था. HTML एक platform-independent language है जिसका इस्तेमाल किसी भी platform में किया जा
सकता है जैसे Windows, Linux, Macintosh इत्यादि.
#1 Basic HTML Tags
HTML Basic Tags वे Tags होते
है, जो एक HTML Document की Foundation
रखते है. इसलिये इन्हे Foundation Tags भी
कहते है. नीचे HTML Basic Tags की List और उनके उपयोग के बारे में बताया जा रहा है.
<–…–> – यह Comment Tag है.
Comment Element का उपयोग HTML Document में Comment Define करने के लिए किया जाता है.
<!DOCTYPE> – DOCTYPE Element का पूरा नाम Document
Type Definition होता है. DOCTYPE Element का
उपयोग Document Type को Define करने के
लिए किया जाता है.
<HTML> – HTML Element एक HTML
Document का Root Element होता है. इससे HTML
Document को Define किया जाता है.
<Head> – Head Element द्वारा HTML
Document के बारे में लिखा जाता है. यह एक Webpage का Header Section होता है. जिसमे अधिकतर Meta
Information को लिखा जाता है.
<Title> – Title Element का उपयोग HTML
Document का Title Define करने के लिए किया
जाता है. Document Title हमें Browser Window में दिखाई देता है. Document Title को Head
Element में लिखा जाता है.
<Body> – Body Element से HTML
Document की Body को Define किया जाता है. Body Element में एक HTML
Document का Visible Part लिखा जाता है,
जो Users को दिखाई देता है.
<H1> to <H6>
– ये Heading Elements है. Heading
Element द्वारा HTML Document में Headings
को Define किया जाता है. HTML में H1 से H6 Level तक Headings बना सकते है.
<P> – इसे Paragraph Element कहते है. इसका उपयोग HTML Document में Paragraph
Define करने के लिए किया जाता है.
<Hr> – <hr> Element का पूरा नाम Horizontal
Line है. Hr Element से HTML Document में Horizontal Line को Define किया जाता है.
<Br> – <br> Element का पूरा नाम Break
है. Br Element का उपयोग Single Line
Break देने के लिए किया जाता है. मतलब आप एक Line को अलग-अलग Line में तोडकर लिख सकते है.
HTML का क्या Use होता है?
HTML का इस्तेमाल कर webpage बनाना
बहुत ही आसन है, इसके लिए आपको चाहिए दो चीज़- पहला है एक
साधारण text editor जैसे की Notepad जिसमे
html का code लिखा जाता हैं और दूसरा
चाहिए एक browser जैसे Internet Explorer, Google
Chrome, Mozilla Firefox आदि जिसमे आपके website को पहचान मिलती है और जिसे internet user देख सकते
हैं. HTML छोटे छोटे code की series
से बना होता है जिसको हम notepad में लिखते
हैं, इन छोटे codes को tags कहते हैं. HTML tags browser को बताता है की उस tag
के अन्दर लिखे गए elements को website में कैसे और कहाँ दिखाया जाये.
Web Hosting क्या है
Aadhar Card क्या है
PayPal क्या है और कैसे काम करता है
HTML ऐसे बहुत सारे tag प्रदान
करता है जो graphics, font size और colours के इस्तेमाल से आपके website को एक आकर्षक रूप देता
है HTML code को लिख लेने के बाद आपके document को save करना होता है, उसको save
करने के लिए html file के नाम के साथ .htm
या फिर .html लिखना जरुरी है तभी वो आपके html
document को आपके browser में दिखायेगा वरना
नहीं.
Save कर लेने के बाद आपको अपना html document
देखने के लिए browser को खोलना होगा. वो browser
आपके html file को read करेगा
और आपके सही तरीके से लिखे हुए code को translate कर सही रूप से आपके website को दिखायेगा जैसा आपने code
लिखते वक़्त सोचा होगा. आपका web browser html tags को website में नहीं दिखता बल्कि आपके document
को सही तरह से दिखने के लिए उन tags का
इस्तेमाल करता है.
HTML tags कैसा होता है?
What is HTML in Hindi में आप सब ने जान ही लिया
होगा. चलिए उसके कुछ basic tags के बारे में जान लेते हैं. HTML
tag अन्य text से पूरा अलग होता है जिसके मदद
से html code लिखा जाता है. HTML tags keywords होता है जिसे हम बंद brackets के अन्दर रखते हैं
जैसे <html>. tags के मदद से हम अपने website को नए नए रूप दे सकते हैं, उसमे हम images,
tables, colors आदि चीज़ का इस्तेमाल कर webpage बना सकते हैं.
अलग-अलग tags अलग-अलग
तरीके का कार्य करते हैं. जब आप अपना html पेज browser
के जरिये देखते हैं तो उसमे ये सभी tags दिखाई
नहीं पड़ते सिर्फ उनके प्रभाव ही नज़र आते हैं. HTML में
हजारों tags होते हैं जिनका इस्तेमाल हम website बनाने के लिए करते हैं. चलिए मै उनमे से ही कुछ विशेष tags के बारे में आपको बताउंगी जिनका प्रयोग website बनाने
के लिए बहुत जरुरी है. HTML में coding लिखना शुरू करने से पहले comment लिखा जाता है जिससे
की author को पता चलता है की वो html page किस चीज़ के लिए बनाया गया है.
comment लिखना अनिवार्य नहीं है ये आपके ऊपर निर्भर करता
है की आप अपने html document के लिए comment लिखना चाहते हैं या नहीं. HTML में comment
<!”….”> इसके अन्दर लिखा जाता है, ये comment
आपको web browser में दिखाई नहीं देगा.
Comment लिखने के बाद जो सबसे जरुरी tag होता है वो है header tag जिससे हमे html
document की जानकारी मिलती है. comment tag को
छोड़ कर बाकि जितने भी html tags होते हैं सभी का start
tag और end tag होता है. जैसे
<head>…………………</head>
अगर आप एक start
tag को लिखने के बाद उसका end tag नहीं
लिखेंगे तो उस tag का असर आपके browser में नहीं दिखेगा, इसलिए end tag लिखना अनिवार्य है. HTML tags का keyword
case-insensitive है इसका मतलब है की आप tag का
नाम बड़े अक्षर(capital letter) या छोटे अक्षर (small
letter) में लिख सकते हैं ये पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है की
आप अपने tag को कैसे लिखना चाहेंगे. head tag के बिच में मैंने जो बिंदु की मात्रा दी है उसका मतलब है की आप उसके जगह
कोई text लिख सकते हैं.
header tag के अन्दर title tag लिखा जाता है जो हमारे html पेज के title को दर्शाता है जैसे,
<title>This is my first web page</title>
जब हम अपने html
page को browser में देखेंगे तो हमें यही text,
browser के सबसे ऊपर title bar में बाये तरफ
दिखाई देगा.
title tag के बाद body tag लिखा
जाता है. इस tag के अन्दर webpage को
आकर्षक बनाने के लिए जितने भी tags होते हैं उनका प्रयोग
किया जा सकता है. जैसे,
<body bgcolor=”yellow” text=”blue”>
Hello! How are you?
</body>
यहाँ bgcolor का मतलब है background color जहाँ आपके webpage
के background का रंग पिला दिखेगा और मैंने जो
ये text लिखा है उसका रंग नीला दिखेगा. इसी तरह आप बहुत सारे
tags का इस्तेमाल <body> tag के
अन्दर कर अपने webpage को सुन्दर बना सकते हैं.
आपका html document हमेसा इसी रूप में होना चाहिए.
<html>
<head>
<title>———————</title>
</head>
<body>
<h1>——</h1>
– इसे केहते हैं heading tag जो छोटे अक्षरों
में दीखता है.
<p>——–</p> -इसे केहते है paragraph
tag जहाँ आप paragraph लिख सकते हैं.
<b>——–</b> – इसे केहते हैं bold
tag जो आपके लिखे हुए text को bold करदेगा.
</body>
</html>
ऐसे ही और भी बहुत से tag
हैं जो आप body tag के अन्दर लिख सकते हैं,
सभी tags के बारे में बता पाना यहाँ संभव नहीं
इसलिए मैंने सिर्फ basic tag के बारे में बताया है.
जावास्क्रिप्ट क्या है –
What is JavaScript?
JavaScript एक Dynamic कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा
है, यह एक इंटरप्रिन्टेड/ओरिएंटेड भाषा है. जावास्क्रिप्ट को क्लाइंट साइड/सर्वर
साइड स्क्रिप्ट के नाम से भी जाना जाता है. जिसकी मदद से एक गतिशील (Dynamic)
वेब पेज बनाया जाता है. यह वेब टेक्नोलॉजी मानक केक की तीसरी लेयर
हैI क्योंकि यह एक Scripting Language होती है, इसलिए JavaScript
Code को HTML पेज के साथ ही कोड किया जाता हैI
जावास्क्रिप्ट Web Designers को प्रोग्रामिंग की सुविधा
प्रदान करती है तथा एक वेब डिज़ाइनर के लिए JavaScript का
ज्ञान होना बेहद उपयोगी होता हैI
जब कोई यूजर इंटरनेट पर किसी ब्राउज़र
में वेबपेज के लिए Request भेजता है तो कंप्यूटर सर्वर उस पेज के HTML
Code के साथ-साथ JavaScript कोड को भी अटैच कर
वेब ब्राउज़र के पास भेज देते हैI उसके बाद वह ब्राउज़र आवश्यकता पड़ने पर कोड को Text
के रूप में परिवर्तित कर यूज़र को दिखाता हैI
JavaScript का इस्तेमाल न सिर्फ किसी ब्राउज़र में
बल्कि सर्वर प्रोग्राम तथा वेब ब्राउज़र में Cookies के
निर्माण में भी किया जा सकता हैI
जिस तरह HTML का
फ़ाइल एक्सटेंसन .html है. उसी तरह जावास्क्रिप्ट का फ़ाइल
एक्सटेंसन .js होता है. JavaScript एक
ओपन तथा क्रॉस प्लेटफार्म है अर्थात इसका इस्तेमाल Windows, Mac आदि अनेक ऑपरेटिंग सिस्टम में किया जा सकता हैI
नेटवर्क क्या है ? (what is network)
जब दो या दो से अधिक Device(उपकरण) आपस में Connect होकर Information या resources को शेयर करते है तो उसे नेटवर्क कहते है, ये उपकरण Computers, Servers, Mobiles, Routers आदि हो सकते है |
Network में Devices को को दो तरह की Technology का प्रयोग करके जोड़ा जाता है, Wired या Wireless | Wired Connection बनाने के लिए Cable जैसे की Twisted Paire , Coaxial और Fiber Optic cable तथा Wireless Connection बनाने के लिए Radio Wave, Bluetooth और Satellite का इस्तेमाल किया जाता हैं |
कंप्यूटिंग में एक नेटवर्क दो या दो से अधिक डिवाइसों का समूह है जिसके द्वारा हम कम्युनिकेशन कर सकते हैं। व्यावहारिक रूप से, नेटवर्क में भौतिक और वायरलेस कनेक्शन से जुड़े कई अलग-अलग कंप्यूटर सिस्टम शामिल होते हैं। नेटवर्क कंप्यूटर, सर्वर, मेनफ्रेम, नेटवर्क डिवाइस या एक दूसरे से जुड़े हुए अन्य उपकरणों का एक संग्रह है जो आपस में डाटा शेयर करने की अनुमति प्रदान करता है।
नेटवर्क का एक उत्कृष्ट उदाहरण इंटरनेट है, जो पूरे विश्व में लाखों लोगों को जोड़ता है|
नेटवर्क उपकरणों के उदाहरण (Examples of network devices):
डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, मेनफ्रेम और सर्वर
कंसोल और थिन क्लाइंट (Thin Client)
फायरवॉल
ब्रिजस (Bridges)
रिपीटर (Repeaters)
नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड(NIC)
स्विचेस, केंद्र, मॉडेम और रूटर
स्मार्टफोन और टैबलेट
वेबकैम
पहला कंप्यूटर नेटवर्क कौन सा था?
ARPANET पहला पैकेट स्विचिंग का उपयोग करने वाले पहले कंप्यूटर नेटवर्क था, जिसे 1960 के दशक के मध्य में विकसित किया गया था| इसे ही आधुनिक इंटरनेट का प्रत्यक्ष पूर्ववर्ती माना जाता है| पहला ARPANET संदेश 29 Oct, 1969 को भेजा गया था।
नेटवर्क के प्रकार (Types of Network)
LAN (Local Area Network) :-इसका पूरा नाम Local Area Network है यह एक ऐसा नेटवर्क है जिसका प्रयोग दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है| लोकल एरिया नेटवर्क स्थानीय स्तर पर काम करने वाला नेटवर्क है इसे संक्षेप में लेन कहा जाता हैं| यह एक ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क है जो स्थानीय इलाकों जैसे- घर, कार्यालय, या भवन समूहों को कवर करता है|
विशेषताये:-
यह एक कमरे या एक बिल्डिंग तक सीमित रहता है |
इसकी डाटा हस्तांतरित (Data Transfer) Speed अधिक होती है |
इसमें बाहरी नेटवर्क को किराये पर नहीं लेना पड़ता है |
इसमें डाटा सुरक्षित रहता है |
इसमें डाटा को व्यवस्थित करना आसान होता है |
MAN (Metropolitan Area Network) :-
इसका पूरा नाम Metropolitan Area Network हैं यह एक ऐसा उच्च गति वाला नेटवर्क है जो आवाज, डाटा और इमेज को 200 मेगाबाइट प्रति सेकंड या इससे अधिक गति से डाटा को 75 कि.मी. की दूरी तक ले जा सकता है| यह लेन (LAN) से बड़ा तथा वेन (WAN) से छोटा नेटवर्क होता है | इस नेटवर्क के द्वारा एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ा जाता है |
इसके अंतर्गत दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क एक साथ जुड़े होते हैं. यह एक शहर के सीमाओ के भीतर का स्थित कंप्यूटर नेटवर्क होता हैं. राउटर, स्विच और हब्स मिलकर एक मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का निर्माण करता हैं|
विशेषताये:-
इसका रखरखाव कठिन होता है |
इसकी गति उच्च होती है |
यह 75 कि.मी. की दूरी तक फैला रहता है |
WAN (Wide area Network) :-
इसका पूरा नाम Wide Area Network होता है | यह क्षेत्रफल की द्रष्टि से बड़ा नेटवर्क होता है| यह नेटवर्क न केवल एक बिल्डिंग, न केवल एक शहर तक सीमित रहता है बल्कि यह पूरे विश्व को जोड़ने का कार्य करता है अर्थात् यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है इसमें डाटा को सुरक्षित भेजा और प्राप्त किया जाता है |
इस नेटवर्क मे कंप्यूटर आपस मे लीज्ड लाइन या स्विच सर्किट के दुवारा जुड़े रहते हैं. इस नेटवर्क की भौगोलिक परिधि बड़ी होती है जैसे पूरा शहर, देश या महादेश मे फैला नेटवर्क का जाल. इन्टरनेट इसका एक अच्छा उदाहरण हैं. बैंको का ATM सुविधा वाईड एरिया नेटवर्क का उदाहरण हैं.
विशेषताये:-
यह तार रहित नेटवर्क होता है|
इसमें डाटा को संकेतो (Signals) या उपग्रह (Sate light) के द्वारा भेजा और प्राप्त किया जा सकता है |
यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है |
इसके द्वारा हम पूरी दुनिया में डाटा ट्रान्सफर कर सकते है |
Information Technology/सूचना प्रौद्योगिकी
Information Technology को संक्षिप्त में IT कह कर भी पुकारा जाता है। इसे हिन्दी में सूचना प्रौद्योगिकी कहा जाता है। Information Technology मतलब आंकड़ों की प्राप्ति, सूचना (Information) संग्रह, सुरक्षा, परिवर्तन, आदान-प्रदान, अध्ययन, डिजाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिये ज़रूरी कंप्यूटर Hardware एवं software अनुप्रयोगों से सम्बन्धित है। Information Technology कंप्यूटर पर आधारित सूचना-प्रणाली का आधार है। Information Technology, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग बन गयी है।
Information Technology का महत्व
यह नये रोजगार सर्जन करता है। यह सर्विस इकोनोमी की निव है।
सूचना तकनीक के इस्तेमाल से नयी योजनायें बनाने और निर्णय लेने में मदद मिलती है।
Information technology के विकास से सशक्तिकरण / Empowerment बढ़ता है।
IT की उन्नति से corruption कम होता है। कई क्षेत्रों में पारदर्शिता आती है।
पिछड़े देशों के विकास में Information technology एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
इंटरनेट क्या है / What is Internet ?
इंटरनेट एक दुसरे से जुड़े कई कंप्यूटरों का जाल है जो राउटर एवं सर्वर के माध्यम से दुनिया के किसी भी कंप्यूटर को आपस में जोड़ता है. दुसरे शब्दों में कहे तो सूचनाओ के आदान प्रदान करने के लिए TCP/IP Protocol के माध्यम से दो कंप्यूटरों के बीच स्थापित सम्बन्ध को Internet कहते हैं. इन्टरनेट विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है इसीलिए इसे नेटवर्कों का नेटवर्क भी कहा जाता है।
Internet की उपयोगिता
आज के ज़माने में Internet की बहुत ज्यादा आवश्यकता है और Internet की उपयोगिता भी बहुत है बिना Internet के बहुत से काम होना असंभव है, Internet की उपयोगिता निम्नलिखित है –
संचार के लिए (Communication)
सबसे ज्यादा इन्टरनेट का उपयोग संचार के लिए ही होता है, इंटरनेट की मदद से हम किसी भी मिलो दूर बैठे व्यक्ति से बात-चित कर सकते है इसके लिए इन्टरनेट पर बहुत सी ऐसी सर्विस उपलब्ध है जिनसे हम मिलो दूर बैठे व्यक्ति से बिना किसी रुकावट के बात-चित कर सकते है, जैसे Video Call, E-mail, Chat etc. यह सब Internet की वजह से ही सम्भव हुआ है इसलिए Internet काफी ज्यादा उपयोगी माना जाता है |
जानकारियों को खोजने के लिए
हमें जब भी कोई सवाल का जवाब या किसी भी विषय पर जानकारी प्राप्त करनी होती है तो उसका उत्तर ढूंढने में Internet मदद कर सकता है Internet पर हमें काफी सारे सर्च इंजन मिल जाते है जिनके पास हमारे सारे सवालों का जवाब होता है, या फिर जब भी हमें कोई जानकारी खोजना होती है तब हम इनको उपयोग कर सकते है |
शिक्षा के लिए (Education)
हम Internet का उपयोग शिक्षा के लिए भी कर सकते है, Internet पर बहुत सी ऐसी वेबसाइट उपलब्ध है जो हमें शिक्षा से जोडती है हम घर बैठे ही दुनिया के बेहतरीन शिक्षको से ज्ञान ले सकते है, हम जिस भी फील्ड में चाहे उस फील्ड में पढ़ाई कर सकते है इसे E-learning कहा जाता है, और अगर आप किसी कॉलेज में पढ़ते हो और आपको अपने कॉलेज के बारे में कोई जानकारी चाहिए तो वो भी आप Internet की मदद से ले सकते हो जैसे की आपकी परीक्षा का टाइम टेबल, आपके कोर्स की फीस या अन्य किसी भी विषय में सहायता आपको Internet की मदद से घर बैठे आसानी से मिल जाती है |
शौपिंग के लिए (Online Shopping)
पहले Online Shopping का इतना उपयोग नहीं होता था लेकिन कुछ सालो से इसका उपयोग बहुत ज्यादा होने लग गया है इसे E-commerce कहा जाता है, हम घर बैठे Internet की मदद से घर बैठे सभी तरह के सामान खरीद सकते है जब भी हम कोई सामान ऑनलाइन आर्डर करते है तो हमें होम डिलीवरी होती है Internet पर बहुत सी E-commerce वेबसाइट उपलब्ध है जिनसे हम कोई भी सामान मंगवा सकते है, आज-कल इसका बहुत ज्यादा उपयोग होने लग गया है और यह बहुत ज्यादा ट्रेंड में आ चूका है, इसका उपयोग दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है, बिना Internet के यह काम असंभव है |
मनोरंजन के लिए (Entertainment)
हम Internet का उपयोग मनोरंजन के लिए कर सकते है, बहुत सी एसी वेबसाइट Internet पर है जिन पर हम गाने, विडियो, मूवीज, आदि सब देख सकते है, हम ऑनलाइन विडियो गेम्स भी खेल सकते है, हम ऑनलाइन बुक्स जिनको E-books कहते है हम वह भी Internet की मदद से पढ़ सकते है |
बैंकिंग (Banking)
इंटरनेट के बाद अब आपको अपने बैंक में जाने कि जरूरत बिल्कुल भी नहीं हैं। आप कहीं से भी अपने बैंक को ऑनलाइन एक्सेस कर सकते हैं और ट्रांन्ज़ैक्शन कर सकते हैं या बिल पेमेंट कर सकते हैं।
इंटरनेट से बिजनेस )E-bussines
आप अपने बिजनेस को इंटरनेट से भी रन कर सकते हैं। इसका बडा फायदा यह होता हैं कि इसके लिए आपको न तो महेंगे दुकान को खरीदने की जरूरत होती हैं और न हीं मैन पॉवर की।इंटरनेट पर आपकी यह दुकान 24/7 घंटे ऑन रहती हैं और आप पुरी दुनिया में अपना बिजनेस कर पैसे कमा सकते हैं।
UNIT IV-Advanced Web Publishing (JavaScript)
***JavaScript क्या है?
- JavaScript एक powerful scripting language है जिसे HTML के साथ add करके web page को और भी interactive बनाया जा सकता है|
- Javascript एक client side scripting है इसका मतलब यह user के browser पर run होता है|
- JavaScript को Brendan Eich ने 1995 में Netscape में बनाया था तब इसका नाम Livescript था जिसे बाद में बदल कर JavaScript रखा गया|
- कई सारे programmers Javascript और Java को एक दुसरे से related समझते हैं लेकिन असल में ये दोनों एकदूसरे से बिलकुल अलग हैं और इनके बीच कोई सम्बन्ध नही है| जहाँ पर Java बहुत ही complex programming language है वहीँ Javascript केवल एक light-weighted scripting language है|
- जब भी user किसी webpage के लिए request send करता है तब server उस पेज के HTML के साथ JavaScript के code को भी browser पर send कर देता है अब यह browser की responsibility होती है वह उस JavaScript के code को जरूरत पड़ने पर execute करे|
**TCP/IP क्या है ?
- नेटवर्क इंटरफेस (परत 1): नेटवर्क और आईपी प्रोटोकॉल के बीच नेटवर्क कनेक्टिविटी के सभी भौतिक घटकों के साथ सौदे
- इंटरनेट (परत 2) : सभी कार्यक्षमताएं शामिल हैं जो एक नेटवर्क के दो नेटवर्क उपकरणों के बीच डेटा की आवाजाही का प्रबंधन करती है जो कि एक रूटीय नेटवर्क
- मेजबान-टू-होस्ट (लेयर 3): दो मेजबानों या उपकरणों के बीच यातायात के प्रवाह को प्रबंधित करता है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि डेटा होस्ट पर आवेदन पर पहुंच जाता है जिसके लिए इसे लक्षित किया जाता है
- आवेदन (परत 4):दो नेटवर्क होस्टों के बीच संचार सत्र के किसी भी अंत में अंतिम समापन बिंदु के रूप में कार्य करता है!
What is bitmap/raster (बिटमैप/रास्टर क्या है?
Bitmap या raster एक image file format है जिसका प्रयोग computer graphics को create तथा store करने के लिए किया जाता है.एक bitmap जो है वह display space को define करता है तथा यह display space में प्रत्येक pixel या bit के लिए color को भी डिफाइन करता है.एक bitmap file जो होती है वह एक pattern में small dots को display करती है. जब हम इसे दूर से देखते है तो हमें पूरी image दिखायी देती है.
bitmap को create करने के लिए, एक image को सबसे छोटे units (pixels) में तोडा जाता है तथा उसके बाद प्रत्येक pixel की color information को bits में स्टोर किया जाता है.
बिटमैप image की complexity को हम प्रत्येक dot की color intensity को बदलकर बढ़ा सकते है. या फिर हम image को बनाने में लगी rows तथा columns की संख्या को बढाकर भी इसकी complexity बढ़ा सकते है.
बिटमैप का standard फाइल फॉरमेट .BMP है परन्तु इसके अन्य file formats – .jpg, gif, तथा png आदि है.
Types of Image File Formats
- GIF (Graphical image file)
- IMG file format
- Tiff (Tag image file format)
- EPS (Encapsulated postscript)
- WPG file format
- JPEG (Joint photographic expert group)
- BMP (Bitmap file format)
- PNG (Portable network graphic)
- JPEG
GIF file format
IMG file format
TIFF file format
EPS file format
JPG file format
JPEG 2000
EXIF
PNG file format
***Raster/बिटमैप और Vector Graphics में क्या अंतर है?
Raster/Bitmap Image | Vector Image |
---|---|
Pictures Pixel-based होते हैं | Mathematical calculations के जरिये shapes बनते हैं |
इमेज का का dimension और resolution निश्चित होता है | किसी भी आकार में scale किया जा सकता है |
Image का आकार जितना बड़ा होगा file की size भी उतनी ही बड़ी होगी | File size छोटा होता है |
File formats: .jpg, .gif, .png, .tif, .bmp, .psd | File formats: .ai, .cdr, .svg; |
Common raster software: Photoshop, GIMP | Common vector software: Illustrator, CorelDraw, InkScape |
आसानी से कई सारे colors को blend करके painting किया जा सकता है | बिना rasterizing के colors को blend कर पाना मुश्किल है |
Painting के लिए perfect है | Drawing के लिए perfect है |
Raster को vector में convert किया जा सकता है लेकिन इसमें काफी समय लगता है | Vector image को आसानी से raster में convert कर सकते हैं |
Client-Side Scripting | Server-Side Scripting |
यह front-end technology है। | यह back-end technology है। |
यह यूजर के browser पर run होता है। | यह web server पर run होता है। |
इसके source code को user देख सकता है। | इसके code client तक नही पहुँचते इसलिए इसे यूजर नही देख सकता। |
क्लाइंट-साइड स्क्रिप्ट web server पर stored डेटाबेस से connect नही हो सकता। | इसके द्वारा server पर उपलब्ध database को access किया जा सकता है। |
Server के file system से किसी फाइल को यह access नही कर पाता। | सर्वर पर उबलब्ध फाइल सिस्टम को यह access कर सकता है। |
सर्वर-साइड की तुलना में क्लाइंट-साइड स्क्रिप्टिंग का response fast होता है। | क्लाइंट-साइड की तुलना में सर्वर-साइड स्क्रिप्टिंग का response slow होता है।। |
Client-side scripting को यूजर द्वारा ब्राउज़र की setting से block किया जा सकता है जिससे यह यूजर के ब्राउज़र पर run नही होगा। | इस प्रकार के स्क्रिप्ट को यूजर block नही कर सकता। |
Introduction to JavaScript Operators
What is Operand?
Types of Operators
JavaScript Arithmetic Operators
Operator
|
Explanation
|
Example
|
Negation(-) unary
|
Opposite values of a variable
|
-a
|
Addition (+)
|
It adds values of 2 or more variables
|
a+b
|
Subtraction(-)
|
Subtract value of one variable from other variables value
|
a-b
|
Multiplication(*)
|
Multiply values of 2 variables
|
a*b
|
Division(/)
|
Divide value of one variable by value of another variable.
|
a/b
|
Modulus
|
Get the remainder after division
|
a%b
|
Exponentiation
|
Value of first variable raise to power to value of second variable
|
a**b
|
JavaScript Relational Operators
Operator
|
Explanation
|
Example
|
Equal (==)
|
ये operator 2 variables की values को equality के लिए compare करता है।
|
a==b;
|
Not Equal (!=)
|
ये operator 2 variables की values को non equality के लिए check करता है।
|
a!=b;
|
Less than (<)
|
ये operator ये check करता है की left side का variable right side के variable से छोटा है या नहीं।
|
a<b;
|
Greater than (>)
|
ये operator check करता है की right side वाला variable left side वाले variable से बड़ा है या नहीं।
|
a>b;
|
Less than equal to (<=)
|
ये operator check करता है की left side का variable right के variable के बराबर है या उससे छोटा है या नहीं।
|
a<=b;
|
Greater than equal to (>=)
|
ये operator check करता है की right side का variable left side के variable के बराबर या उससे बड़ा है या नहीं।
|
a>=b;
|
JavaScript Bitwise Operators
Operator
|
Explanation
|
Example
|
AND (&)
|
दोनों variables की values में जो common bits होती है वो return कर दी जाती है।
|
a&b
|
OR (|)
|
दोनों variables की सभी bits return कर दी जाती है।
|
a|b
|
X-OR(^)
|
जो bits right side के variable में नहीं है लेकिन left side के variable में है return की जाती है।
|
a^b
|
NOT(~)
|
सभी bits invert करके return की जाती है।
|
~a
|
Shift Left(<<)
|
सभी bits को right side के variable की value जितना left में shift किया जाता है।
|
a<<b
|
Shift Right(>>)
|
सभी bits को right side के variable की value जितना right में shift किया जाता हैं।
|
>>b
|
JavaScript Logical Operators
Operator
|
Explanation
|
Example
|
And(&&)
|
यदि दोनों variables की value true है तो ये operator true result return करता है।
|
a&&b
|
Or(||)
|
दोनों में से कोई एक variable true हो तो भी result true ही होता है।
|
a||b
|
Not(!)
|
यदि variable true है तो false होगा और यदि false है तो true हो जायेगा।
|
!a
|
Xor
|
यदि दोनों से कोई एक true है तो result true होगा। और यदि दोनों false या दोनों true है तो result false होगा।
|
a Xor b
|
JavaScript Assignment Operators
Operator
|
Explanation
|
Example
|
Simple assignment (=)
|
ये operator right variable की value left variable को assign करता है।
|
a=b;
|
Plus assignment (+=)
|
ये operator left और right variables की value को add करके left variable में store करता है।
|
a+=b;
|
Minus assignment(-=)
|
ये operator left side के variable की value में से right side के variable की value घटाकर result left side के variable में store करता है।
|
a-=b
|
Multiply assignment(*=)
|
ये operator left और right side के variables की values को multiply करके result left side के variable में store करता है।
|
a*=b
|
Divide assignment(/=)
|
ये operator left side के variable की value को right side के variable से divide करके result left side के variable में store करता है।
|
a/=b
|
JavaScript Special Operators
Conditional Operator (?:)
z = (5>3) ? 5 : 3;
document.write(z); // It will print 5
|
Typeof Operator
str = “hello world”;
document.write(typeof str);
|
Void Operator
Introduction to JavaScript Control Statements
if(num%2==0)
{
document.write(num,”is even”);
}
|
Types of Control Statements
- If
- If-Else
- Nested-If
- Switch case
- For
- Do-While
- While
- Break
- Go to
Selection Statements
if Statement
if(5>3)
{
document.write(“This will be displayed”);
}
|
if(3>5)
{
document.write(“This will not be displayed”);
}
|
If else
if(10>15)
{
document.write(“This will not be displayed”);
}
else
{
document.write(“This will be displayed”);
}
|
Else If
if(condition 1)
{
// Will be executed if above condition is true
}
elseif(condition 2)
{
// Will be executed if 1st condition is false and this condition is true.
}
….
….
….
else if(condition N)
{
// Will be executed if all the conditions above it were false and this condition is true.
}
else
{
// Will be executed if all the above conditions are false
}
|
if(5>7)
{
document.write(“This will not be executed!”);
}
elseif(5>6)
{
document.write(“This will not be executed!”);
}
else
{
document.write(“This will be executed!”);
}
|
Nested If
if(condition)
{
if(condition)
{
// Statement to be executed
}
}
else
{
// Statements to be executed
}
|
if(5>3)
{
if(5>6)
{
document.write(“This will not be executed”);
}
else
{
document.write(“5 is greater than 3 but not 6”);
}
}
else
{
document.write(“5 is not greater than 3”);
}
|
Switch Case
var ch=2;
// Passing choice to execute desired case
switch(ch)
{
case 1:
document.write(“ONE”);
break;
case 2: document.write(“TWO”);
break;
case 3: document.write(“THREE”);
break;
default: document.write(“Enter appropriate value”);
break;
}
|
Looping Statements
While Loop
var num = 0;
// While loop iterating until num is less than 5
while(num <5)
{
document.write(“Hello”);
num++;
}
|
Do-While Loop
var num=0;
// Do-while loop
do
{
document.write(“hello”);
num++;
}
while(num<5);
|
For Loop
// For loop running until i is less than 5
for(var i=0;i<5;i++)
{
document.write(“This will be printed until condition is true”);
}
|
Jump Statements
Continue
for(var i=0; i<5;i++)
{
if(i==2)
{
// Skipping third iteration of loop
continue;
}
document.write(“This will be displayed in iterations except 3rd”);
}
|
Break
for(var i=0;i<5;i++)
{
if(i==2)
{
// Breaking 3rd iteration of loop
break;
}
document.write(“This will be displayed 2 times only”);
}
|
Introduction to JavaScript DOM
Usage of JavaScript DOM
- सभी HTML elements (tags) को access और change कर सकते है।
- HTML attributes access और change किये जा सकते है।
- आप सभी CSS styling को change कर सकते है।
- पुराने elements (tags) और attributes remove किये जा सकते है।
- नए tags और attributes add किये जा सकते है।
- सभी HTML events को handle किया जा सकता है।
- HTML events create किये जा सकते है।
JavaScript Cookies
Cookies के द्वारा user की information store की जाती है। Normally जब user किसी website को visit करता है तो web server के pass उसकी कोई information नहीं होती है। लेकिन cookies के द्वारा किसी भी user की information store करना संभव है।
Cookie एक normal text file होती है। जब भी कोई user किसी website को visit करता है तो उसकी information cookies (text file) के रूप में store कर ली जाती है। ये information user के computer में ही store की जाती है।
भविष्य में जब भी user वापस उस website के लिए request करता है तो user की request के साथ उस user की cookie भी webserver को भेजी जाती है।
इस प्रकार web server को उस user की information प्राप्त हो जाती है। इस information के आधार पर webserver को उस user की preferences के बारे में पता रहता है। साथ ही इस information के आधार पर web server web pages में जरुरी बदलाव भी कर सकता है।
JavaScript आपको cookies create करने, read करने, change करने और delete करने की ability provide करती है। इसके लिए JavaScript में document.cookie property available है।
VCR (Video Cassette Recorder)
VCR एक मशीन है जिसका उपयोग टेलीविज़न कार्यक्रमों या फिल्मों को वीडियो टेप पर रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता था, ताकि लोग उन्हें चलाकर बाद में टेलीविज़न सेट पर देख सकें। VCR 'वीडियो कैसेट रिकॉर्डर' का संक्षिप्त नाम है।Video Editor
- फिल्म और वीडियो के निर्माण के लिए कच्चे फुटेज सामग्री को संपादित करना।
- कहानी अनुक्रम और निरंतरता के आधार पर वीडियो और ऑडियो संपादन करना।
- ग्राफिक्स डिजाइन करने में रचनात्मकता तकनीकों का उपयोग करना।
- वीडियो के लिए वॉयसओवर टेक्स्ट और अन्य कमेंट्री डालना।
- दृश्यों को सहज बनाने और प्रभावी रूप से वीडियो दृश्यों को काटना।
- संगीत, ध्वनि प्रभाव, स्टोरीबोर्डिंग आदि सम्मिलित करने सहित सभी संपादन कार्य करना।